22.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

मानव विज्ञानी वेरियर एल्विन की पत्नी लीला का निधन

आदिवासियों के लिए जीवनभर काम किया पिछली 14 जुलाई को प्रख्यात मानव विज्ञानी वेरियर एल्विन की पत्नी लीला एल्विन का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वह कुछ दिनों से मुंबई के अस्पताल में भरती थीं. लीला और उनके पति वेरियर एल्विन (इनकी मृत्यु 1964 में ही हो गयी थी) की पहचान भौगोलिक […]

आदिवासियों के लिए जीवनभर काम किया पिछली 14 जुलाई को प्रख्यात मानव विज्ञानी वेरियर एल्विन की पत्नी लीला एल्विन का 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया. वह कुछ दिनों से मुंबई के अस्पताल में भरती थीं. लीला और उनके पति वेरियर एल्विन (इनकी मृत्यु 1964 में ही हो गयी थी) की पहचान भौगोलिक और सांस्कृतिक दूरियों को पाटने वाले सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में थी. वह कभी स्कूल नहीं गयीं, ही उन्हें अंगरेजी आती थी, फिर भी एक अंगरेज से शादी हुई. वह हमेशा विद्वानों और जन सरोकार रखने वाले राजनीतिज्ञों के संगत में रहीं. भारत के जनजातीय इतिहास में लीला और वेरियर एल्विन के कामों को सदा याद रखा जायेगा.

कौन थे वेरियर एल्विन

वेरियर इंग्लैंड के रहने वाले थे. उनके पिता एक बिशप थे. उन्होंने ऑक्सफोर्ड से पढ़ाई की थी. जब वह महाराष्ट्र आये, तो उन्हें यहां मध्यकाल के संतों की स्थापित परंपरा ने बहुत प्रभावित किया. वह खुद भी धार्मिक प्रवृत्ति के थे. उन्हें हिंदू धर्म ने भी प्रभावित किया. पर अंत में वह बौद्ध धर्म के प्रति मुड़े. जब वह 1932 में मध्यप्रदेश के मांडला गये, तो उन्होंने आदिवासी समुदायों पर रिसर्च किया. सही मायनों में बस्तर, ओड़िशा और अरुणाचल प्रदेश के जनजातीय समुदायों पर लिखी उनकी पुस्तकें बेहद प्रामाणिक और उत्कृष्ट मानी जाती हैं. 22 वर्षो तक मध्यप्रदेश में काम करने के बाद वह 1954 में शिलांग गये. उन्होंने मप्र में रहते गोंड जनजाति की महिला लीला से शादी की. वह थोड़ाबहुत छत्तीसगढ़ी बोलते थे. इस प्रकार लीला और उनके बीच इसी भाषा में बोलचाल होती थी.

लीला एल्विन ने गृहिणी, पत्नी, मां और सोशल वर्कर की भूमिका बखूबी निभायी. वह अपने जीवित रहते स्टोनीलैंड लेडीज रिक्रियेशनल सेंटरकी अध्यक्ष थीं. उन्हें लोगों की आवभगत करने में आनंद आता था. सामाजिक कार्यो में वह बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थीं.

मां को मनीऑर्डर भेजती थीं

वह मूल रूप से मध्यप्रदेश के मांडला जिले के पाटनगढ़ गांव की रहने वाली थीं. वह गोंड जनजाति के एक प्रमुख की बेटी थीं. शादी के बाद वह मेघालय की राजधानी शिलांग गयीं. इसके बाद वह कभी मंडला नहीं गयीं, पर वह नियमित रूप से अपनी मां को मनीऑर्डर भेजती थीं.

नेहरूइंदिरा भी थे अतिथि

लीला एल्विन के अतिथियों में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी भी थे. उनके घर प्रख्यात विद्वानों का जमावड़ा होता था. जब वेरियर एल्विन जीवित थे, तो उनके साथ वह कई टूर पर गयीं. हालांकि वे वापस कभी इंग्लैंड नहीं गये.

पति के बाद जिम्मेदारी निभायी
पति की मृत्यु के बाद लीला ने उनकी जिम्मेदारियों को अपने ऊपर लिया. घर के खर्च से लेकर, बच्चों की पढ़ाईलिखाई और लोगों की मदद, सब कुछ उन्होंने अकेले किया. तीन महीने पहले उनके बड़े बेटे वसंत की मृत्यु होने पर उन्हें गहरा सदमा लगा. लीला के अभी दो बेटे हैं और 11 पोतेपोतियां. प्रख्यात इतिहासकार रामचंद्र गुहा की वेरियर एल्विन पर एक पुस्तक आयी, जिसका नाम है सैवेजिंग सिविलाइज्ड: वेरियर एल्विन, हिज ट्राइबल्स एंड इंडिया’.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel