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आडवाणी को मैं देशभक्त मानता हूँ: जस्टिस लिब्रहान

<figure> <img alt="राम मंदिर आंदोलन के दौरान आडवाणी" src="https://c.files.bbci.co.uk/347D/production/_109973431_12b5413a-7de8-4843-9489-c46af1c0301f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने की जांच करने वाले जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रहान को अब लगता है कि उनका जांच आयोग ‘राजनीतिक समस्याओं को शांत करने के लिए’ गठित हुआ था और इसका कोई वास्तविक असर नहीं हुआ.</p><p>बीबीसी से विशेष […]

<figure> <img alt="राम मंदिर आंदोलन के दौरान आडवाणी" src="https://c.files.bbci.co.uk/347D/production/_109973431_12b5413a-7de8-4843-9489-c46af1c0301f.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने की जांच करने वाले जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रहान को अब लगता है कि उनका जांच आयोग ‘राजनीतिक समस्याओं को शांत करने के लिए’ गठित हुआ था और इसका कोई वास्तविक असर नहीं हुआ.</p><p>बीबीसी से विशेष बातचीत करते हुए जस्टिस लिब्रहान ने कहा, &quot;मैंने उम्मीद की थी कि अभियोग चलेगा और ज़िम्मेदार ठहराए गए लोग अपनी ज़िम्मेदारी स्वीकार करेंगे और सरकार भी ज़िम्मेदारी लेगी.&quot;</p><p>जस्टिस लिब्रहान कहते हैं, &quot;एक तरह से ये मेरे प्रयासों की बर्बादी था, जैसा कि सभी आयोगों की रिपोर्टों के साथ होता ही रहा है.&quot; </p><p>6 दिसंबर 1992 को कट्टरवादी हिंदुओं की भीड़ ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था. इसके 10 दिन बाद भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने इस घटना की जांच के लिए एक सदस्यीय आयोग गठित किया था.</p><p>उस समय पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में जज रहे जस्टिस मनमोहन सिंह लिब्रहान को 6 दिसंबर को हुए घटनाक्रम की जांच पूरी करके जल्द से जल्द रिपोर्ट पेश करने की ज़िम्मेदारी दी गई थी.</p><p>सरकारी की ओर से जारी नोटिफ़िकेशन में कहा गया था कि आयोग तीन महीनों के भीतर रिपोर्ट पेश करेगा. लेकिन लिब्रहान आयोग को जांच पूरी करने में 17 साल लग गए. सरकार को 48 बार आयोग के कार्यकाल को बढ़ाना पड़ा.</p><p>जस्टिस लिब्रहान ने 30 जून 2009 को अपनी रिपोर्ट पेश की थी. अपनी रिपोर्ट में उन्होंने राजनीतिक सत्ता हासिल करने के लिए धर्म का इस्तेमाल रोकने के लिए सज़ा देने का प्रावधान करने की सिफ़ारिश की थी. हालांकि उनकी सिफ़ारिशों पर कभी अमल नहीं हो सका. </p><p>जस्टिस लिब्रहान ने ये भी कहा था कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाना एक सोची समझी साज़िश थी. हाल ही में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में आए सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में भी जस्टिस लिब्रहान की रिपोर्ट के इस बात पर मुहर लगाई गई है.</p><p>भारत की राजनीति के सबसे ताक़तवर लोगों में शामिल रहे लालकृष्ण आडवाणी और कल्याण सिंह जैसे नेता लिब्रहान आयोग के समक्ष पेश हुए. जस्टिस लिब्रहान कहते हैं कि इन लोगों में उन्हें कभी क़ानून का डर नहीं दिखा. </p><p>ये पूछे जाने पर कि क्या अब उन्हें इस आयोग का हिस्सा होने पर अफ़सोस होता है, जस्टिस लिब्रहान कहते हैं, &quot;मुझे लगता है कि मैंने जो किया है अच्छा किया और मुझे कभी इस आयोग को लेकर अफ़सोस नहीं हुआ.&quot;</p><p><a href="https://www.youtube.com/watch?v=j5YDUe264xE">https://www.youtube.com/watch?v=j5YDUe264xE</a></p><p>राम मंदिर आंदोलन के अग्रणी नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी को जस्टिल लिब्रहान देशभक्त मानते हैं. उनके बारे में पूछे जाने पर लिब्रहान ने कहा, &quot;लालकृष्ण आडवाणी एक चालाक राजनेता हैं और देशभक्त हैं और मैं उन्हें कुछ हद तक बाबरी मस्जिद को गिराने का ज़िम्मेदार भी मानता हूं. वो अपराधी हैं या नहीं ये आपराधिक अदालत को तय करना है. मैंने उन्हें अपराधी नहीं कहा है.&quot; </p><p>बाबरी मस्जिद गिराए जाने के लिए वो सबसे बड़ा ज़िम्मेदार किसे मानते हैं, इस सवाल पर लिब्रहान कहते हैं, &quot;अगर व्यावहारिक रूप से देखें तो बाबरी मस्जिद गिराने के लिए सबसे बड़े ज़िम्मेदार कल्याण सिंह थे. सबसे ज़्यादा भूमिका उन्हीं की थी. हर स्टेज पर, हर अदालत के सामने उन्होंने झूठ बोला. इस घटना का राजनीतिक फ़ायदा भी उठाया.&quot;</p><p>हालांकि कल्याण सिंह इन आरोपों को नकारते रहे हैं. एनडीटीवी को दिए एक साक्षात्कार में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कहा था कि जस्टिस लिब्रहान की रिपोर्ट कूड़ेदान में फेंकने के लायक है.</p><p>जस्टिस लिब्रहान मानते हैं कि सबूतों को सुरक्षित रखना इस जांच के दौरान सबसे मुश्किल काम था. उन्हें ये भी लगता है कि वो इसमें पूरी तरह से कामयाब नहीं हो सके. लिब्रहान कहते हैं कि कई गवाह तो उनके समक्ष पेश ही नहीं हुए. एक हज़ार पन्नों की रिपोर्ट तैयार करने से पहले लिब्रहान ने सौ से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए थे. </p><figure> <img alt="कारसेवकों पर लाठीचार्ज करती पुलिस" src="https://c.files.bbci.co.uk/AF98/production/_110025944_165155b6-f23c-4566-9ca4-dc103fe53ad2.jpg" height="351" width="624" /> <footer>AFP</footer> </figure><p>अब जस्टिस लिब्रहान छह दिसंबर को एक राजनीतिक घटनाक्रम के तौर पर देखते हैं. वो कहते हैं कि इस घटना के पीछे राजनेता शामिल थे जो अब भारत की सत्ता में शामिल हैं और उनके यहां तक पहुंचने में इस घटना का अहम किरदार रहा है. </p><p>वो ये भी कहते हैं कि इस जांच के बहुत से तथ्य सार्वजनिक नहीं हुए हैं और अब उनका सार्वजनिक होना ज़रूरी भी नहीं है.</p><p>बाबरी मस्जिद को गिराया जाना भारतीय राजनीतिक और सामाजिक इतिहास का अहम पड़ाव है. जस्टिस लिब्रहान कहते हैं कि इस घटना का सबसे त्रासद पहलू इसके राजनीतिक नुक़सान और फ़ायदे हैं.</p><p>बाबरी मस्जिद को गिराए जाने के मुक़दमों की लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत में सुनवाई चल रही है. क्या किसी अभियुक्त को सज़ा मिलेगी, जस्टिस लिब्रहान कहते हैं, &quot;मुझे नहीं लगता कि बाबरी मस्जिद को गिराने का कोई अभियुक्त सज़ा भुगतेगा. ये एक तरह का डिवाइन जस्टिस ही होगा.&quot;</p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-50357711?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अयोध्या मामला: ओवैसी ने क्यों डाला ये बुक कवर?</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50194793?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">हिंदू पक्षों ने 104 साल बाद समझी ‘रामलला विराजमान’ की अहमियत</a></p><p><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-50594709?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अयोध्या: राम मंदिर निर्माण कब शुरू होगा?</a></p><p>डिवाइन जस्टिस से उनके मायने क्या हैं, इस पर लिब्रहान कहते हैं, ‘डिवान जस्टिस से मेरा मतलब है ईश्वर की ओर से किया गया न्याय, जो ईश्वर को सही लगा.'</p><p>ये पूछने पर कि अगर बाबरी मस्जिद को गिराए जाने पर किसी को सज़ा न होना डिवाइन जस्टिस है तो क्या बाबरी मस्जिद का गिराया जाना ईश्वर की नज़र में भी सही रहा होगा, जस्टिस लिब्रहान कहते हैं, &quot;हो सकता है, इस पर मेरी कोई निजी राय नहीं है.&quot;</p><p>जांच रिपोर्ट पेश करने में देरी के सवाल पर वो कहते हैं, &quot;राजनीतिक दलों की राजनीतिक ज़रूरतों की वजह से जांच रिपोर्ट के पेश होने में देरी हुई. बाबरी को गिराए जाने की घटना पर हमेशा राजनीति होती रही और आगे भी होगी.&quot;</p><p>तो क्या उन पर भी कोई राजनीतिक दबाव था, जस्टिस लिब्रहान कहते हैं, &quot;मेरे पर कभी किसी सरकार का कोई प्रभाव नहीं रहा, न कभी कोई दबाव था. मैं जो कर सकता था मैंने किया.&quot; </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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