इस्लामाबाद : पाकिस्तान में शुक्रवार को प्रमुख अखबारों ने देश के सेना प्रमुख के सेवा विस्तार से संबंधित संवेदनशील मामले से मूर्खतापूर्ण तरीके निपटने के लिए इमरान खान सरकार की निंदा की और कहा कि लोगों का उनके शासन पर भरोसा सबसे अधिक घटा है.
पाकिस्तान के उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को जनरल कमर जावेद बाजवा को अगले छह महीने के लिए सेना प्रमुख के तौर पर बने रहने की अनुमति दे दी. बाजवा फिलहाल छुट्टी पर हैं. अदालत ने देश की सेना के बारे में सरकार से सख्त सवाल किये. मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सरकार से यह आश्वासन मिलने के बाद ऐतिहासिक फैसला सुनाया कि वह सेना प्रमुख के सेवा विस्तार/पुनर्नियुक्ति पर छह महीने के भीतर संसद में विधेयक पारित करेगी.
‘डॉन’ अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा कि तीन दिन चले जबरदस्त नाटक के बाद तंत्र को यह हल मिला और संभावित गतिरोध टल गया. अखबार ने लिखा कि सरकार ने 59 वर्षीय बाजवा के सेवा विस्तार को लेकर जब एक नया ‘सार’ पेश किया तब यह फैसला सामने आया. यह फैसला उसी वक्त आया जब बाजवा बृहस्पतिवार आधी रात को सेवानिवृत्त होने वाले थे. ‘द न्यूज इंटरनेशनल’ ने अपने संपादकीय में लिखा, यह सरकार की सरासर नाकामी है और उसने जो गलती की है, जैसे मूल अधिसूचना पर इतनी जल्दबाजी में कार्रवाई करना और सेना अधिनियम के प्रावधानों या सैन्य नियमों से अनजान प्रतीत होना, यह सब भरोसा जीतने में मदद नहीं करेगा.
‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने अपने संपादकीय में लिखा, खुशकिस्मती से हम संकट से बाहर हैं, कम से कम फिलहाल तो. ‘बिजनेस रिकॉर्डर’ ने अपने संपादकीय में जोर दिया कि क्या शीर्ष अदालत ने इसे चुना है, यह तो सरकार और सेना के लिए बहुत बड़ी शर्मिंदगी है.