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अमित शाह ने कहा, लोग हिंसा करेंगे, तो पुलिस गोली चलाएगी ही

<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/A309/production/_110373714_gettyimages-1189632578.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई का समर्थन किया है.</p><p>एक टीवी चैनल एबीपी न्यूज़ के साथ विशेष इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, &quot;जो लोग सवाल पूछ रहे हैं वे ज़रा एक दिन […]

<figure> <img alt="अमित शाह" src="https://c.files.bbci.co.uk/A309/production/_110373714_gettyimages-1189632578.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई का समर्थन किया है.</p><p>एक टीवी चैनल एबीपी न्यूज़ के साथ विशेष इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा, &quot;जो लोग सवाल पूछ रहे हैं वे ज़रा एक दिन पुलिस की वर्दी पहन कर खड़े हो जाएँ. कोई ये नहीं पूछता कि बस क्यों जलाई गई? गाड़ियाँ क्यों जलाई गईं? लोगों को उतार-उतार कर बसें जलाई गईं. जब लोग हिंसा करेंगे तो पुलिस गोली चलाएगी ही.&quot;</p><p>अमित शाह ने कहा कि पुलिस को अपनी भी जान बचाती होती है और लोगों को भी बचाना होता है. कोई ये पूछ रहा है कि बस क्यों जली? बस ना जलती तो डंडा ना चलता. </p><p>कई राज्यों में हुए हिंसा में पीपुल्स फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) पर लगे आरोप के बारे में उन्होंने कहा कि ये कोई राजनेता नहीं कह रहा है, ये राज्य पुलिस की रिपोर्ट है. </p><p>पीएफ़आई पर प्रतिबंध लगाने के बारे में उन्होंने कहा कि देश के गृहमंत्री होने के नाते किसी पर बैन लगाने से पहले वे इस पर कुछ नहीं कहेंगे.</p><figure> <img alt="विरोध प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/54E9/production/_110373712_058643201-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>ये पूछे जाने पर कि बीजेपी शासित राज्यों में ही ज़्यादा हिंसा क्यों हुई, इस पर अमित शाह ने कहा, &quot;मुझे ये बताइए कि कांग्रेस शासित राज्यों में दंगे क्यों नहीं हो रहे हैं? ये सवाल भी तो पूछा जाना चाहिए. जनता समझ रही है हिंसा कौन करा रहा है. जहां कांग्रेस की सरकार है वहां हिंसा क्यों नहीं हुई? ग़लतफ़हमी फैलाई गई कि सीएए से देश के अल्पसंख्यकों की नागरिकता चली जाएगी. लेकिन विपक्ष नागरिकता संशोधन कानून को पढ़कर बता दे कि इसमें कहां पर किसी भी नागरिकता लेने का प्रावधान है.&quot;</p><p>NRC, CAA और NPR का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि जो लोग इसे लेकर भ्रम में हैं और समझना चाहते हैं, उनके लिए उनके घर के दरवाज़े हमेशा खुले हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग चाहें तो आधी रात को तीन बजे भी आकर उनसे मिल सकते हैं. </p><p>उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को चुनौती देते हुए कहा कि एक बार वे साबित कर दें कि ग़रीबों या मुसलमानों की नागरिकता जाएगी.</p><p>अमित शाह ने कहा, &quot;मैं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से कहूंगा कि आप क़ानून नहीं पढ़ रहे हैं और लोगों को डरा रहे हैं कि नागरिकता चली जाएगी. हमें अपेक्षा नहीं थी कि विपक्ष देश को इतना गुमराह करेगा.&quot;</p><figure> <img alt="राहुल गांधी" src="https://c.files.bbci.co.uk/EFAD/production/_110375316_058835258-1.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Reuters</footer> </figure><p>संसद में नागरिकता संशोधन क़ानून के पास हो जाने के बाद देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं. कई प्रदर्शन हिंसक हो गए थे. ख़ासकर यूपी के कई इलाक़ों में काफ़ी हिंसा हुई थी. सिर्फ़ यूपी में 19 लोग मारे गए थे. विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठे हैं.</p><p>लेकिन गृह मंत्री ने विरोध प्रदर्शनों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि जो विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे गुमराह है. ये राजनीतिक विरोध ज़्यादा है.</p><p>एनआरसी पर विस्तार से कुछ भी न कहते हुए उन्होंने सिर्फ़ इतना कहा, &quot;मैं सिर्फ़ इतना कह रहा हूँ कि अभी एनआरसी नहीं आ रहा है. फ़िलहाल सीएए पर बात करिए और किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जा रही है.&quot;</p><p>अमित शाह ने कहा कि देश की जनता जानती है कि नागरिकता क़ानून सही फ़ैसला है.</p><p>एनपीआर पर स्थिति स्पष्ट करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि जनगणना और एनपीआर में किसी से कोई दस्तावेज़ नहीं मांगा जाएगा.</p><p>हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह संसद से लेकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहते आए हैं कि पहले नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) होगा, उसके बाद एनआरसी लाया जाएगा. उन्होंने कहा था कि यह एक प्रक्रिया है जो सीएए के बाद शुरू होगी.</p><p>देश में नागरिकता संशोधन क़ानून और एनआरसी के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में 22 दिसंबर को हुई चुनावी रैली में कहा था कि उनकी सरकार में में एनआरसी पर कोई बात ही नहीं हुई है.</p><p>प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान के बाद गृह मंत्री अमित शाह के भी सुर बदल गए और उन्होंने अभी फ़िलहाल एनआरसी पर कोई चर्चा न होने की बात कही है.</p><h1>और क्या कहा अमित शाह ने</h1> <ul> <li>कांग्रेस ने मुसलमानों को दंगे और वादे दिए हैं.</li> <li>आर्थिक मंदी सिर्फ देश में नहीं है, दुनिया में है. इससे निबटने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं.</li> <li>जम्मू कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को मुझे नहीं छोड़ना, वहाँ के प्रशासन को छोड़ना है जब वहाँ के प्रशासन को लगेगा वो फ़ैसला लेंगे.</li> <li>कश्मीर में हालात कंट्रोल में है. कश्मीर में एक इंच ज़मीन पर भी कर्फ्यू नहीं है.</li> <li>बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा नीतीश कुमार ही होंगे और हम उनके नेतृत्व में सरकार बनाएंगे.</li> <li>झारखंड की हार की ज़िम्मेदारी मेरी है. भाजपा अध्यक्ष के तौर पर यदि जीत की ज़िम्मेदारी मेरी होती है तो हार की भी मेरी ही होगी.</li> <li>कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र में चौथे नंबर की पार्टी है तो वो कैसे सरकार में आ गई? </li> <li>महाराष्ट्र में नतीजे बीजेपी के पक्ष में आए थे. झारखंड के नतीजे आत्मचिंतन का विषय है. देश के लिए 2019 बहुत अच्छा रहा. </li> <li>9 फरवरी से पहले राम मंदिर ट्रस्ट का गठन.</li> <li>पश्चिम बंगाल में दो तिहाई बहुमत से जीतेंगे</li> <li>2024 में भी मोदी ही पीएम होंगे.</li> </ul><h1>क्या है नागरिकता संशोधन क़ानून 2019</h1><figure> <img alt="नरेंद्र मोदी" src="https://c.files.bbci.co.uk/112AD/production/_110371307_mediaitem110371306.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>केंद्र सरकार ने दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद के दोनों सदनों से पारित करवाया. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये विधेयक क़ानून बन गया.</p><p>मगर इस विधेयक के पारित होने के बाद से इसे लेकर विरोध बढ़ता जा रहा है और इससे जुड़े प्रदर्शनों में हिंसा में कई लोगों की मौत भी हो चुकी है.</p><p>विरोध करने वालों का तर्क है कि ये क़ानून धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला है जो संविधान की मूल भावना के ख़िलाफ़ है.</p><p>इस क़ानून में बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के छह अल्पसंख्यक समुदायों (हिंदू, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई और सिख) से ताल्लुक़ रखने वाले लोगों को भारतीय नागरिकता मिल पाने का प्रावधान किया गया है.</p><p>इससे पहले 1955 के नागरिकता क़ानून के तहत भारत में अवैध तरीक़े से दाख़िल होने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकती थी और उन्हें वापस उनके देश भेजने या हिरासत में रखने के प्रावधान था.</p><p>पुराने क़ानून के मुताबिक़ किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम-से-कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था. संशोधित क़ानून में पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समयावधि 11 से घटाकर छह साल कर दी गई है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.</strong><strong>)</strong></p>

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