23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

CAA को रद्द करने की माँग करने वाला पहला राज्य बना केरल

<p>केरल विधानसभा ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित कर नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) को रद्द करने की माँग की है. </p><p>केरल सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य बन गया है.</p><p>इससे पहले पश्चिम बंगाल जैसे कुछ ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों ने एलान किया था कि वो सीएए का पालन नहीं करेंगे, मगर केरल […]

<p>केरल विधानसभा ने मंगलवार को एक प्रस्ताव पारित कर नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) को रद्द करने की माँग की है. </p><p>केरल सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित करने वाला पहला राज्य बन गया है.</p><p>इससे पहले पश्चिम बंगाल जैसे कुछ ग़ैर-बीजेपी शासित राज्यों ने एलान किया था कि वो सीएए का पालन नहीं करेंगे, मगर केरल ऐसा पहला राज्य है जिसने प्रस्ताव पारित कर अपना विरोध दर्ज करवाया है.</p><p>केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने इस प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा कि सीएए ‘धर्मनिरपेक्ष’ नज़रिए और देश के ताने बाने के ख़िलाफ़ है और इसमें नागरिकता देने से धर्म के आधार पर भेदभाव होगा.</p><p><a href="https://twitter.com/PTI_News/status/1211909860473786369">https://twitter.com/PTI_News/status/1211909860473786369</a></p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1211906915535474688">https://twitter.com/ANI/status/1211906915535474688</a></p><p>मुख्यमंत्री विजयन ने नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) को रद्द करने की मांग करते हुए राज्य विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा, &quot;यह क़ानून संविधान के आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों के विरोधाभासी है.&quot;</p><p>उन्होंने कहा, &quot;केरल में धर्मनिरपेक्षता, यूनानियों, रोमन, अरबों का एक लंबा इतिहास है. हर कोई हमारी ज़मीन पर पहुंच गया और हमारी परंपरा समावेशी है.</p><p>इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा, &quot;लोगों के बीच चिंता को देखते हुए केंद्र को सीएए को वापस लेने के कदम उठाने चाहिए और संविधान के धर्मनिरपेक्ष नज़रिए को बरकरार रखना चाहिए.&quot;</p><p>इस दौरान उन्होंने एक बार फिर यह स्पष्ट किया कि केरल में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनेगा.</p><p><a href="https://twitter.com/ANI/status/1211877082541645824">https://twitter.com/ANI/status/1211877082541645824</a></p><h3>एकमात्र बीजेपी विधायक ने किया विरोध</h3><p>हालांकि जब मुख्यमंत्री ने यह प्रस्ताव पेश किया तो सदन में बीजेपी के एकमात्र विधायक ओ राजगोपाल ने इसका विरोध किया कहा कि इसे रद्द करने की मांग गैर-क़ानूनी है.</p><p>राजगोपाल ने कहा, &quot;यह राजनीति की मानसिकता का प्रतीक है. चूंकि संसद के दोनों सदनों ने सीएए क़ानून को पारित कर दिया है लिहाजा इसे रद्द करने का प्रस्ताव गैरक़ानूनी है.&quot;</p><p>उधर संसदीय कार्य मंत्री अर्जुन मेघवाल ने सोमवार को कहा है कि राज्यों को इस क़ानून को लागू करना होगा, क्योंकि संसद ने इसे मंजूरी दे दी है.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50934622?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’CAA भारत के संविधान और देश की बुनियाद के लिए ख़तरा'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50874559?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत में नागरिकता दी और छीनी कैसे जाती है?</a></li> </ul><h3>क्या है सीएए?</h3><p>संसद के दोनों सदनों से पारित और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) बना है लेकिन इसके विरोध में देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन का दौर लगातार जारी है.</p><p>पूरे देश में इसका विरोध इसलिए हो रहा है क्योंकि इसे संविधान की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता के ख़िलाफ़ बताया गया है.</p><p>इस क़ानून के मुताबिक़ भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. इन तीन देशों के मुसलमानों को यह कहते हुए इससे अलग रखा गया है कि इन तीन देशों में वे अल्पसंख्यक नहीं हैं.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46794290?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या नागरिकता संशोधन बिल से ख़तरे में हैं असमिया संस्कृति!</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50885059?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">नागरिकता संशोधन क़ानून: छात्र बनाम शासन</a></li> </ul><figure> <img alt="नागरिकता संशोधन क़ानून पर विरोध प्रदर्शन" src="https://c.files.bbci.co.uk/184BB/production/_110351599_6dfb26ea-8a78-43b6-8862-3bb635a50a30.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><h3>क्यों हो रहा है विरोध?</h3><p>इस क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन की शुरुआत पूर्वोत्तर राज्य असम से हुई. लेकिन वहां इसका विरोध मूल रूप से इस पर हो रहा है कि वर्तमान सरकार हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की फिराक में प्रवासी हिंदुओं के लिए भारत की नागरिकता लेकर यहां बसना आसान बनाना चाहती है. </p><p>जबकि असम में अगस्त 2019 में यहां के नागरिकों का एक रजिस्टर जारी किया गया. इसमें मार्च 1971 से पहले से रह रहे लोगों को ही जगह मिली है जबकि उसके बाद से आए लोगों के नागरिकता दावों को संदिग्ध माना गया है जबकि नागरिकता संशोधन क़ानून में 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50912809?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">CAA प्रदर्शन: दिल्ली की सर्द रात में महिलाओं का मोर्चा</a></li> </ul><p>असम में विरोध इसी बात का है कि बिल में संशोधन के जरिए बीजेपी यहां शरणार्थियों के रहने की न्यूनतम सीमा को घटाकर 6 साल करना चाहती है. इससे पहले यह अवधि 11 साल तय की गई थी.</p><p>वहीं देश के विभिन्न इलाकों में विरोध कर रही विपक्षी पार्टियों का इस बिल के विरोध में प्रमुख तर्क है कि इसमें धार्मिक पहचान को प्रमुखता दी गई है. विपक्ष का यह भी तर्क है कि नागरिकता संशोधन के लिए धार्मिक पहचान को आधार बनाना संविधान के आर्टिकल 14 की मूल भावना के खिलाफ है. आर्टिकल 14 बराबरी के अधिकार की व्याख्या करता है.</p><h3>ये भी पढ़ेंः</h3> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50917917?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">CAA: महमूद मदनी ने कहा, दूसरे दर्जे का नागरिक बनना मंज़ूर नहीं, चाहे ज़िंदगी रहे या जाए</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50925426?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ममता के ऐलान पर कर्नाटक में चढ़ा सियासी पारा</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50915634?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">क्या एक ही पटरी पर हैं चिदंबरम और अमित शाह?</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें