<figure> <img alt="दिल्ली" src="https://c.files.bbci.co.uk/122A8/production/_110580447_water_kids.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>दिल्ली और दूसरे कई शहर पीने के पानी के संकट का सामना कर रहे हैं</figcaption> </figure><p>दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने पाँच साल पहले मुफ़्त पानी देने की एक योजना शुरू की थी. </p><p>ये योजना दिल्ली के सभी घरों के लिए थी. </p><p>वादा किया गया था कि पानी की एक निश्चित मात्रा सभी घरों को मुफ़्त में दी जाएगी. </p><p>पिछले साल आई भारत सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ जल संकट का सामना कर रहे दुनिया के पाँच बड़े शहर इसी देश में हैं. </p><p>और दिल्ली भी जल संकट से सबसे ज़्यादा प्रभावित शहरों में से एक है जहां पानी की आपूर्ति मांग से कम है.</p><figure> <img alt="दिल्ली" src="https://c.files.bbci.co.uk/170C8/production/_110580449_water_tanker.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>दिल्ली के कुछ घरों में पीने के पानी की आपूर्ति प्राइवेट या सरकारी वाटर टैंकर ऑपरेटर करते हैं</figcaption> </figure><h1>कितने लोगों ने स्कीम का लाभ उठाया?</h1><p>दिल्ली के लोगों को पीने का पानी अलग-अलग स्रोतों से मिलता है:</p> <ul> <li>सरकारी सप्लाई वाटर जो पाइप लाइन के ज़रिए लोगों के घरों तक आता है.</li> <li>पानी की मेन पाइप लाइन से अनाधिकृत कनेक्शन</li> <li>प्राइवेट या सरकारी वाटर टैंकर ऑपरेटर्स से</li> <li>बोरवेल से ग्राउंडवाटर (कभी-कभी ये बिना इजाज़त लिए खोदी जाती हैं)</li> <li>नदी या किसी जलधारा से खुला और गंदला पानी </li> </ul><p>आम आदमी पार्टी ने ये वादा किया था कि दिल्ली के सभी घरों को हर महीने 20,000 लीटर पानी निशुल्क मुहैया कराया जाएगा और इसे मापने के लिए वाटर मीटर की मदद ली जाएगी. पार्टी ने ये दावा किया है कि दिल्ली के 14 लाख घरों में इस स्कीम के तहत पीने का पानी मुफ़्त में मुहैया कराया गया है. </p><p>सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ साल 2018-19 में दिल्ली में 29 लाख घरों में मीटर वाले पानी के कनेक्शन थे. इस स्कीम का फ़ायदा वही लोग उठा सकते हैं जिन्होंने पानी का बिल भुगतान करने के लिए अपने घरों में वाटर मीटर इंस्टॉल कराया है. ज़्यादा से ज़्यादा लोग बिल भरने का विकल्प अपनाएं, ये स्कीम इसी कोशिश का हिस्सा थी. </p><p>लेकिन इस मीटर को लगाने में 400 रुपये से 29,000 रुपये के बीच कोई भी रक़म ख़र्च हो सकती है. इस वजह से कम आमदनी वाले परिवारों के लिए ये एक महंगा मामला हो गया है. आम आदमी पार्टी का कहना है कि साल 2015-16 और 2016-17 के बीच वाटर मीटर वाले घरों की संख्या में छह गुना वृद्धि हुई.</p><p>लेकिन जो सरकारी आंकड़े उपलब्ध हैं वो अरविंद केजरीवाल सरकार के इस दावे की तस्दीक़ नहीं करते हैं. दिल्ली जल बोर्ड से जो आंकड़ें हमें मिले हैं, उससे ये साफ़ नहीं होता है कि इस अवधि में दिल्ली के कितने घरों में पानी के मीटर कनेक्शन इंस्टॉल कराये गए.</p><figure> <img alt="दिल्ली" src="https://c.files.bbci.co.uk/3C30/production/_110580451_water_struggle.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>इस स्कीम का </strong><strong>फ़ायदा </strong><strong>किसने उठाया?</strong></p><p>आम आदमी पार्टी का ये भी कहना है कि दिल्ली के जिन इलाक़ों में बिना इजाज़त के निर्माण कार्य किया गया है, वहां भी पानी के कनेक्शन इंस्टॉल करने का काम जारी है. उन्होंने दावा किया कि साल 2015-16 में जब वे चुनाव जीत कर आए थे, तब 1111 अनाधिकृत घरों में पानी का कनेक्शन था लेकिन अब ये आंकड़ा 1482 का है.</p><p>ये मुमकिन है कि सरकार ने इस आंकड़े को हासिल कर लिया होगा. आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि मार्च, 2019 तक 1337 घरों में पानी का कनेक्शन इंस्टॉल कर दिया गया था. दिल्ली में सरकारी ज़मीन पर 675 अवैध झुग्गी झोपड़ियां हैं लेकिन वहां पानी सप्लाई के मामले में कोई ज़्यादा तरक़्क़ी नहीं हो पाई है. </p><p>झुग्गी झोपड़ी वाले इलाक़े में केवल सात जगहों पर पानी पाइप लाइन के ज़रिए घरों में पहुंचाया जा रहा है. यानी झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाक़ों का आंकड़ा केवल एक फ़ीसदी का है. पानी के संरक्षण के लिए काम करने वाली ग़ैर-सरकारी संस्था फ़ोर्स की ज्योति शर्मा फ्री वाटर स्कीम की तारीफ़ तो करती हैं लेकिन वो इसमें कमियां भी बताती हैं.</p><p>ज्योति शर्मा कहती हैं, "ग़रीब लोगों को पानी के बिल से राहत की ज़रूरत थी लेकिन उन्हें इसका फ़ायदा नहीं मिला क्योंकि उनके घरों में पानी का मीटर नहीं है. जो लोग पानी का मीटर इंस्टॉल कराने का ख़र्च उठा सकते हैं, उन्होंने भी बोरवेल और वाटर टैंकर का सहारा लिया."</p><p>ऐसा करना इसलिए भी सस्ता है क्योंकि पहले उन्हें मीटर इंस्टॉल कराने का ख़र्च उठाना होगा और फिर पानी के इस्तेमाल के एवज़ में दिल्ली जल बोर्ड को इसका भुगतान करना होगा.</p><img class="idt-cloud-graphic" src="https://ichef.bbci.co.uk/news/amp/idt2/470/51408a58-062e-4327-be66-93a2e15c2215" alt="दिल्ली जल बोर्ड का बजट घाटा. . ."/><p><strong>स्कीम पर हुआ </strong><strong>ख़र्च</strong><strong>?</strong></p><p>सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने ये दावा किया है कि दिल्ली जल बोर्ड का राजस्व हाल के सालों में बढ़ा है. जब से फ्री वाटर स्कीम लागू हुई है, दिल्ली सरकार जल बोर्ड को इस स्कीम पर आने वाले ख़र्च की भरपाई कर रही है. </p><p>आम आदमी पार्टी ने कहा, "जल बोर्ड के राजस्व में गिरावट का जो दौर जारी था, उसमें बदलाव आया है. अब ये राजस्व सालाना नौ फ़ीसदी की दर से बढ़ रहा है."</p><p>लेकिन आंकड़े कुछ और ही कहानी कहते हैं. दिल्ली जल बोर्ड के पिछले पाँच साल का बजट ये बताता है कि उन पर लगातार क़र्ज़ बढ़ता जा रहा है. साल 2015-16 में जब ये स्कीम शुरू हुई थी तब जल बोर्ड का बजट पहले से 2.2 अरब रुपये के घाटे में था. इस घाटे में एक हिस्सा उपभोक्ताओं को दी गई रियायतों का भी था.</p><p>साल 2016-17 तक दिल्ली जल बोर्ड का बजट घाटा बढ़कर 5.16 अरब रुपये हो गया. लेकिन साल 2017-18 में दिल्ली जल बोर्ड को राज्य सरकार से मदद मिली.</p><p>आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता अक्षय मराठे कहते हैं, "पानी के बिल से आने वाला राजस्व बढ़ा है क्योंकि ज़्यादा लोगों ने वाटर मीटर अपने घरों में इंस्टॉल कराया है. लेकिन आप दिल्ली जल बोर्ड के पूरे बजट को देखेंगे तो ये सही है कि राजस्व गिरा है क्योंकि पैसा नई पाइप लाइन बिछाने में और मौजूदा पाइप लाइनों की सफ़ाई में ख़र्च हो रहा है." </p><h1>पानी की गुणवत्ता</h1><p>भारतीय जनता पार्टी फ्री वाटर स्कीम की आलोचना करती रही है. बीजेपी का कहना है कि ये स्कीम दिल्ली में ख़राब पानी की समस्या का कोई हल नहीं निकालती है. </p><p>बीजेपी नेता विजेंदर गुप्ता बीबीसी से कहते हैं, "दिल्ली में सप्लाई वाटर की क्वॉलिटी ख़राब है. दिल्ली में ऐसा एक भी घर नहीं मिलेगा जो इस पानी को वाटर फ़िल्टर की मदद से साफ़ किए बिना पीता हो." </p><p>हालांकि ये जानना तक़रीबन नामुमकिन ही है कि दिल्ली के सभी घर इस सप्लाई वाटर को फ़िल्टर करके पीते हैं या नहीं लेकिन पिछले साल ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स की एक रिपोर्ट में ये कहा गया था कि दिल्ली के सप्लाई वाटर की गुणवत्ता देश के प्रमुख शहरों में सबसे ख़राब है.</p><p>हालांकि दिल्ली सरकार ने इस रिपोर्ट को ख़ारिज करते हुए इसे ग़लत और राजनीति से प्रेरित बताया था.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>
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