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कश्मीर: पैलेट गन, आंसू गैस के गोले से युवक की मौत हुई थी

18 साल के असरार अहमद ख़ान की मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि उन्हें पेलेट लगे थे और शेल फटने से लगी चोट के कारण उनकी मौत हुई. यह रिपोर्ट शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (स्किम्स) की ओर से जारी की गई है. इसमें असरार की मौत का कारण लिखा है- पेलेट और शेल फटने से […]

18 साल के असरार अहमद ख़ान की मेडिकल रिपोर्ट कहती है कि उन्हें पेलेट लगे थे और शेल फटने से लगी चोट के कारण उनकी मौत हुई.

यह रिपोर्ट शेर-ए-कश्मीर इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेज़ (स्किम्स) की ओर से जारी की गई है. इसमें असरार की मौत का कारण लिखा है- पेलेट और शेल फटने से आए ज़ख़्म और दिमाग़ को गंभीर चोट.

असरार 6 अगस्त 2019 को श्रीनगर के बाहरी इलाक़े शौरा में ज़ख़्मी हुए थे.

सेना के जनरल ऑफ़िसर कमांडिंग केएसजे ढिल्लों ने पुलिस और सेना की एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था कि असरार को पत्थर लगा था इसी से उनकी मौत हो गई.

मगर मेडिकल रिपोर्ट के मुताबिक़, असरार को 6 अगस्त को स्किम्स में भर्ती किया गया था और तीन सितंबर को रात 8.15 बजे उन्होंने दम तोड़ा.

असरार को स्किम्स के न्यूरोसर्जरी वॉर्ड में भर्ती किया गया था.

क्या कहते हैं परिजन

परिवार के सदस्यों ने बीबीसी को बताया कि असरार को क्रिकेट खेलते समय पेलेट और आंसूगैस का गोला लगने से चोट आई थी.

असरार के पिता फ़िरदौस अहमद ख़ान ने बीबीसी को बताया, "जब सुरक्षा बल वापस लौट रहे थे, उन्होंने आंसूगैस के गोले और पेलेट दागे जिनसे असरार के सिर पर चोट आ गई."

"इसके बाद हम उसे अस्पताल ले गए. उसे वेंटिलेटर पर रखा गया क्योंकि हालत बहुत ख़राब थी. दो हफ़्तों के बाद उसे सामान्य वॉर्ड में शिफ़्ट किया मगर दो दिन बाद फिर वेंटिलेटर पर रख दिया गया जहां आख़िरकार उसने दम तोड़ दिया."

फ़िरदौस कहते हैं, "मैं पूरी दुनिया को यह आधिकारिक दस्तावेज़ दिखाना चाहता हूं जो बताता है कि मेरे बेटे की मौत पेलेट और आंसूगैस के शेल की वजह से हुई है."

जांच की मांग

शोक में डूबे असरार के पिता ने बीबीसी से कहा, "मेरा बेटा पत्थरबाज़ नहीं था. आप उसका रिकॉर्ड देख सकते हैं. हमने सभी दस्तावेज़ दिए हैं. वह बहुत बढ़िया छात्र था. मेट्रिक की परीक्षा में टॉपर रहा था और डॉक्टर बनना चाहता था."

फ़िरदौस पूछते हैं, "क्या क़सूर था उसका? मेरा बेटा तीस दिनों तक अस्पताल में रहा और सरकार की ओर से कोई इस घटना के बारे में पूछने तक नहीं आया. क्यों सरकार ने कोई जांच कमेटी नहीं बनाई? जांच की जानी चाहिए थी कि मेरा बेटा पत्थरबाज़ था या नहीं."

फ़िरदौस की आंखों से लगातार आंसू बह रहे थे. वह मांग करते हैं, "हमें सिर्फ़ इंसाफ़ चाहिए. एक जांच कमेटी बननी चाहिए ताकि पता चले कि झूठा कौन है, मैं या वो लोग."

सेना और क़रीबियों के अलग दावे

सेना के जनरल ऑफ़िसर कमांडिंग ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा था कि 5 अगस्त 2019 को पांच आम नागरिकों की मौत हुई थी और सबकी जान ‘आतंकवादियों और पत्थरबाज़ों ने ली थी.’

5 अगस्त 2019 को भारत ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी कर दिया था. उसी दिन से घाटी में कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई थीं.

अभी भी कई जगहों पर व्यापारिक प्रतिष्ठान और स्कूल बंद हैं और सड़कों पर यातायात के साधन भी कम हैं. मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगी हुई है.

असरार के दोस्त मोहम्मद मुक़ीम ने उस दिन को याद किया जब ये घटना हुई थी.

उन्होंने बताया, "शाम सात बजे का समय रहा होगा. सुरक्षा बल वापस अपने कैंपों की ओर लौट रहे थे. तभी हमारे इलाक़े के मेन रोड की तरफ़ से शोर उठा. यहां पर झड़प शुरू हुई तो हर कोई भागने लगा. असरार मेरे साथ बैठा हुआ था. हर कोई सुरक्षित जगह की ओर भागने लगा तो हम भी भागे."

मुक़ीम बताते हैं, "अचानक हमें आंसूगैस के शेल दाग़े जाने की आवाज़ सुनाई दी. एक शेल असरार से सिर से टकराया, उसी समय पैलेट भी उसके सिर पर लगा. आवाज़ सुनाई दी- मुझे उठाओ, मेरे सिर पर कुछ लगा है. जब मैंने देखा तो असरार ख़ून के छपड़े पर गिरा हुआ था. मैंने अपनी कमीज़ उतारी और उसके सिर पर लपेट दी. इस बीच एक दोस्त उसे अस्पताल ले गया."

उधर जम्मू कश्मीर पुलिस के एडीजी मुनीर ख़ान ने असरार की मेडिकल रिपोर्ट को लेकर बीबीसी से कहा कि इसमें स्पष्टता नहीं है.

उन्होंने कहा, "मैंने असरार की शुरुआती मेडिकल रिपोर्ट देखी है. यह रिपोर्ट स्पष्ट नहीं है."

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