<figure> <img alt="व्हट्सएप" src="https://c.files.bbci.co.uk/11AC3/production/_109478327_gettyimages-1176191402.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>फ़ेसबुक की मिल्कियत वाली मैसेजिंग सर्विस व्हाट्सऐप ने इसराइली कंपनी NSO पर आरोप लगाया है कि उसने अपने स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के ज़रिए कई लोगों की जासूसी की है.</p><p>स्पाइवेयर पेगासस के शिकार हुए लोगों में वैश्विक स्तर पर राजनयिक, राजनैतिक विरोधी, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ सरकारी कर्मचारी शामिल हैं. </p><p>व्हाट्सऐप ने मंगलवार को कैलिफ़ोर्निया की संघीय अदालत में इसराइल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी NSO ग्रुप के ख़िलाफ़ मुक़दमा भी दायर किया.</p><p>दर्जनों भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी के शिकार हुए हैं. </p><p>व्हाट्सऐप का कहना है कि NSO ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके ज़रिए अज्ञात संस्थानों ने जासूसी के लिए क़रीब 1,400 लोगों के फ़ोन हैक किए. माना जा रहा है कि चार महाद्वीपों के यूज़र्स इस जासूसी के शिकार बने हैं. </p><p><strong>व्हाट्सऐप </strong><strong>ने क्या बताया?</strong></p><p>व्हाट्सऐप ने हालांकि अभी तक यह साफ़ नहीं किया है कि किसके कहने पर पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फ़ोन हैक किए गए. </p><p>कंपनी ने कहा कि मई में उसे एक ऐसे साइबर हमले का पता चला जिसमें उसकी वीडियो कॉलिंग प्रणाली के ज़रिए ऐप का इस्तेमाल करने वाले लोगों को मालवेयर (वायरस) भेजा गया.</p><p>व्हाट्सऐप ने बताया कि उन्होंने लगभग 1,400 यूज़र्स को विशेष व्हाट्सऐप संदेश के ज़रिए इसकी जानकारी दी है. हालांकि कंपनी ने भारत में इस स्पाइवेयर हमले से प्रभावित लोगों की संख्या नहीं बताई है लेकिन कंपनी के प्रवक्ता ने कहा है कि इस हफ़्ते उन्होंने जिन लोगों से संपर्क किया उनमें भारतीय यूज़र्स भी शामिल हैं.</p><p>वैश्विक स्तर पर व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करने वालों की संख्या डेढ़ अरब है. भारत में क़रीब 40 करोड़ से ज़्यादा लोग व्हाट्सऐप का इस्तेमाल करते हैं.</p><p>मैसेजिंग ऐप की एक बड़ी ख़ामी का फ़ायदा उठाकर हैकर्स ने फ़ोन और दूसरे उपकरणों में दूर बैठकर ही ये निगरानी सॉफ़्टवेयर डाल दिया.</p><p>भारत के संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक बयान में कहा कि सरकार व्हाट्सऐप पर नागरिकों की निजता के उल्लंघन को लेकर चिंतित है. उन्होंने कहा कि सरकार, सभी भारतीय नागरिकों की निजता की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.</p><p><a href="https://twitter.com/rsprasad/status/1189867411693953026">https://twitter.com/rsprasad/status/1189867411693953026</a></p><p><strong>NSO</strong><strong> ने</strong><strong> जवाब</strong><strong> में</strong><strong> क्या कहा?</strong></p><p>इसराइली साइबर इंटेलिजेंस कंपनी NSO ने अपनी प्रतिक्रिया में ख़ुद पर लगे आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि वह इन आरोपों के ख़िलाफ़ मज़बूती से मुक़ाबला करेगी. </p><p>एनएसओ की तरफ़ से जारी बयान में लिखा है, "हम कड़े शब्दों में आरोपों का खंडन करते हैं और इनके ख़िलाफ़ लड़ेंगे. एनएसओ का एकमात्र उद्देश्य लाइसेंस प्राप्त सरकारी ख़ुफ़िया और क़ानून लागू करने वाली एजेंसियों को आतंकवाद और गंभीर अपराध से लड़ने में मदद करने के लिए टेक्नोलॉजी देना है.” </p><p>”हमारी तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने के लिए डिज़ाइन नहीं की गई है और न ही इसकी इजाज़त है. हमारी तकनीक ने हाल के वर्षों में हज़ारों लोगों की जान बचाने में मदद की है." </p><p>NSO ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "सच्चाई यह है कि सख़्ती से एन्क्रिप्ट किए गए प्लेटफ़ॉर्म अक्सर बच्चों का उत्पीड़न करने वाले समूह, ड्रग सरगना और आतंकवादियों के ज़रिए अपनी आपराधिक गतिविधियों को छुपाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं.” </p><p>”अच्छी तकनीक की कमी के चलते क़ानून प्रवर्तन एजेंसियों को हमें सुरक्षित रखने में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है. एनएसओ की तकनीक इसमें वैध और आनुपातिक समाधान प्रदान करती है."</p><p>"हम गंभीर अपराध और आतंकवाद के अलावा और किसी भी दूसरे काम के लिए अपने उत्पाद के इस्तेमाल को दुरुपयोग समझते हैं, यह हमारे अनुबंध में शामिल है. अगर हमें किसी भी दुरुपयोग का पता चलता है तो हम कार्रवाई करते हैं.” </p><p>”यह तकनीक मानव अधिकारों के संरक्षण के लिए निहित है हमने संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों के अनुकूल काम करना सुनिश्चित किया है. जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि हमारे उत्पाद सभी मौलिक मानवाधिकारों का सम्मान कर रहे हैं."</p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/11/131127_hollywood_israel_spy_fma?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">इसराइल के जासूस थे हॉलीवुड फ़िल्म निर्माता</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-38526305?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोसाद को चाहिए महिला जासूस</a></li> </ul><figure> <img alt="व्हट्सएप" src="https://c.files.bbci.co.uk/50BC/production/_109486602_2118ff0f-0ea9-4b86-8a3e-82dd4e80162c.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>साइबर हथियारों </strong><strong>पर इसराइल की छूट</strong></p><p>ग़ौर करने वाली बात है कि कई मानवाधिकार समूहों ने पहले भी ये आरोप लगाए हैं कि कुछ देशों की सरकारें साइबर हथियारों की मदद से अपने राजनीतिक दुश्मनों की जासूसी करवाते हैं और अपने ख़िलाफ़ होने वाले असंतोष को कुचलने की कोशिश करते हैं.</p><p>इन आरोपों के बावजूद इसराइल ने साइबर हथियारों के निर्यात संबंधी नियमों में ढील दी हुई है. </p><p>अगस्त महीने में प्रकाशित एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इसराइली रक्षा मंत्रालय ने अपने नियमों में बदलाव किया. जिसके बाद साइबर इंटेलिजेंस से जुड़ी कंपनियां कुछ ख़ास देशों में उत्पादों की बिक्री के लिए मार्केटिंग लाइसेंस पर छूट प्राप्त कर सकती हैं. </p><p>मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इसराइली कंपनियों के स्पाइवेयर ग्राहकों में शामिल हैं, ये ऐसे देशों में गिने जाते हैं जिनका मानवाधिकार रिकॉर्ड अच्छा नहीं माना जाता.</p><p>इस साल की शुरुआत में, एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा था कि सरकार को इस मामले में एक सख़्त प्रक्रिया अपनानी चाहिए, क्योंकि नियमों में ढील देने से मानवाधिकारों का हनन हुआ है. </p><figure> <img alt="मोबाइल" src="https://c.files.bbci.co.uk/77CC/production/_109486603_1528b96d-ae1a-4618-bd17-d65188d7d6e8.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>लोगों की मौत का भी आरोप</h1><p>स्थानीय मीडिया में कई बार यह चर्चा रही है कि कुछ देशों ने NSO के स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल अपने राजनैतिक विरोधियों को मौत के घाट उतारने के लिए भी किया है. </p><p><a href="https://www.ft.com/content/d9127eae-f99d-11e9-98fd-4d6c20050229">फ़ाइनेंसियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट </a>में बताया की रवांडा की सरकार ने भी इसका बहुत इस्तेमाल किया. </p><p>NSO के कर्मचारियों ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि उनकी कंपनी ऐसी तकनीक विकसित करती है जो आतंकवाद और संगठित अपराध में संदिग्ध व्यक्तियों के डेटा को इकट्ठा करती है, इसके ज़रिए सरकारी ख़ुफ़िया एजेंसियों एजेंसियों को मदद मिलती है.</p><p>NSO पर बार-बार हैकिंग नियमों के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं.</p><p>फ़रवरी में यूरोप की एक प्राइवेट इक्विटी फ़र्म नोवाल्पिना कैपिटल एलएलपी ने NSO को 100 करोड़ डॉलर में ख़रीद लिया था, इस तरह NSO इसराइल में तो है लेकिन उसकी मिल्कियत यूरोपीय कंपनी की है. </p><p>हैंकिंग के आरोपों पर<a href="https://www.theguardian.com/world/2019/jun/18/whatsapp-spyware-israel-cyber-weapons-company-novalpina-capital-statement"> नोवाल्पिना कैपिटल एलएलपी ने कुछ महीने पहले यह ऐलान </a>किया था कि कंपनी में काम करने के तौर-तरीक़ों के लिए नई रूपरेखा तैयार की जा रही है. </p><p><strong>ये भी पढ़ेंः</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-48262717?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">व्हाट्सऐप में सेंध: फ़ोन में जासूसी सॉफ्टवेयर</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-42660952?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोहब्बत के जाल में फांसने वाली मोसाद की वो जासूस</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a 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WhatsApp जासूसी कांड: इसराइली कंपनी NSO ने अपनी सफ़ाई में क्या कहा?
<figure> <img alt="व्हट्सएप" src="https://c.files.bbci.co.uk/11AC3/production/_109478327_gettyimages-1176191402.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>फ़ेसबुक की मिल्कियत वाली मैसेजिंग सर्विस व्हाट्सऐप ने इसराइली कंपनी NSO पर आरोप लगाया है कि उसने अपने स्पाइवेयर ‘पेगासस’ के ज़रिए कई लोगों की जासूसी की है.</p><p>स्पाइवेयर पेगासस के शिकार हुए लोगों में वैश्विक स्तर पर राजनयिक, राजनैतिक विरोधी, पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और वरिष्ठ सरकारी […]
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