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दो सालों में जदयू सरकार ने तोड़ दी कृषि के विकास की रीढ़ : नंदकिशोर

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि जदयू की सरकार ने दो साल के भीतर राज्य के विकास की रीढ़ तोड़ दी. बिहार में खेती ही विकास की बुनियाद है, लेकिन जदयू सरकार ने किसान विरोधी नीतियों से इसी क्षेत्र को बरबाद कर दिया है. एनडीए शासन में बिहार की कृषि […]

विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता नंदकिशोर यादव ने कहा है कि जदयू की सरकार ने दो साल के भीतर राज्य के विकास की रीढ़ तोड़ दी. बिहार में खेती ही विकास की बुनियाद है, लेकिन जदयू सरकार ने किसान विरोधी नीतियों से इसी क्षेत्र को बरबाद कर दिया है. एनडीए शासन में बिहार की कृषि विकास दर 2011-12 में 13.53 फीसदी और 2012-13 में 9.23 फीसदी थी, लेकिन भाजपा के सरकार से अलग होने के बाद 2013-14 में निगेटिव 11.58 फीसदी पर पहुंच गयी.
देश में शायद इतनी तेजी से किसी भी राज्य की कृषि विकास दर नहीं गिरी थी. राजद के समय भी विकास दर शून्य से पांच तक नीचे चली गयी थी. किसानों को मिलनेवाले खाद की कालाबाजारी का मुद्दा हो या धान की खरीद का. धान घोटाले का मुद्दा हो या आपदा में बरबाद फसल के मुआवजे का, भाजपा हमेशा किसानों की आवाज उठाती रही है. बिहार के 23 जिलों पर सूखे का खतरा मंडरा रहा है, बारिश नहीं होने के कारण धान की रोपनी औसतन 30 से 35 फीसदी ही हो पायी है.
सरकारी नलकूपों की कमी और इनके खराब होने के चलते सिंचाई की व्यवस्था नहीं है. सरकार की ओर से डीजल सब्सिडी के लाभुकों की लिस्ट ही मांगी जा रही है, सब्सिडी कब मिलेगी, कोई पता नहीं. जब तक किसान के हितों का ख्याल रखते हुए विकासवादी और वैज्ञानिक कृषि रोड मैप बनाकर अमल नहीं किया जायेगा, इस क्षेत्र का विकास संभव नहीं है. आजादी के बाद 55 साल तक कांग्रेस और राजद की सरकारें रहीं, जिनके लिए न विकास कभी मुद्दा था, न खेती-किसानी प्राथमिकता.
अब इन्हीं दलों के साथ जदयू का गंठबंधन है तो उसकी नीतियों में इन दलों की पूरी छाप दिख रही है. जहां तक भाजपा का सवाल है, केंद्र सरकार ने बरौनी में खाद कारखाने के पुनरोद्घार से बिहार को सस्ता खाद मुहैया कराने का रास्ता खोला है. आपदा से बर्बाद एक तिहाई फसल पर पहले से ज्यादा मुआवजा मिल रहा है. सिंचाई के लिए वृहत प्रधानमंत्री सिंचाई योजना पर काम शुरू हो गया है.

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