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वाटर टूरिज्म की दुनिया

।।वर्ल्ड टूरिज्म डे : 27 सितंबर।।कल यानी 27 सितंबर को वर्ल्ड टूरिज्म डे है. इस साल इस दिवस का थीम रखा गया है, ‘टूरिज्म एंड वाटर : प्रोटेक्टिंग आवर कॉमन फ्यूचर’. यों तो पर्यटन दुनियाभर के लोगों का पसंदीदा शगल रहा है, लेकिन पर्यटन में भी जल आधारित पर्यटन का अपना विशेष महत्व है. नदियों, […]

।।वर्ल्ड टूरिज्म डे : 27 सितंबर।।
कल यानी 27 सितंबर को वर्ल्ड टूरिज्म डे है. इस साल इस दिवस का थीम रखा गया है, टूरिज्म एंड वाटर : प्रोटेक्टिंग आवर कॉमन फ्यूचर. यों तो पर्यटन दुनियाभर के लोगों का पसंदीदा शगल रहा है, लेकिन पर्यटन में भी जल आधारित पर्यटन का अपना विशेष महत्व है. नदियों, झीलों, जल प्रपातों के किनारे दुनियाभर में कई पर्यटन स्थलों का विकास हुआ है. भारत भी इसका अपवाद नहीं है. भारत में वाटर टूरिज्म के महत्व और इसके प्रमुख स्थलों के बारे में बता रहा आज का नॉलेज..

-नॉलेज डेस्क-

भारतीय संस्कृति में जल के महत्व को दर्शाते हुए इससे जन-जन को जोड़ने के लिए नदियों के किनारे ही तमाम तीर्थस्थलों की स्थापना की गयी है. जैसे-जैसे लोगों की जल और तीर्थस्थलों के प्रति आस्था बदलती गयी, वैसे-वैसे उसका रूप बदलता गया. तीर्थ का स्वरूप बदलता गया और अब यह पर्यटन के ठिकाने के तौर पर लोकप्रिय हो रहा है.

वाटर रिसोर्सेज इंफॉर्मेशन सिस्टम ऑफ इंडिया के आंकड़ों पर गौर करें, तो देशभर में 1,172 से ज्यादा जलीय पर्यटन स्थल मौजूद हैं. इनमें से ज्यादातर जलीय पर्यटन स्थल प्रमुख नदियों, झीलों, समुद्री तटों, जल निकायों, ग्लेशियरों और वन्य जीव अभयारण्यों से जुड़े हुए हैं. इन पर्यटक स्थलों को कई श्रेणियों में बांटा गया है. इसमें मुख्य हैं- समुद्री तट, झील, जलप्रपात, द्वीप, गरम झरने, वाटर स्पोर्ट्स, प्राकृतिक बंदरगाह/ पत्तन, जलाशय/ डैम/ बैराज, ग्लेशियर, हिल स्टेशन, नेशनल पार्क, जंगल आदि.

पर्यटन की बढ़ती महत्ता को देखते हुए अब दुनियाभर में 27 सितंबर को विश्व पर्यटन दिवस का आयोजन किया जाता है. वैश्विक वाटर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन (यूएनडब्ल्यूटीओ) की ओर से इसका आयोजन किया जाता है. वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है. भारत समेत 156 देश इसके सदस्य हैं. इस दिवस के आयोजन का मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लोगों को इसके महत्व की ओर ध्यान आकर्षित करना है.

माना जाता है कि पर्यटन के साथ सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक मूल्य भी जुड़े होते हैं. संयुक्त राष्ट्र के मिलेनियम डेवलमेंट गोल्स को हासिल करने के लिए निर्धारित किये गये लक्ष्यों में इसे भी शामिल किया गया है. यूएनडब्ल्यूटीओ की जनरल असेंबली ने वर्ष 1980 में विश्व पर्यटन दिवस की शुरुआत की थी.

इस वर्ष का थीम

संयुक्त राष्ट्र की ओर से मौजूदा वर्ष 2013 को ‘अंतरराष्ट्रीय जल समन्वय वर्ष’ के तौर पर मनाया जा रहा है. यूएनडब्ल्यूटीओ ने संयुक्त राष्ट्र की इस मुहिम का समर्थन करते हुए इस वर्ष के थीम का नाम दिया है- ‘टूरिज्म एंड वाटर : प्रोटेक्टिंग आवर कॉमन फ्यूचर’. भविष्य में हमारे लिए जल की महत्ता कितनी बढ़ जायेगी, इसी को दर्शाते हुए जल से जुड़े हुए पर्यटन को इस वर्ष के आयोजन के केंद्र में रखा गया है. इसका मकसद लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रेरित करने के साथ इसमें सभी की भागीदारी तय करना भी है. विश्व पर्यटन दिवस के मौके पर 27 सितंबर को मालदीव में इसका आधिकारिक आयोजन किया जायेगा. हालांकि, यूएनडब्ल्यूटीओ की ओर से अन्य कई तरह के आयोजन भी किये जायेंगे.

भारत में पर्यटन

वल्र्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म रिपोर्ट, 2010 के अनुसार, विश्व में भारतीय पर्यटन का 14वां स्थान है. इस रिपोर्ट में 180 देशों के ट्रैवल एंड टूरिज्म इंडस्ट्री का मूल्यांकन किया गया था. वाटर टूरिज्म को प्रोत्साहन दिये जाने के लिए कई राज्य सरकारों की ओर से अनेक तरह के उपाय किये जा रहे हैं. मध्य प्रदेश में वाटर टूरिज्म को प्रोत्साहन देने के लिए बोट क्लब श्रृंखला तैयार की जा रही है. भोपाल (अपर लेक), होशंगाबाद (तवा), सांची (फलाला डेम), जबलपुर (बरगी), ग्वालियर (टेहरा), इंदौर (पिपलिया पाला), शिवपुरी (चांदपाठा लेक) में बोट क्लब शुरू किये गये हैं.

भारत में वाटर टूरिज्म के प्रमुख स्थल

डल झील (जम्मू-कश्मीर)

देश ही नहीं पूरी दुनिया में यह झील प्रख्यात है. धरती के स्वर्ग के रूप में प्रसिद्ध जम्मू-कश्मीर की ग्रीष्मकालीन राजधानी श्रीनगर के प्रमुख सौंदर्य के रूप में इस झील को समझा जाता है. श्रीनगर की खूबसूरती को चरम पर पहुंचानेवाली इस झील का क्षेत्रफल लगभग 18 वर्ग किलोमीटर है. इसकी लंबाई 15.5 किलोमीटर है.तैरते हाउसबोट और शिकारे पर्यटकों को दुनिया से अलग शांति, सुकून और मनमोहक खूबसूरती से भरी दुनिया में होने का अहसास कराते हैं.

पिछौला झील (उदयपुर)

राजस्थान के इस शहर को झीलों के शहर के तौर पर जाना जाता है. किलों के अलावा लोग यहां झीलों को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं. इस झील की लंबाई चार किलोमीटर और चौड़ाई तीन किलीमीटर है. लहरों के बीच में यहां पर्यटकों को ठहरने का इंतजाम किया गया है. इस झील में पर्यटकों के लिए बोटिंग का भी इंतजाम किया गया है.

नैनी झील (नैनीताल)

उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित यह झील देश-दुनिया में बेहद प्रख्यात है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, यह झील भी किसी न किसी रूप में तीर्थस्थल के तौर पर ही प्रसिद्ध था, जो अब पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय स्थल के रूप में प्रसिद्ध हो चुका है.

हुसैन सागर झील

हैदराबाद शहर के बीच में 24 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुसैन सागर झील बेहद खूबसूरत है. शाम के समय इस झील को देखना अपने आप में बेहतरीन माना जाता है.

चिल्का झील (ओड़िशा)

यह देश की सबसे बड़ी झील है, जो क्षेत्रफल 11 सौ वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है. यहां के द्वीप पर्यटकों में खासे लोकप्रिय हैं. इसके द्वीपों की कुछ खासियतों के चलते शोधकतार्ओं को भी यह अपनी ओर आकर्षित करता है. भुवनेश्वर से लगभग 104 किमी की दूरी पर स्थित चिल्का झील देश के प्रमुख जल पर्यटन स्थलों में गिना जाता है.

वूलर झील (कश्मीर)

लगभग 200 वर्ग किलोमीटर में फैली इस झील को भारत में मीठे पानी की सबसे बड़ी झील के तौर पर माना जाता है. इस विशाल झील के आसपास का वातावरण स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से बेहतरीन माना जाता है. शायद यही वजह है कि यहां आनेवाले पर्यटकों की संख्या भी ज्यादा है.

भारत में वाटर राफ्टिंग स्थल

ऋषिकेश

ऋषिकेश में गंगा नदी में वाटर राफ्टिंग को इस मायने में दुनिया के श्रेष्ठ स्थलों में गिना जाता है. गंगा की लहरों पर यहां वाटर राफ्टिंग आयोजित किया जाता है, जो कि वाइल्ड ब्रुक रिट्रीट से 38 किमी दूर से शुरू होकर ऋषिकेश में खत्म होता है. यहां पर नौसिखियों और दक्ष रिवर राफ्टर्स दोनों ही के लिए रिवर राफ्टिंग की सुविधा है. यहां सुरक्षित, सुविधाजनक और उच्चस्तरीय उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है.

भागीरथी नदी

भागीरथी नदी के तकरीबन 150 किमी के दायरे में आकर्षक गांवों से होते हुए वाटर राफ्टिंग का लुत्फ उठाना बेहद रोमांचक है. हिमालय की वादियों से निकलनेवाली इस नदी के दोनों और मनोहारी पहाड़ियों के बीच वाटर राफ्टिंग का आनंद इसे एक साहसिक पर्यटन के तौर पर भी लोकप्रिय बना रहा है. यह नदी उत्तराखंड हिमालय के एक बड़े हिस्से में प्रवाहित होती है.

तीस्ता नदी, सिक्किम और दार्जीलिंग

सिक्किम समेत दार्जीलिंग और कलिमपोंग के पहाड़ी इलाकों से होते हुए इस नदी से रिवर राफ्टिंग का मजा लिया जा सकता है. पर्यटक यहां सिक्किम और दाजिर्लिंग के पर्यटन स्थलों पर भ्रमण के साथ इसका भी लुत्फ उठाते हैं.

ब्रह्मपुत्र

हिमालय के उत्तरी इलाकों से बह कर आती हुई अरुणाचल प्रदेश से भारत में प्रवेश करनेवाली इस नदी में वाटर राफ्टिंग का रोमांचक नजारा देखा जा सकता है. बrापुत्र में मिलनेवाली प्रमुख नदी सुबनसरी के प्रारंभिक स्थल से पासीघाट तक 180 किमी के इलाके में रिवर राफ्टिंग की जा सकती है.

टोन्स (गढ़वाल)

हिमालय से निकलनेवाली नदियों में वाटर राफ्टिंग के लिए उपयुक्त इलाका माना जाता है. गढ़वाल में स्थित टोन्स नदी यमुना की सहायक नदी है. इस नदी में वाटर राफ्टिंग बेहद रोमांचक होने के साथ सबसे चुनौतीपूर्ण भी माना जाता है.

दुनिया में वाटर राफ्टिंग के पांच प्रमुख स्थान

कोलोरेडो रिवर, ग्रांड कैनयन

इसे दुनिया का सबसे प्रमुख ‘व्हाइट वाटर राफ्टिंग’ स्थल माना जाता है. इस नदी में राफ्टिंग के लिए 226 मील का इलाका मौजूद है. कोलोरेडो नदी जहां समुद्र में मिलती है, वहां का दृश्य बेहद मनोहारी है. राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए यहां दुनियाभर से लोग आते हैं.

कोस्टारिका

वाटर राफ्टिंग के लिए यह इलाका दुनियाभर में मशहूर है. इस मामले में इसे एक आदर्श स्थल के रूप में जाना जाता है. यहां लोग परिवार के साथ वाटर राफ्टिंग का लुत्फ उठाने के लिए आते हैं. यहां की प्राकृतिक सुंदरता और वन्य जीव अभयारण्यों के बीच इसकी मौजूदगी ने इसे एक स्वाभाविक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने में अहम भूमिका निभायी है.

स्विट्जरलैंड

विश्व पर्यटन के मानचित्र पर स्विट्जरलैंड का प्रमुख स्थान है. इस देश में वाटर राफ्टिंग के अलावा पर्यटन के बेहद लोकप्रिय स्थान हैं. पर्वतों के बीच से गुजरनेवाले वाटर राफ्टिंग का दृश्य बेहद रोमांचक है. इस देश में वाटर राफ्टिंग से जुड़े कई तरह के खेलों का भी आयोजन किया जाता है.

न्यू रिवर, वेस्ट वर्जीनिया

अमेरिका के पश्चिमी वर्जीनिया में मौजूद न्यू रिवर को इस देश के प्रसिद्ध वाटर राफ्टिंग स्थलों में गिना जाता है. न्यू रिवर जॉर्ज ब्रिज इस स्थल के रोमांच को और भी बढ़ा देता है. नदी की धारा के विपरीत जाते हुए वाटर राफ्टिंग का मजा लेनेवालों को यह स्थान अपनी ओर बार-बार खींचता है.

उत्तरी थाईलैंड

थाईलैंड में कुछ वर्ष पहले ही वाटर राफ्टिंग की शुरुआत हुई है, लेकिन कुछ ही समय में इसने इस क्षेत्र में अच्छा मुकाम हासिल कर लिया है. चिआंग माई नदी इस देश में वाटर राफ्टिंग का प्रमुख रूट है और इसकी राह में कई नदियां आकर मिलती हैं. थाईलैंड का उत्तरी इलाका वाटर राफ्टिंग के लिए सबसे उपयुक्त स्थल है.

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