<figure> <img alt="किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य (फ़ाइल फ़ोटो)" src="https://c.files.bbci.co.uk/ADB8/production/_109927444_hi057380429.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में हर साल केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्य सरकार किसानों से धान ख़रीदती रही है (फ़ाइल फ़ोटो)</figcaption> </figure><p>छत्तीसगढ़ में इस साल धान की ख़रीदी 1815 और 1835 रुपये प्रति क्विंटल की दर से ही होगी. </p><p>पिछले साल सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी की सरकार ने किसानों से 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से धान की ख़रीदी की थी. </p><p>देश भर में सबसे अधिक क़ीमत पर धान ख़रीदी के छत्तीसगढ़ सरकार के इस फ़ैसले की चर्चा पूरे देश भर में हुई थी. </p><p>बरसों से धूल खा रही स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट का हवाला दे कर राज्य सरकार ने हर साल इसी क़ीमत पर धान खरीदने का वादा भी किया था. </p><p>लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के साल भर भी पूरे नहीं हुए हैं और केंद्र सरकार के दबाव में उसे अपने वादे से पीछे हटना पड़ा है.</p><p>धान को लेकर विधानसभा में लगातार बहस हो रही है. </p><p>इस मुद्दे पर गुरुवार को विपक्षी दलों द्वारा विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव भी लाया गया और ज़ोरदार हंगामे के बीच विपक्ष 15 विधायकों को निलंबित भी कर दिया गया.</p><figure> <img alt="छत्तीसगढ़, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य" src="https://c.files.bbci.co.uk/13845/production/_109914997_paddy.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> </figure><h1>किसानों का नुकसान?</h1><p>राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस मुद्दे पर कहा, "भारत सरकार और भारतीय जनता पार्टी के अहंकार की तुष्टि के लिए, सभी संग्रहण केंद्रों में 1815 और 1835 रुपये का ही बैनर टांगेंगे लेकिन अंतर की जो राशि है, वह किस प्रकार किसानों की जेब में जाये, उसके लिये हमने पांच मंत्रियों की समिति बना दी है और किसानों की जेब तक 2500 रुपये की रकम जाये, ये हम सुनिश्चित कर रहे हैं. किसी भी क़ीमत पर किसानों का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा."</p><p>लेकिन राज्य में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी का आरोप है कि राज्य सरकार किसानों के साथ धोखाधड़ी कर रही है. </p><p>2500 रुपये प्रति क्विंटल की क़ीमत को लेकर मंत्रियों की समिति को भी भाजपा महज किसानों को भरमाने वाला क़दम बता रही है.</p><p>भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं, "इसका हश्र वैसा ही होगा, जैसा शराबबंदी के लिये इन्होंने पांच मंत्रियों की कमेटी बनाई है. पूरा हिंदुस्तान घूम रहे हैं और आज तक कोई निर्णय नहीं आया. इस मामले में भी ऐसा ही होगा."</p><figure> <img alt="छत्तीसगढ़, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य" src="https://c.files.bbci.co.uk/7E10/production/_109927223_paddymsp.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> </figure><h1>न्यूनतम समर्थन मूल्य</h1><p>धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में हर साल केंद्र सरकार द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर राज्य सरकार किसानों से धान ख़रीदती रही है. </p><p>लेकिन धान की क़ीमत को लेकर शुरू से किसानों में असंतोष रहा है.</p><p>देश भर में किसान इस बात की मांग करते रहे हैं कि भारत सरकार द्वारा बनाई गई एमएस स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को सरकार लागू करे.</p><p>18 नवंबर 2004 को भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन की अध्यक्षता में राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया गया था. </p><p>इस आयोग ने सिफारिश की थी कि किसानों को लागत का कम से कम डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य मिलना चाहिए.</p><p>लेकिन किसी भी सरकार ने स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं किया. </p><figure> <img alt="छत्तीसगढ़, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य" src="https://c.files.bbci.co.uk/CC30/production/_109927225_paddy-2.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> </figure><h1>धान की कीमत</h1><p>अगर धान की बात करें तो 1984-85 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 137 रुपये था. </p><p>अगले दस सालों तक धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य में चार बार इजाफा हुआ और 2004-05 में यह 560 रुपये प्रति क्विंटल जा पहुंचा. </p><p>2009-10 में यह क़ीमत 1050 रुपये जा पहुंची. 2013-14 में साधारण धान का समर्थन मूल्य 1310 रुपये कर दिया.</p><p>2013 में छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार ने तीसरी बार सत्ता में आने पर किसानों को धान का समर्थन मूल्य 2100 रुपये देने का वादा किया था. </p><p>12 दिसंबर 2013 को जब रमन सिंह ने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद शपथ ली तो उन्होंने मंच से ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नाम धान की क़ीमत 2100 रुपये किए जाने की एक चिट्ठी पर हस्ताक्षर किया और फिर न्यूनतम समर्थन मूल्य की गेंद, केंद्र के पाले में डाल कर उसे भूल गए.</p><figure> <img alt="भारतीय किसान" src="https://c.files.bbci.co.uk/3742/production/_100164141_gettyimages-861220472.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>दूसरे क्षेत्र में लोगों की आय</h1><p>2016-17 में केंद्र सरकार ने साधारण धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1470 रुपये और 2017-18 में 1550 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया. </p><p>चुनावी साल था, इसलिये राज्य सरकार ने किसानों को इस समर्थन मूल्य के अलावा 300 रुपये बोनस का भुगतान भी किया. लेकिन वायदे के अनुसार किसानों के धान की क़ीमत पांच साल में भी 2100 रुपये तक नहीं पहुंच सकी.</p><p>किसान नेता नंद कश्यप का कहना है कि पिछले कुछ सालों में जिस तेज़ी से दूसरे क्षेत्र में लोगों की आय बढ़ी है, महंगाई बढ़ी है, उसके साथ फसलों की क़ीमत की तुलना नहीं की जा सकती. </p><p>वे उदाहरण देते हैं कि 1970 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 51 रुपये था और उस दौर में सोना 104 रुपये में 11 ग्राम मिलता था. आज धान और सोने की क़ीमत की तुलना ही नहीं की जा सकती.</p><p>नंद कश्यप कहते हैं, "रिज़र्व बैंक का दो साल पहले का एक अध्ययन बताता है कि 1984-85 से अब तक धान के समर्थन मूल्य में 10.7 गुना वृद्धि हुई है लेकिन इसी दौर में सरकार के कर राजस्व में 50 गुना वृद्धि हुई है. आप आंकड़ो में देखें तो 1970 में धान का समर्थन मूल्य 51 रुपये था, जिसमें आज लगभग 36 गुना वृद्धि हुई है लेकिन इस दौरान सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह में 150 से 350 गुना तक की वृद्धि की गई है. इस तरह तो किसानों को धान के लिये प्रति क्विंटल कम से कम 5000 रुपये मिलना था."</p><figure> <img alt="छत्तीसगढ़, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य" src="https://c.files.bbci.co.uk/122E8/production/_109927447_paddy.jpg" height="549" width="976" /> <footer>ALOK PRAKASH PUTUL/bbc</footer> </figure><h1>2500 रुपये में धान ख़रीदी</h1><p>2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में धान की क़ीमत 2500 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा किया और नवंबर 2018 में जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की सरकार बनी तो राज्य सरकार ने 2500 रुपये की दर से धान की ख़रीदी भी की.</p><p>2017-18 में राज्य सरकार ने 56.88 लाख मेट्रिक टन धान की ख़रीदी की थी. लेकिन 2018-19 में सत्ता में आने वाली कांग्रेस सरकार ने समर्थन मूल्य पर 80.38 मेट्रिक टन धान की खरीदी की.</p><p>दूसरी ओर, केंद्र ने भी छत्तीसगढ़ राज्य से 2017-18 में केंद्रीय पूल में 31.73 लाख मेट्रिक टन चावल की तुलना में 2018-19 में 39.14 लाख मेट्रिक टन चावल की ख़रीदी की.</p><p>किसान नेता आनंद मिश्रा कहते हैं, "स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश को मानें तो धान के लिये 2500 रुपये की यह क़ीमत भी कम ही थी. लेकिन सच कहें तो किसी को भरोसा नहीं था कि कांग्रेस पार्टी सत्ता में आने पर धान की इतनी क़ीमत देगी."</p><p>राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किसानों की कर्ज माफ़ी और धान की इस बढ़ी हुई क़ीमत को छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिये एक बड़ी उपलब्धि बताते हैं. </p><figure> <img alt="छत्तीसगढ़, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य" src="https://c.files.bbci.co.uk/5F98/production/_109927442_bjp-protest3.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> </figure><h1>छत्तीसगढ़ का बाज़ार</h1><p>मुख्यमंत्री का मानना है कि देश में जब मंदी छाई है, तब इसी पैसे के कारण छत्तीसगढ़ का बाज़ार लगातार मज़बूत होता चला गया.</p><p>उनका दावा है कि देश में ऑटोमोबाइल सेक्टर में 19 फीसदी की गिरावट आई, वहीं छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है, जहां ऑटोमोबाइल सेक्टर में 25 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. इसके अलावा सराफा और दूसरे सेक्टर में भी उछाल का दावा किया गया.</p><p>लेकिन इन दावों के बीच इस साल जब फिर से धान ख़रीदी की तैयारी शुरु हुई तो केंद्र ने चिट्ठी लिख कर साफ़ कर दिया कि 2500 रुपये की क़ीमत पर अगर छत्तीसगढ़ ने धान की ख़रीदी की तो वह सेंट्रल पूल में छत्तीसगढ़ से चावल नहीं लेगा.</p><p>केंद्र सरकार राज्य में खरीदे गये धान का लगभग आधा चावल ख़रीदती रही है. लेकिन इस साल 1 दिसबंर से 85 लाख टन धान की खरीदी की तैयारी में जुटी राज्य सरकार के सामने यह बड़ा संकट खड़ा हो गया कि अगर केंद्र ने चावल नहीं खरीदा तो इतने चावल का राज्य सरकार करेगी क्या?</p><figure> <img alt="छत्तीसगढ़, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य" src="https://c.files.bbci.co.uk/11A50/production/_109927227_raman-singh.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> <figcaption>पूर्व मुख्यमंत्री रमण सिंह का आरोप है कि राज्य सरकार किसानों से 2500 रुपये में धान लेने में आनाकानी कर ही रही है</figcaption> </figure><h1>धान पर राजनीति</h1><p>केंद्र पर चावल की ख़रीदी का दबाव बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने छत्तीसगढ़ में तरह-तरह के आंदोलन शुरू किए. राज्य भर में धरना-प्रदर्शन किया गया. मंत्रियों ने आर्थिक नाकेबंदी की चेतावनी दी. भाजपा सांसदों के घरों का घेराव कर नगाड़ा बजाया गया.</p><p>कांग्रेस पार्टी का दावा है कि राज्य भर से 17 लाख किसानों ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखी, जिसे पांच गाड़ियों में भर कर राज्यपाल को सौंपा गया. 2500 रुपये की दर से धान ख़रीदी को लेकर दिल्ली में भी प्रदर्शन करने की योजना बनी.</p><p>लेकिन विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी राज्य सरकार के ऐसे तमाम दावों को नौटंकी करार दे रही है. </p><p>केंद्र की भाजपा सरकार भले 2500 रुपये में धान ख़रीदे जाने पर राज्य से चावल नहीं ख़रीदने का फ़ैसला सुना चुकी है लेकिन राज्य में विपक्ष में बैठी भाजपा दबाव बना रही है कि कांग्रेस पार्टी की सरकार 2500 रूपये की दर से ही धान ख़रीदे. इसके लिये भाजपा ने भी आंदोलन शुरू किया है. </p><p>भाजपा नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक का कहना है कि कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार से पूछ कर 2500 रुपये में धान ख़रीदने का वादा नहीं किया था. अब वह बेवजह केंद्र सरकार को बीच में ला रही है. </p><figure> <img alt="छत्तीसगढ़, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य" src="https://c.files.bbci.co.uk/16870/production/_109927229_bhupeshbaghel.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> <figcaption>मुख्यमंत्री का मानना है कि देश में जब मंदी छाई है, तब इसी पैसे के कारण छत्तीसगढ़ का बाज़ार लगातार मज़बूत होता चला गया</figcaption> </figure><h1>सेंट्रल पूल से चावल की खरीद</h1><p>पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह कहते हैं, "1 दिसंबर को राज्य की 1380 धान ख़रीदी केंद्रों में भारतीय जनता पार्टी किसानों को साथ लेकर 2500 रुपये में धान ख़रीदने की मांग को लेकर धरना देगी."</p><p>लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चाहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद केंद्र पर इस बात के लिए दबाव बनाए कि वह सेंट्रल पूल में चावल न ख़रीदने का अपना फ़ैसला बदले. </p><p>बघेल का कहना है कि केंद्र सरकार नहीं मानेगी तो केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित क़ीमत पर ही धान की ख़रीदी की जाएगी लेकिन किसानों को प्रति क्विंटल 2500 रुपये की दर से लगभग 750 रुपये की अतिरिक्त रक़म किस तरह दी जाए, इसके लिये कमेटी बना दी गई है. </p><p>वे कहते हैं, "केंद्र सरकार का कहना है कि किसानों को 2500 रुपये देने से अर्थव्यवस्था गड़बड़ाती है, इसलिये हमसे चावल लेने से वह इनकार कर रही है. लेकिन किसानों के खाते में पैसा डालने से अर्थव्यवस्था नहीं बिगड़ती. रिज़र्व बैंक से हर साल 1.74 लाख करोड़ रुपये निकाल कर कार्पोरेट सेक्टर में डालने से अर्थव्यवस्था बिगड़ती है."</p><figure> <img alt="छत्तीसगढ़, किसान, न्यूनतम समर्थन मूल्य" src="https://c.files.bbci.co.uk/0CC8/production/_109927230_congressprotest.jpg" height="549" width="976" /> <footer>CG KHABAR</footer> </figure><h1>किसानों की आमदनी</h1><p>बघेल सवाल उठाते हैं कि धान के समर्थन मूल्य में केंद्र सरकार ने पिछले साल की तुलना में 65 रुपये की बढोत्तरी की है. इस 65 रुपये से किसानों की आय दुगुनी कैसे होगी? </p><p>भूपेश बघेल कहते हैं, "भारत सरकार भी तो आख़िर किसान सम्मान निधि दे रही है. जैसे ओडिशा में कालिया, आंध्र या तेलंगाना में रायतू…हमारे छत्तीसगढ़ में भी किसानों के साथ न्याय होगा. मैंने यह घोषणा की है कि किसानों की जेब में हर हालत में 2500 रुपये जाएंगे."</p><p>हालांकि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को इस बात पर भरोसा नहीं है. उनका आरोप है कि राज्य सरकार किसानों से 2500 रुपये में धान लेने में आनाकानी तो कर ही रही है, 6 लाख हेक्टेयर धान का रकबा कम करके, कम ख़रीदी की साजिश भी कर रही है.</p><p>रमन सिंह कहते हैं, "ये सरकार पीछे के रास्ते से भागना चाहती है. किसानों को रकबा कम नहीं करने पर एफआईआर दर्ज़ करने की नोटिस दी जा रही है. लेकिन भारतीय जनता पार्टी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी."</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a 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