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भारत के ‘ग़ुमशुदा 54 सैनिकों’ का राज़ क्या है

<figure> <img alt="भारत-पाकिस्तान सीमा संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा कब्ज़े में लिए गए भारतीय सैनिक" src="https://c.files.bbci.co.uk/5908/production/_110629722_168a753b-f54b-442a-a863-a8cfe13db385.jpg" height="750" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>भारतीय सैनिकों का समूह</figcaption> </figure><p>उन्हें, ‘लापता 54’ कहा जाता है. ये वो भारतीय सैनिक हैं, जो भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंगों के गुबार में भुला दिए गए. </p><p>इनके बारे में माना […]

<figure> <img alt="भारत-पाकिस्तान सीमा संघर्ष के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा कब्ज़े में लिए गए भारतीय सैनिक" src="https://c.files.bbci.co.uk/5908/production/_110629722_168a753b-f54b-442a-a863-a8cfe13db385.jpg" height="750" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>भारतीय सैनिकों का समूह</figcaption> </figure><p>उन्हें, ‘लापता 54’ कहा जाता है. ये वो भारतीय सैनिक हैं, जो भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंगों के गुबार में भुला दिए गए. </p><p>इनके बारे में माना जाता है कि ये भारतीय सैनिक भारत के दुश्मन देश के उलटफेर भरे अशांत इतिहास के पन्नों में चुपचाप ही कहीं गुम हो गए.</p><p>भारत और पाकिस्तान ने कश्मीर के विवादित इलाक़े पर कब्ज़े को लेकर दो बार जंग लड़ी हैं. पहला युद्ध तो आज़ादी के फ़ौरन बाद 1947-48 में ही हुआ था, जबकि, दोनों देशों ने कश्मीर को लेकर दूसरी जंग 1965 में लड़ी थी. </p><p>इन युद्धों के बाद, 1971 में 13 दिनों की जंग में, भारत के हाथों पाकिस्तान की शर्मनाक शिकस्त हुई थी. जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश के नाम से एक नए संप्रभु राष्ट्र के रूप में उदय हुआ था. </p><p>पूर्वी पाकिस्तान और पश्चिमी पाकिस्तान एक-दूसरे से क़रीब 1600 किलोमीटर या 990 मील से भी ज़्यादा दूर स्थित थे. जहां एक पश्चिम बंगाल और भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों के बीच बसा था, वहीं दूसरा राजस्थान और गुजरात की सीमा से सटा था.</p><p>भारत का मानना है कि उसके जो 54 सैनिक लापता हैं, वो पाकिस्तान की जेलों में क़ैद हैं. लेकिन, उनके लापता होने को चार दशक से भी ज़्यादा वक़्त बीत जाने के बावजूद, न तो उनकी संख्या के बारे में पक्के तौर पर कुछ पता है और न ही अब तक ये मालूम है कि वो फिलहाल कहां और किस हाल में हैं? आख़िर उनके साथ हुआ क्या?</p><p>पिछले साल जुलाई में नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार ने संसद को जानकारी दी थी कि इस वक़्त 83 भारतीय सैनिक पाकिस्तान के कब्ज़े में हैं. इनमें वो ‘गुमशुदा 54’ सैनिक भी शामिल हैं. </p><p>बाक़ी के शायद वो सैनिक हैं, जो ‘ग़लती से सीमा के उस पार चले गए’ थे. या फिर, उन्हें पाकिस्तान में जासूसी के आरोप में पकड़ा गया. पाकिस्तान, लगातार इस बात से इनकार करता रहा है कि भारत का कोई युद्धबंदी उसके कब्ज़े में है.</p><figure> <img alt="लापता सैनिक" src="https://c.files.bbci.co.uk/939C/production/_110588773_gettyimages-54743513-594×594.jpg" height="600" width="976" /> <footer>AFP</footer> <figcaption>एलडी कौरा अपने गुमशुदा बेटे कैप्टन रविंदर कौरा की तस्वीर हाथ में लिए हुए</figcaption> </figure><h3>भारत-पाकिस्तान के रिश्ते</h3><p>चंदर सुता डोगरा वरिष्ठ भारतीय पत्रकार हैं. उन्होंने कई बरस तक भारत के ‘लापता 54’ सैनिकों के बारे में रिसर्च किया है. उन्होंने सेना के रिटायर्ड अधिकारियों से भी बात की है और अफ़सरों और गुम हुए सैनिकों के रिश्तेदारों से भी उन्होंने मुलाक़ात की है. </p><p>उन्होंने इन लापता सैनिकों के बारे में ख़त, अख़बारों की कतरनें, मेमॉसर्य, डायरी में दर्ज बातें और तस्वीरें भी जुटाई हैं. इसके अलावा डोगरा ने इन सैनिकों के बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय के वो दस्तावेज़ भी देखे हैं, जो अब गोपनीय नहीं हैं.</p><p>चंदर सुता डोगरा ने इन ‘लापता 54’ सैनिकों के बारे में ताज़ा किताब लिखी है, जिस का नाम है – &quot;मिसिंग इन एक्शन:द प्रिज़नर्स व्हू नेवर केम बैक (Missing In Action:The Prisoners Who never came back).&quot;</p><p>डोगरा ने ये किताब कई बरस की मेहनत और रिसर्च के बाद लिखी है. इसके ज़रिए उन्होंने इन 54 सैनिकों से जुड़े इस बुनियादी सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की है कि आख़िर उनके साथ हुआ क्या?</p><p>चंदर सुता डोगरा की रिसर्च से लगता है कि उन सैनिकों के साथ कुछ भी होने की आशंका है – क्या ये सैनिक जंग लड़ते हुए मारे गए? क्या भारत के पास इस बात के सुबूत हैं कि इन सैनिकों को पाकिस्तान ने क़ैद कर रखा है? क्या उन्हें पाकिस्तान ने जान-बूझ कर अनिश्चित काल के लिए अपने कब्ज़े में रखा है, ताकि आगे चल कर उन्हें भारत से मोल-भाव के लिए मोहरा बनाया जा सके?</p><p>क्या इन ‘गुमशुदा 54’ भारतीय सैनिकों में से कुछ भारत के ख़ुफ़िया एजेंट थे, जैसा कि पाकिस्तान के कई अधिकारियों का मानना है. और इन्हें जासूसी के आरोप में पाकिस्तान ने पकड़ लिया? </p><p>क्या गिरफ़्तारी के बाद जेनीवा कन्वेंशन (जेनीवा कन्वेंशन एक अंतरराष्ट्रीय क़ानून है, जो युद्ध और युद्धबंदियों के नियम तय करता है) के ख़िलाफ़ जाकर पाकिस्तान ने इन सैनिकों पर बेतरह ज़ुल्म ढाए हैं?</p><p>अगर पाकिस्तान ने इन सैनिकों को लेकर जेनीवा कन्वेंशन का उल्लंघन किया, तो फिर उसके लिए इन सैनिकों को वापस भारत को सौंपना बेहद मुश्किल और शर्मिंदगी भरा फ़ैसला हो जाता. तो क्या इन लापता सैनिकों में से कुछ को पकड़े जाने के तुरंत बाद मार दिया गया था? और, ऐसा क्या है कि आधिकारिक दस्तावेज़ों में भारत इन 54 सैनिकों को लापता भी बताता है. </p><p>फिर भी जब 1990 के दशक की शुरुआत में एक निचली अदालत में इन लापता सैनिकों के बारे में याचिका दाख़िल होती है, तो इसके जवाब में सरकार अपने अजीबोग़रीब हलफ़नामे में ‘ये स्वीकार करती है’ कि इन लापता 54 सैनिकों में से ’15 पक्के तौर पर मारे गए’ हैं? </p><p>अगर हक़ीक़त यही है, तो फिर भारत सरकार आज भी ये दावा क्यों करती है कि ये 54 सैनिक उसके हिसाब से लापता हैं?</p><p>वरिष्ठ पत्रकार चंदर सुता डोगरा कहती हैं, &quot;ये स्पष्ट है कि भारत सरकार को पता है कि इन लापता 54 सैनिकों में से कुछ की असल में मौत हो चुकी है. पर, सवाल ये उठता है कि फिर इन सैनिकों के नाम लापता फौजियों की सूची में क्यों हैं? इसका ये मतलब निकलता है कि सरकार जान-बूझ कर इस मामले में हक़ीक़त पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही है.&quot; </p><p>&quot;इस मामले में सरकार केवल उन लापता सैनिकों के प्रति ही नहीं, बल्कि भारत की जनता के प्रति भी जवाबदेह है कि वो इस मुद्दे पर सही तस्वीर सबके सामने रखे.&quot;</p><p>इन लापता सैनिकों में से एक के भाई ने मुझे बताया कि सरकार अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में नाकाम रही है. सैनिक के भाई ने कहा, &quot;जंग में जीत के जश्न के शोर में हम ने इन सैनिकों को भुला दिया. मैं हिंदुस्तान की तमाम हुकूमतों और हमारे रक्षा के निज़ाम पर इन सैनिकों से मुंह मोड़ लेने का इल्ज़ाम लगाता हूं.&quot; </p><p>&quot;हमने तो ये भी कोशिश की थी कि कोई तीसरा मुल्क या संस्था इस मामले में दख़ल दे और इन सैनिकों का सच पता लगाए. लेकिन, भारत सरकार इस के लिए राज़ी नहीं हुई.&quot;</p><figure> <img alt="गुमशुदा सैनिक" src="https://c.files.bbci.co.uk/31F8/production/_110629721_38b04cb8-03a5-4bf9-9026-b2f651a0070a.jpg" height="650" width="976" /> <footer>AFP</footer> <figcaption>लापता सैनिकों के रिश्तेदार दो बार पाकिस्तान का दौरा कर चुके हैं लेकिन उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ</figcaption> </figure><p>फिर भी, ये पूरी कहानी का सिर्फ़ एक ही पहलू है.</p><p>पत्रकार चंदर सुता डोगरा ने कई ऐसी बातों से पर्दा उठाया है, जिनसे ये साबित होता है कि ये लापता सैनिक, युद्ध के ख़त्म होने के बाद भी पाकिस्तान की जेलों में क़ैद थे.</p><p>1965 की भारत-पाकिस्तान जंग में लापता हुए एक वायरलेस ऑपरेटर के परिवार को भारतीय सेना ने अगस्त 1966 में जानकारी दी थी कि, उस सैनिक की मौत हो गई थी. </p><p>लेकिन, 1974 से 1980 के दशक की शुरुआत के बीच में जिन तीन सैनिकों को पाकिस्तान ने भारत को लौटाया था, उन्होंने अधिकारियों और लापता सैनिकों के परिजनों को बताया था कि, वो वायरलेस ऑपरेटर अभी ज़िंदा है. फिर भी उसे भारत वापिस लाने के लिए कुछ नहीं किया गया.</p><p>ऐसा भी नहीं है कि इन युद्धबंदियों का पता लगाकर उन्हें भारत वापस लाने के लिए कुछ किया ही नहीं गया. भारत और पाकिस्तान की सरकारों के बीच इन युद्धबंदियों की रिहाई को लेकर कई बार वार्ताएं हुई हैं. </p><p>कई भारतीय प्रधानमंत्रियों ने इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की है. दोनों ही देशों के पूर्व सैनिकों ने भी इन युद्धबंदियों को वापस भेजने के लिए मुहिम चलाई गई है. और, ऐसा भी नहीं है कि दोनों देशों ने अपने अपने यहां क़ैद युद्धबंदियों की अदला-बदली न की हो. भारत ने 1971 के युद्ध के बाद, पाकिस्तान के 93 हज़ार सैनिकों को लौटाया था. और पाकिस्तान ने भी क़रीब 600 भारतीय सैनिकों को लौटाया था.</p><p>इन गुमशुदा सैनिकों की तलाश के लिए इनके परिजनों के दो जत्थे दो बार पाकिस्तान भी गए थे. 1983 में छह लोग इन लापता सैनिकों की तस्वीरें और अन्य जानकारियां लेकर पाकिस्तान गए और उन्होंने वहां की जेलों में अपने रिश्तेदारों को तलाशा. </p><p>इसके बाद 2007 में 14 लोग इसी मक़सद से पाकिस्तान गए. लेकिन, दोनों ही बार ये लोग गुम हुए सैनिकों को तलाश पाने में नाकाम रहे थे. इनमें से कुछ लोगों का ये आरोप भी था कि पाकिस्तान ने उन्हें क़ैदियों से मिलने नहीं दिया. हालांकि, पाकिस्तान ने इन सैनिकों के परिजनों के आरोपों को ग़लत बताया. </p><p>2007 में जब सैनिकों के परिजन दूसरी बार पाकिस्तान गए थे, तो उनका दावा था कि इस बात के पक्के सबूत थे कि &quot;ये सैनिक ज़िंदा हैं और पाकिस्तान में ही हैं.&quot; </p><p>इन आरोपों के जवाब में पाकिस्तान के वज़ारत-ए-दाख़िला के एक प्रवक्ता ने ये बयान दिया था, &quot;हमने बार-बार ये कहा है कि पाकिस्तान में भारत का कोई भी युद्धबंदी नहीं है. हम अपने उसी रुख़ पर अभी भी क़ायम हैं.&quot;</p><figure> <img alt="गुमशुदा सैनिक" src="https://c.files.bbci.co.uk/13F80/production/_110629718_gettyimages-514704042-594×594.jpg" height="650" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>पकड़े गए पाकिस्तानी सैनिक एक जेल शिविर में कंटीले तारों की बाड़ के पीछे बैठे हुए</figcaption> </figure><p>चंदर सुता डोगरा कहती हैं कि इन सैनिकों की &quot;हक़ीक़त दोनों दावों के बीच कुछ ऐसी है, जिस पर से कोई पर्दा नहीं उठाना चाहता.&quot;</p><p>इन सैनिकों को लेकर एक बात तो एकदम साफ़ है कि इन सैनिकों के परिजनों की तकलीफ़ें ख़त्म नहीं हुईं. उनका मानना है कि ये सैनिक अभी ज़िंदा हैं.</p><p>भारतीय वायुसेना के पायलट एच एस गिल की ही मिसाल लीजिए. उनकी जांबाज़ी की वजह से साथी उन्हें, ‘हाई स्पीड’ गिल कह कर बुलाते थे. </p><p>1971 की लड़ाई के दौरान, गिल के लड़ाकू विमान को सिंध में मार गिराया गया था. जब एच एस गिल लापता हुए तो उनकी उम्र 38 बरस थी. भारत ने अपने गुमशुदा सैनिकों की जो फ़ेहरिस्त बनाई, उन में बार-बार गिल के नाम का ज़िक्र आता रहा था. </p><p>गिल के परिवार को भरोसा था कि वो कभी न कभी तो लौटेंगे. लेकिन, गिल वापस नहीं आए. तीन साल पहले, गिल की पत्नी की कैंसर से मौत हो गई. वो एक स्कूल की प्रिंसिपल थीं. उनके बेटे ने उम्र के तीसरे दशक में ख़ुदकुशी कर ली थी. आज एच एस गिल की बेटी कहां है, इस बारे में उन के परिजनों को भी नहीं पता. </p><p>एच एस गिल के भाई गुरबीर सिंह गिल कहते हैं, &quot;सच तो ये है कि मैंने अभी भी उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है. मुझे पता है कि वो अब तक ज़िंदा नहीं होंगे. लेकिन, हमें सच तो बताया जाना चाहिए.&quot; </p><p>&quot;हक़ीक़त पता न होने की वजह से आप उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं कि वो वापस आएगा. है कि नहीं? सच है….उम्मीदें बमुश्किल ही टूटती हैं.&quot;</p><p>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां <a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a> कर सकते हैं. आप हमें <a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a>, <a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a>, <a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a> और <a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</p>

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