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परवेज़ मुशर्रफ़ को मिली मौत की सज़ा रद्द

<figure> <img alt="परवेज़ मुशर्रफ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/1205B/production/_110491837_1696477c-7003-499b-b210-613b7a518574.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पाकिस्तान में लाहौर हाईकोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को देशद्रोह केस में मौत की सज़ा सुनाने वाली विशेष अदालत को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दे दिया है.</p><p>कोर्ट की फ़ुल बेंच ने ये फ़ैसला सोमवार को जनरल (रिटायर्ड) परवेज़ मुशर्रफ़ की याचिका पर सुनाया, उन्होंने विशेष […]

<figure> <img alt="परवेज़ मुशर्रफ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/1205B/production/_110491837_1696477c-7003-499b-b210-613b7a518574.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पाकिस्तान में लाहौर हाईकोर्ट ने पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज़ मुशर्रफ़ को देशद्रोह केस में मौत की सज़ा सुनाने वाली विशेष अदालत को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दे दिया है.</p><p>कोर्ट की फ़ुल बेंच ने ये फ़ैसला सोमवार को जनरल (रिटायर्ड) परवेज़ मुशर्रफ़ की याचिका पर सुनाया, उन्होंने विशेष अदालत के फ़ैसले को चुनौती दी थी.</p><p>पत्रकार अब्दुल हक़ के मुताबिक़, अदालत ने अपने फ़ैसले में विशेष अदालत की तमाम कार्रवाई को भी रद्द कर दिया है. एडिशनल अटॉर्नी जनरल इश्तियाक़ ए. ख़ान के मुताबिक़ इस फ़ैसले के बाद परवेज़ मुशर्रफ़ की सज़ा भी ख़त्म हो गई है. </p><p>17 दिसंबर को इस विशेष अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ को देशद्रोह का दोषी ठहराते हुए उन्हें पाकिस्तान के संविधान के आर्टिकल छह के तहत सज़ा-ए-मौत देने का आदेश दिया था.</p><p>हाईकोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा है कि विशेष अदालत ने क़ानूनी ज़रूरतों को पूरा नहीं किया था और न ही उनके ख़िलाफ़ मामले को दर्ज करने के लिए किसी अथॉरिटी की अनुमति ली थी.</p><p>कोर्ट ने कहा कि 18वें संशोधन के तहत संविधान के आर्टिकल-6 में जो बदलाव किया गया उसके तहत यह फ़ैसला नहीं दिया जा सकता.</p><p>साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी अभियुक्त की ग़ैर-मौजूदगी में उसका ट्रायल करना ग़ैर-इस्लामी, ग़ैर-क़ानूनी और ग़ैर-संवैधानिक है.</p><p>जस्टिस मुज़ाहिर अली नक़वी के नेतृत्व में लाहौर हाईकोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच में जस्टिस अमीर भट्टी और जस्टिस मसूद जहांगीर शामिल थे.</p><p>इस फ़ुल बेंच का गठन पिछले माह रिटायर हुए हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सरदार शमीम अहमद ख़ान ने गठन किया था.</p><p>लाहौर हाईकोर्ट इस पर अपना विस्तार से फ़ैसला बाद में जारी करेगा.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51076114?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तान ने दिया भारतीय आर्मी चीफ़ के ‘PoK’ वाले बयान का जवाब</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-51058520?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सैयद अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र में कहा- ख़ुद को सुधारे पाकिस्तान</a></li> </ul><h1>परवेज़ मुशर्रफ़ की अपील पर क्या कहा गया?</h1><p>कोर्ट में परवेज़ मुशर्रफ़ की ओर से दायर याचिका में कहा गया था कि विशेष अदालत का फ़ैसला ‘अनियमितताओं और विरोधाभास’ से भरा हुआ है. इसमें कहा गया था कि ऐसा महसूस होता है कि विशेष अदालत के जज ने जिस तरह से टिप्पणियां की हैं, उससे लगता है कि उनका उनसे व्यक्तिगत पूर्वाग्रह, दुश्मनी थी, जज ने मनमानी शक्तियों का अवैध उपयोग किया है. </p><p>अपील में विशेष अदालत के गठन को भी चुनौती दी गई थी. एक अलग अपील में छह क़ानूनी बिंदुओं को आधार बनाया गया था. इसमें कहा गया था कि पेशावर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को विशेष अदालत का जज नहीं बनाया जा सकता क्योंकि इसमें सिर्फ़ हाईकोर्ट का जज शामिल किया जा सकता है. </p><p>अपील में कहा गया था कि विशेष अदालत को सरकार की मंज़ूरी के बग़ैर बनाया गया था जबकि मुक़दमे में परवेज़ मुशर्रफ़ को पैरवी का अवसर नहीं दिया गया और उनका बयान तक नहीं रिकॉर्ड किया गया.</p><p>साथ ही अपील में कहा गया कि विशेष अदालत के फ़ैसले का पैरा नंबर 66 पाकिस्तान के संविधान और इस्लाम के ख़िलाफ़ है. याद रहे कि पैरा-66 में परवेज़ मुशर्रफ़ की लाश को इस्लामाबाद के डी-चौक में फांसी देने और लाश तीन दिन तक लटकाए रखने के हवाले से आदेश दिया गया था.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50999476?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">पाकिस्तान: हरिद्वार जाने का इंतज़ार कर रहे हैं सैकड़ों हिंदू </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-50992519?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ननकाना साहिब मामले पर क्या कह रहा है पाकिस्तान?</a></li> </ul><figure> <img alt="परवेज़ मुशर्रफ़" src="https://c.files.bbci.co.uk/39E3/production/_110491841_bb1de454-46c4-4c9e-a783-54f78912a5b0.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ क्या था मामला?</h1><p>2013 के चुनाव में कामयाबी के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीन (नवाज़) ने सत्ता में आने के बाद पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के ख़िलाफ़ संविधान के उल्लंघन का मुक़दमा दर्ज किया गया था.</p><p>इस मुक़दमे के अंत तक पहुंचने तक विशेष अदालत के चार जज बदले.</p><p>परवेज़ मुशर्रफ़ सिर्फ़ एक बार ही विशेष अदालत के सामने पेश हुए जब उन पर अन्य आरोप लगाए गए थे. इसके बाद पूर्व जनरल कभी अदालत में पेश नहीं हुए.</p><p>पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ मार्च 2016 में इलाज के लिए विदेश चले गए थे. उस वक़्त सत्तारुढ़ दल पीएमएल (एन) ने उनका नाम एग्ज़िट कंट्रोल लिस्ट में शामिल करने के बाद हटा दिया था ताकि वो विदेश जा सकें.</p><p><strong>(</strong><strong>बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a 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