<figure> <img alt="कश्मीर का अंतिम सुल्तान का कब्र" src="https://c.files.bbci.co.uk/F2A8/production/_108502126_kabrgaah4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> </figure><p>बिहार की राजधानी पटना से तक़रीबन 70 किलोमीटर दूर नालंदा ज़िले के इस्लामपुर में बेशवक गांव. </p><p>यहां कश्मीर पर हुकूमत कर चुके एक सुल्तान युसूफ़ शाह चक अपनी क़ब्र में आराम फ़रमा रहे हैं.</p><p>बदरंग हो चुकी चार दीवारी से घिरी इस क़ब्र के पास बरसात में उग आई हरी घास, चरती गाय और बकरियां इसकी बदहाली बयान कर रही हैं. </p><p>ऐसा लगता है कि एक विशाल मैदान में एक नाउम्मीद बादशाह तन्हा खड़ा अपनी ज़िंदगी के क़िस्से सुना रहा है.</p><p>और जिसे सुनने को कोई तैयार नहीं. </p><p>आप सोच रहे होंगे कि युसूफ़ शाह चक कौन हैं और वे कश्मीर से नालंदा किन हालात में आए होंगे.</p><figure> <img alt="कश्मीर का आख़िरी सुल्तान जिसे बिहार में कब्र मिली" src="https://c.files.bbci.co.uk/140C8/production/_108502128_kabrgaah5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> </figure><h1>युसूफ़ शाह चक कौन थे?</h1><p>ये मुग़लों के कश्मीर पहुंचने से पहले की बात है. तब कश्मीर एक ख़ुदमुख़्तार रियासत हुआ करती थी और युसूफ़ शाह चक उसके आख़िरी सुल्तान.</p><p>1578 ईस्वी से 1586 ईस्वी तक कश्मीर पर हुकूमत करने वाले युसूफ़ शाह ‘चक’ वंश के शासक थे. </p><p>14 फ़रवरी 1586 को मुग़ल बादशाह अकबर ने उन्हें क़ैद किया और 30 महीने तक क़ैद में रखा. </p><p>उसके बाद अकबर ने अपने सेनापति मानसिंह के सहायक के तौर पर युसूफ़ शाह चक को 500 मनसब (एक तरह का ओहदा) देकर नालंदा के बेशवक परगना में निर्वासित करके भेज दिया. सितंबर, 1592 में उनकी मौत हो गई.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49466353?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर में क्या अनुच्छेद 370 हटाना ही एकमात्र विकल्प था?</a></li> </ul><figure> <img alt="खुदा बक्श लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक इम्तियाज़ अहमद" src="https://c.files.bbci.co.uk/0096/production/_108505100_imtiyazahmadhistorian.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> <figcaption>निदेशक इम्तियाज़ अहमद बताते हैं कि युसूफ शाह का जिक्र कई ऐतिहासिक लेखों में मिलता है.</figcaption> </figure><h1>इतिहास में युसूफ़ शाह चक</h1><p>पटना स्थित ख़ुदा बक्श लाइब्रेरी के पूर्व निदेशक इम्तियाज़ अहमद बताते हैं, "युसूफ़ शाह का जि़क्र ‘अकबरनामा’, ‘आइन-ए-अकबरी’ के अलावा ‘बहारिस्तान-ए-शाही’ में भी मिलता है. "बहारिस्तान-ए-शाही की पांडुलिपि फारसी में है. ये मध्ययुगीन कश्मीर में चल रही राजनैतिक उठापटक का दस्तावेज़ है. इसकी पांडुलिपि इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी, लंदन में मौजूद है."</p><p>अंग्रेज़ी में इस पांडुलिपि का अनुवाद जम्मू-कश्मीर यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर रहे काशी नाथ पंडित ने किया है. </p><p>इस किताब के 14वें और 15वें चैप्टर में युसूफ़ शाह चक और उस वक़्त के कश्मीर के बारे में विस्तार से ज़िक्र है. </p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49463050?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">भारत प्रशासित कश्मीर पर क्या लिख रहे हैं पाकिस्तान के उर्दू अख़बार</a></li> </ul><figure> <img alt="कश्मीर का आख़िरी सुल्तान जिसे बिहार में कब्र मिली" src="https://c.files.bbci.co.uk/EAF6/production/_108505106_img-20190824-wa0034.jpg" height="1200" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> </figure><h1>’बहारिस्तान-ए-शाही'</h1><p>’बहारिस्तान-ए-शाही’ के मुताबिक़ शासन संभालने के बाद युसूफ़ चक अपने ही सामंतों से बहुत परेशान थे. </p><p>1580 ईस्वी में उन्होंने आगरा जाकर अकबर से मदद मांगी. अकबर ने राजा मान सिंह को युसूफ़ चक की मदद के लिए भेजा. लेकिन मुग़ल सेना के कश्मीर पहुंचने से पहले ही युसूफ़ चक और विद्रोही सामंत अब्दाल भट्ट के बीच समझौता हो गया. </p><p>नतीजा ये हुआ कि मुग़ल सेना को कश्मीर के बाहर से लौटना पड़ा और अकबर युसूफ़ शाह चक से नाराज़ हो गए. बाद में 1586 में अकबर के आदेश पर राजा भगवान दास ने कश्मीर पर आक्रमण किया. थोड़े विरोध के बाद भगवान दास और युसूफ़ शाह चक के बीच एक समझौता हुआ.</p><p>लेकिन लाहौर में जब अकबर के सामने युसूफ़ शाह को पेश किया गया तो बादशाह ने समझौता मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद अकबर ने युसूफ़ शाह चक को क़ैद किया और बाद में निर्वासित करके बिहार भेज दिया.</p><p><strong>बेशवक में </strong><strong>क़ब्रिस्तान</strong></p><p>अकबर की तरफ़ से लड़ते हुए, उड़ीसा पर फ़तह के बाद युसूफ़ शाह चक की तबीयत ख़राब हुई और अगले ही दिन उनकी मृत्यु हो गई. </p><p>’बहारिस्तान-ए-शाही’ के मुताबिक़ युसूफ़ शाह चक के शव बेशवक लाने में दो महीने लगे. </p><p>बेशवक में उन्हें दफ़नाया गया और उनकी क़ब्र के पास बहुत बड़े बग़ीचे का निर्माण किया गया. </p><p>इस क़ब्रगाह के की देखरेख करने वाले यासीर रशीद ख़ान कहते हैं, "बेशवक में हमारी छह बीघा और बग़ल के कश्मीरी चक में जहां चक वंश से जुड़े लोग रहते थे, वहां दो बीघा ज़मीन है." </p><p>"ये राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज है लेकिन 1947 के दंगों में यहां से चक ख़ानदान के ज्यादातर लोग चले गए और स्थानीय दबंगों ने ख़ाली पड़ी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा करना शुरू कर दिया."</p><figure> <img alt="कश्मीर का आख़िरी सुल्तान जिसे बिहार में कब्र मिली" src="https://c.files.bbci.co.uk/1482/production/_108505250_kabrgaah.jpg" height="1200" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> </figure><p><strong>क़ब्रगाह </strong><strong>की चार दीवारी</strong></p><p>यासिर रशीद साल 2013 से इन ज़मीनों को बचाने के लिए राज्य के सभी संबंधित अधिकारियों को पत्र लिख चुके हैं लेकिन नतीजा अब तक ज़ीरो रहा है.</p><p>उनका कहना है कि साल 2016 में उन लोगों ने राजा युसूफ़ चक सहित सात महत्वपूर्ण लोगों की क़ब्रगाह की चार दीवारी करवाई. </p><p>दिलचस्प है कि सत्ता में आने के बाद से ही साल 2006 से क़ब्रिस्तानों की घेराबंदी बिहार सरकार का मुख्य लक्ष्य रहा है, ऐसे में ये सवाल उठना लाज़िमी है कि बेशवक में कश्मीर के राजा, उनके ख़ानदान के लोगों की क़ब्र और उससे लगे क़ब्रिस्तान को उपेक्षित क्यों रखा गया? </p><p>हालांकि बीबीसी से बातचीत करते हुए पुरातत्व निदेशालय के निदेशक अतुल कुमार वर्मा ने कहा कि क़ब्रगाह की चार दीवारी सरकार ने कराई है और टेक्नीकल स्टॉफ़ की कमी के चलते निकट भविष्य में बेशवक के लिए कोई योजना नहीं है.</p><h1>कविता और संगीत का शौक़</h1><p>पीएनके बमज़ई की किताब ‘ए हिस्ट्री ऑफ़ कश्मीर’, प्रोफ़ेसर मोहिबुल हसन की किताब ‘कश्मीर अंडर सुल्तान’ और ‘बहारिस्तान-ए-शाही’ में युसूफ़ शाह चक के व्यक्तित्व का ज़िक्र है. </p><p>इन किताबों के मुताबिक़ युसूफ़ शाह बहुत शानदार व्यक्तित्व के मालिक थे. उन्हें संगीत कला का ज्ञान था. वो हिन्दी, कश्मीरी और फारसी कविता के जानकार थे. </p><p>उनकी खेल में रूचि थी और इसके अलावा वो सभी धर्मों को सम्मान देते थे.</p><p>युसूफ़ शाह चक की पत्नी का नाम हब्बा ख़ातून था. वो कश्मीर की बहुत मशहुर कवयित्री थीं. </p><p>इतिहासकार इम्तियाज़ अहमद बताते हैं, "हब्बा ख़ातून मध्यकालीन भारत की बहुत ही आज़ाद ख्याल वाली महिला थीं. वो किसान परिवार से आती थीं लेकिन बहुत पढ़ी लिखी थीं." </p><p>"पहले पति को उन्होंने तलाक़ दे दिया था और युसूफ़ शाह उनके दूसरे पति थे. उनकी रचनाओं में धर्म को प्रधानता नहीं थी. उन्होंने ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जी."</p><p>बहुत सारे लोगों का मानना है कि निर्वासित जीवन जी रहे युसूफ़ शाह चक के पास हब्बा ख़ातून बेशवक आई थीं और उनकी क़ब्र भी युसूफ़ शाह की क़ब्र के पास हैं. </p><p>लेकिन इम्तियाज़ अहमद इससे इनकार करते है, उनके मुताबिक़ युसूफ़ शाह की क़ैद के बाद हब्बा ख़ातून ने कश्मीर में ही अपना जीवन बिताया.</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49415748?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’कश्मीर में बदलाव हमारी ज़िंदगी में नई सुबह है'</a></li> </ul><figure> <img alt="कश्मीर का आख़िरी सुल्तान जिसे बिहार में कब्र मिली" src="https://c.files.bbci.co.uk/9CD6/production/_108505104_sheikhabduallhroad.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> </figure><p><strong>1977 में आए थे शेख़ अब्दुल्ला</strong><strong>ह</strong></p><p>नालंदा के इस्लामपुर थाने से बेशवक का रास्ता शेख़ अब्दुल्लाह रोड से होकर गुज़रता है.</p><p>जम्मू और कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख़ अब्दुल्लाह 19 जनवरी 1977 को राज्य की कल्चरल एकैडमी की एक टीम के साथ बेशवक आए थे. </p><p>कुछ माह पहले कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे और शेख अब्दुल्लाह के पोते उमर अब्दुल्लाह ने भी ट्वीटर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से बेशवक में कश्मीर के इतिहास को संरक्षित करने की अपील की थी.</p><p>बिहार राज्य सुन्नी वक्फ़ बोर्ड में कश्मीरी चक और बेशवक की ज़मीन को डॉक्टर अब्दुल रशीद ख़ान ने रजिस्टर कराया था. </p><p>यासीर रशीद ख़ान उन्ही के पोते हैं और उनका दावा है कि वो युसूफ़ चक के वंशज हैं. यासीर रशीद ख़ान लगातार इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं. </p><p>वे बताते हैं, "देश विदेश से स्कॉलर, रिसर्चर यहां आना चाहते हैं, यहां हम सालाना उर्स आयोजित करते हैं. लेकिन आप बताएं कि उस क़ब्रगाह के पास किसी के बैठने तक की व्यवस्था है क्या?"</p><p>बिहार के पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "जब वो जगह पर्यटन लायक़ हो जाएगी, तभी विभाग पर्यटन की संभावनाओं को देख सकता है. लेकिन अभी तो कला संस्कृति विभाग इस मामले को देखे."</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/vert-tra-49410453?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर का गाँव जिसे भारत ने पाकिस्तान से छीन लिया </a></li> </ul><figure> <img alt="दीनानाथ पांडेय का दावा है कि कब्र के नीचे हिंदू देवता का मंदिर था." src="https://c.files.bbci.co.uk/4EB6/production/_108505102_deenanathpandey.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> <figcaption>दीनानाथ पांडेय का दावा है कि कब्र के नीचे हिंदू देवता का मंदिर था.</figcaption> </figure><h1>बेशवक के वर्तमान हालात</h1><p>बेशवक स्थित क़ब्रगाह को दिखाते हुए स्थानीय निवासी और गांव के मुख्य पुजारी दीनानाथ पांडेय ने दावा किया कि क़ब्र के नीचे विष्णु मंदिर था. </p><p>दीनानाथ से बातचीत से ये अहसास होता है कि गांव में अब ये धारणा आम लोगों में घुसती जा रही है कि मंदिर के ऊपर क़ब्र बनाई गई है. </p><p>वहीं कश्मीरी चक नाम का टोला जो युसूफ़ चक की रिहाइश थी, वहां बीते दो साल से छह ग़रीब मुस्लिम परिवार आकर बस गए हैं. </p><p>जिसके चलते बेशवक के लोगों में नाराज़गी साफ़ देखी जा सकती है. </p><p>कश्मीरी चक में रह रही रूबी ख़ातून कहती हैं, "यहां हमको कोई सुविधा नहीं है. हमारे सूफी संतों की मज़ार पर दबंगों ने क़ब्ज़ा करके खेती करनी शुरू कर दी है. यहां बहुत परेशानी के बावजूद हम रह रहे हैं क्योंकि हम ग़रीब हैं."</p> <ul> <li>यह भी पढ़ें | <a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49425584?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर के नाम पर पाक में वायरल फ़र्ज़ी ‘ख़बरें’</a></li> </ul><figure> <img alt="कश्मीर का आख़िरी सुल्तान जिसे बिहार में कब्र मिली" src="https://c.files.bbci.co.uk/13916/production/_108505108_haiderchak.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> </figure><h1>बिहार और कश्मीर के संबंध</h1><p>कश्मीर चक के थोड़ी ही दूर पर हैदरचक है. ग़ौरतलब है कि हैदर चक युसूफ़ चक के समय का ही कश्मीरी सामंत थे.</p><p>स्थानीय लोग उसे युसूफ़ चक का भाई बताते हैं लेकिन इतिहासकार इम्तियाज़ अहमद के मुताबिक़ वो युसूफ़ शाह का बेटा था. </p><p>हैदरचक नालंदा के वर्तमान सांसद कौशलेन्द्र कुमार का भी पैतृक गांव है.</p><p>यासीर रशीद ख़ान और उनके लोगों की तरफ़ से ज़मीन पर अतिक्रमण के संबंध में हिलसा के अनुमंडल पदाधिकारी वैभव चौधरी ने कहा, "हमारी तऱफ से ज़मीन की नापी हो गई है लेकिन इसके आगे की कारवाई के लिए कोई आदेश अभी नहीं है."</p><p>युसूफ़ शाह चक की क़ब्रगाह और उनका इतिहास बिहार और कश्मीर के संबंधों की एक कड़ी है. </p><p>कश्मीरियों में अपने इस राजा की याद को बचाने की तड़प देखी जा सकती है. </p><p>लेकिन जैसा कि इम्तियाज़ अहमद कहते हैं, "बिहार की सरकारों में इसके प्रति गहरी उदासीनता ‘बिहारी समाज और इतिहास’, दोनों का ही नुक़सान कर रही है."</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें 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कश्मीर का आख़िरी सुल्तान जिसे बिहार में क़ब्र मिली
<figure> <img alt="कश्मीर का अंतिम सुल्तान का कब्र" src="https://c.files.bbci.co.uk/F2A8/production/_108502126_kabrgaah4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Seetu Tewari/BBC</footer> </figure><p>बिहार की राजधानी पटना से तक़रीबन 70 किलोमीटर दूर नालंदा ज़िले के इस्लामपुर में बेशवक गांव. </p><p>यहां कश्मीर पर हुकूमत कर चुके एक सुल्तान युसूफ़ शाह चक अपनी क़ब्र में आराम फ़रमा रहे हैं.</p><p>बदरंग हो चुकी चार दीवारी से घिरी इस […]
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