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अरुण जेटलीः अटल, आडवाणी के साथ जेल से लेकर मोदी के विश्वस्त होने तक

<figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/59DE/production/_108360032_gettyimages-461825920.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>बात 25 जून 1975 की है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष अरुण जेटली अपने नारायणा वाले घर के आंगन में सोए हुए थे.</strong></p><p>बाहर कुछ आवाज़ हुई तो वो जाग गए. उन्होंने देखा कि उनके पिता कुछ पुलिसवालों से बहस कर रहे थे. ये पुलिस […]

<figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/59DE/production/_108360032_gettyimages-461825920.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>बात 25 जून 1975 की है. दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष अरुण जेटली अपने नारायणा वाले घर के आंगन में सोए हुए थे.</strong></p><p>बाहर कुछ आवाज़ हुई तो वो जाग गए. उन्होंने देखा कि उनके पिता कुछ पुलिसवालों से बहस कर रहे थे. ये पुलिस वाले उन्हें गिरफ़्तार करने आए थे.</p><p>ये देखते ही अरुण अपने घर के पिछले दरवाज़े से बाहर निकल आए. वो रात उन्होंने उसी मोहल्ले में अपने दोस्त के यहाँ बिताई. अगले दिन उन्होंने सुबह साढ़े दस बजे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के करीब 200 छात्रों को दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के दफ़्तर के सामने जमा किया.</p><p>वहाँ जेटली ने एक भाषण दिया और उन लोगों ने इंदिरा गाँधी का एक पुतला जलाया. थोड़ी देर में डीआईजी पी.एस. भिंडर के नेतृत्व में पुलिस वालों ने इलाक़े को घेर लिया और अरुण जेटली गिरफ़्तार कर लिए गए.</p><p>तिहाड़ जेल में अरुण जेटली को उसी सेल में रखा गया जिसमें अटलबिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी और के. आर. मलकानी के अलावा 11 और राजनीतिक कैदी रह रहे थे. इसका उन्हें बहुत फ़ायदा हुआ.</p><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/1086F/production/_108359676_gettyimages-51765403.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>लालकृष्ण आडवाणी और अटल बिहारी वाजपेयी के साथ अरुण जेटली</figcaption> </figure><p>जेटली के एक क़रीबी दोस्त अनिप सचदे बताते हैं, &quot;अरुण जेटली का राजनीतिक ‘बपतिस्मा’ विश्वविद्यालय कैंपस में न होकर तिहाड़ जेल की कोठरी में हुआ था. रिहा होते ही उन्हें इस बात का अंदाज़ा हो गया कि अब राजनीति उनका करियर होने जा रहा है.&quot;</p><h1>बड़े बाल और जॉन लेनन जैसा चश्मा</h1><p>अरुण जेटली ने अपनी पढ़ाई दिल्ली के सेंट ज़ेवियर्स स्कूल और मशहूर कॉलेज श्रीराम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से की. उस ज़माने में जेटली के बाल लंबे हुआ करते थे और वो ‘बीटल्स’ वाले जॉन लेनन के अंदाज़ में नज़र का चश्मा पहनते थे.</p><p>उनके चश्मे के शीशे की बनावट गोल हुआ करती थी. कुछ लोग उसे ‘गाँधी गॉगल्स’ कह कर भी पुकारते थे.</p><figure> <img alt="जॉन लेनन" src="https://c.files.bbci.co.uk/16B4E/production/_108360039_gettyimages-107715151.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>जॉन लेनन</figcaption> </figure><p>मशहूर किताब ‘द मैरीगोल्ड स्टोरी’ लिखने वालीं कुमकुम चड्ढा ने बताया कि जेटली के कॉलेज की एक दोस्त बीना कहती हैं, &quot;अरुण की शक्ल ठीकठाक हुआ करती थी. लड़कियाँ उनको नोटिस करती थीं लेकिन अरुण उन्हें घास नहीं डालते थे, क्योंकि वो बहुत शर्मीले थे. स्टेज पर तो वो घंटों बोल सकते थे लेकिन स्टेज से उतरते ही वो एक ‘शेल’ में चले जाते थे. मैं नहीं समझती कि उन दिनों वो किसी लड़की को ‘डेट’ पर ले गए हों.&quot;</p><p>अरुण जेटली के सबसे क़रीबी दोस्त मशहूर वकील रेयान करंजावाला बताते हैं, &quot;अरुण जेटली को फ़िल्में देखने का बहुत शौक था. ‘पड़ोसन’ उनकी फ़ेवरेट फ़िल्म थी जिसे उन्होंने बहुत बार देखा था. मैंने अरुण को कई बार फ़िल्मों के डायलॉग बोलते सुना है. ‘जॉनी मेरा नाम’ में देवानंद ने किस रंग की कमीज़ पहन रखी थी, ये तक अरुण जेटली को याद रहता था.&quot;</p><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/10937/production/_108359876_gettyimages-450214008.jpg" height="625" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>वाजपेयी चाहते थे उन्हें 1977 का चुनाव लड़ाना</h1><p>लेखिका कुमकुम चड्ढा बताती हैं, जब 1977 में जनता पार्टी बनी तो जेटली को उसकी राष्ट्रीय कार्य समिति में रखा गया. वाजपेयी उन्हें 1977 का लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन उनकी उम्र चुनाव लड़ने की न्यूनतम सीमा से एक साल कम थी.</p><p>वैसे भी जेल में रहने के कारण उनका पढ़ाई का एक साल ख़राब हो गया था. इसलिए उन्होंने अपनी क़ानून की डिग्री पूरी करने का फ़ैसला किया.</p><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/104EB/production/_108359766_gettyimages-88934508.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p><strong>नाचना न जानते हुए भी डि</strong><strong>स्कोथेक</strong><strong> जाते थे जेटली</strong></p><p>छात्र राजनीति में आने से पहले अरुण और उनके दोस्त दिल्ली के एकमात्र डिस्कोथेक ‘सेलर’ में जाया करते थे.</p><p>कुमकुम चड्ढा बताती हैं, &quot;उनकी दोस्त बीना ने मुझे बताया था कि उनका डिस्कोथेक जाना नाम भर का ही होता था, क्योंकि उन्हें नाचना बिल्कुल नहीं आता था. उन्हें ड्राइविंग करना भी कभी नहीं आया. जब तक उनकी ड्राइवर रखने की हैसियत नहीं हुई, उनकी पत्नी संगीता ही उनकी कार चलाती थीं.&quot;</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-41901378?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">वो एक चूक, जिसकी कसक से आडवाणी उबर नहीं पाए</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40623973?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आडवाणी की ‘ये इच्छा’ क्यों रह गई अधूरी</a></li> </ul><figure> <img alt="पत्नी संगीता के साथ अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/22BF/production/_108359880_gettyimages-459366610.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>पत्नी संगीता के साथ अरुण जेटली</figcaption> </figure><p><strong>महंगी </strong><strong>चीज़ों के शौक़ीन</strong></p><p>दिलचस्प बात ये है कि अरुण जेटली की शादी संगीता डोगरा से हुई जो कांग्रेस के बड़े नेता गिरधारी लाल डोगरा की बेटी हैं जो दो बार जम्मू से सांसद और जम्मू कश्मीर सरकार में भी मंत्री रहे थे.</p><p>इनकी शादी में अटलबिहारी वाजपेयी और इंदिरा गाँधी दोनों शामिल हुए थे. अरुण जेटली अपने ज़माने में भारत के चोटी के वकील थे जिनकी बहुत मंहगी फ़ीस हुआ करती थी.</p><p>उनको महंगी घड़ियाँ ख़रीदने का हमेशा शौक रहा. उन्होंने उस समय ‘पैटेक फ़िलिप’ घड़ी ख़रीदी थी जब ज़्यादातर भारतीय ‘ओमेगा’ के आगे सोच नहीं पाते थे.</p><p>अरुण का ‘मो ब्लाँ’ पेनों और जामवार शॉलों का संग्रह भी ग़ज़ब का है. ‘मो ब्लाँ’ कलम का नया एडिशन सबसे पहले ख़रीदने वालों में अरुण जेटली हुआ करते थे.</p><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/21F7/production/_108359680_gettyimages-2803311.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>कई बार जब वो भारत में नहीं मिलते थे तो उनके दोस्त राजीव नैयर, जो कि मशहूर पत्रकार कुलदीप नैयर के बेटे हैं, अपने संपर्कों से उन्हें उनके लिए विदेश से मंगवाते थे.</p><p>उन दिनों अरुण लंदन में बनी ‘बेस्पोक’ कमीज़ें और हाथ से बनाए गए ‘जॉन लॉब’ के जूते ही पहनते थे. जीवित रहते वो हमेशा ‘जियाफ़ ट्रंपर्स’ की शेविंग क्रीम और ब्रश इस्तेमाल करते रहे.</p><p><strong>अच्छा </strong><strong>खाना करते थे पसंद</strong></p><p>अरुण जेटली अच्छे खाने के हमेशा शौक़ीन रहे. दिल्ली के सबसे पुराने क्लबों में से एक रोशनारा क्लब का खाना उन्हें बहुत पसंद था. कनॉट प्लेस के मशहूर ‘क्वॉलिटी’ रेस्तराँ के चने भटूरों के वो ताउम्र मुरीद रहे.</p><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/68AB/production/_108359762_gettyimages-88925114.jpg" height="690" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>अरुण पुरानी दिल्ली की स्वादिष्ट जलेबियाँ, कचौड़ी और रबड़ी फ़ालूदा खाते हुए बड़े हुए. लेकिन जैसे ही ये पता चला कि उन्हें मधुमेह है, उनके ये सारे शौक़ जाते रहे और उनका भोजन मात्र एक रोटी और शाकाहारी भोजन तक सिमट कर ही रह गया.</p><p>जब उन्होंने 2014 का बजट भाषण दिया तो इसके बीच उन्होंने लोकसभाध्यक्ष से बैठकर भाषण पढ़ने की अनुमति माँगी. नियम के अनुसार वित्त मंत्री को हमेशा खड़े हो कर अपना बजट भाषण पढ़ना होता है लेकिन सुमित्रा महाजन से उन्हें बैठ कर भाषण पढ़ने की ख़ास अनुमति दी. </p><p>दर्शक दीर्घा में बैठी हुई उनकी पत्नी को अंदाज़ा हो गया कि अरुण के साथ कुछ गड़बड़ है, क्योंकि वो बार-बार अपनी पीठ छूने की कोशिश कर रहे थे, क्योंकि वहाँ उनको दर्द की लहर उठ रही थी.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-43663087?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">वित्त मंत्री अरुण जेटली को किडनी की बीमारी</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/science-43696463?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">एक आदमी की किडनी दूसरे में कैसे फ़िट हो जाती है?</a></li> </ul><h1>बोफ़ोर्स की जाँच में महत्वपूर्ण भूमिका</h1><p>1989 में जब वीपी सिंह की सरकार सत्ता में आई तो मात्र 37 साल की उम्र में जेटली को भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल बनाया गया.</p><p>जनवरी 1990 से जेटली इनफ़ोर्समेंट डायरेक्टरेट के अधिकारी भूरे लाल और सीबीआई के डीआईजी एम. के. माधवन के साथ बोफ़ोर्स मामले की जाँच करने कई बार स्विट्ज़रलैंड और स्वीडन गए लेकिन आठ महीने बाद भी उनके हाथ कोई ठोस सबूत नहीं लगा.</p><p>तब एक सांसद ने कटाक्ष किया था कि जेटली की टीम अगर इसी तरह विदेश में बोफ़ोर्स की जाँच करती रही तो जल्द ही उन्हें ‘एनआरआई’ का दर्जा मिल जाएगा.</p><h3>जैन हवाला केस में आडवाणी का बचाव</h3><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/1E73/production/_108359770_gettyimages-136223592.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>1991 के लोकसभा चुनाव में जेटली नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र से लालकृष्ण आडवाणी के चुनाव एजेंट थे.</p><p>बहुत मशक्कत के बाद वो आडवाणी को फ़िल्म स्टार राजेश खन्ना के ख़िलाफ़ मामूली अंतर से जीत दिलवा पाए. हाँ, अदालतों मे ज़रूर उन्होंने आडवाणी के पक्ष में पहले बाबरी मस्जिद विध्वंस का केस लड़ा और फिर मशहूर जैन हवाला केस में सफलतापूर्वक आडवाणी को बरी कराया. </p><p>90 के दशक में टेलीविज़न समाचारों ने भारतीय राजनीति के स्वरूप को ही बदल दिया. जैसे जैसे टेलीविज़न की महत्ता बढ़ी, भारतीय राजनीति में अरुण जेटली का क़द भी बढ़ा.</p><p>वर्ष 2000 में ‘एशियावीक’ पत्रिका ने जेटली को भारत के उभरते हुए युवा नेताओं की सूची में रखा. उसने उनको भारत का आधुनिक चेहरा बताया जिसकी छवि बिल्कुल साफ़ थी.</p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.com/hindi/india/2015/12/151227_magnum_opus_hawala_case_pk?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जैन हवाला कांड से कैसे ‘बेदाग़’ छूटे आडवाणी-</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45964772?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">सीबीआई में भ्रष्टाचार का कल, आज और कल</a></li> </ul><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/B6CB/production/_108359764_gettyimages-75841093.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>टीवी के दौर में बढ़ा अरुण जेटली का कद</figcaption> </figure><h1>नरेंद्र मोदी से दोस्ती</h1><p>1999 में जेटली को अशोक रोड के पार्टी मुख्यालय के बग़ल में सरकारी बंगला एलॉट किया गया. उन्होंने अपना घर बीजेपी के नेताओं को दे दिया ताकि पार्टी के जिन नेताओं को राजधानी में मकान न मिल सके, उनके सिर पर एक छत हो.</p><p>इसी घर में क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग की शादी हुई और वीरेंद्र कपूर, शेखर गुप्ता और चंदन मित्रा के बच्चों की भी शादियाँ हुईं.</p><p>इस दौरान जिस संबंध को जेटली ने सबसे ज़्यादा तरजीह दी, वो थे गुजरात के नेता नरेंद्र मोदी जिसका बाद में उन्हें बहुत फ़ायदा भी मिला.</p><p>1995 में जब गुजरात में बीजेपी सत्ता में आई और नरेंद्र मोदी को दिल्ली भेज दिया गया तो जेटली ने उनको हाथोंहाथ लिया. उस समय के पत्रकारों का कहना है कि उस ज़माने में मोदी अक्सर जेटली के कैलाश कॉलोनी वाले घर में देखे जाते थे.</p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.co.uk/hindi/india/2015/05/150525_modi_jaitley_shah_dominancy_bjp_dil_tk?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मोदी, शाह और जेटली की तिकड़ी का राज़</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45140361?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जेटली ने मोदी से हाथ क्यों नहीं मिलाया?</a></li> </ul><figure> <img alt="नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/6CF7/production/_108359872_gettyimages-699897478.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>बीजेपी मे हमेशा मिसफ़िट रहे</h3><p>जेटली के जीवन का मूल मंत्र था ‘चंगा खाना ते चंगा पाना’ यानी अच्छा खाना और अच्छा पहनना. उनके लिए इस बात के बहुत माने थे कि आप किस तरह बातें करते हैं, किस तरह के कपड़े पहनते हैं, कहाँ रहते हैं और किस तरह की गाड़ी पर चलते हैं.</p><p>कई लोग जिनमें भारतीय जनता पार्टी के एक पूर्व महासचिव भी शामिल हैं, का कहना है कि जेटली भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष कभी नहीं बन पाए क्योंकि उनके साथ ‘एलीट’ होने का तमग़ा हमेशा चस्पाँ रहा.</p><p>इसका उन्हें एक तरह से राजनीतिक नुक़सान भी हुआ. उनकी आधुनिक और संयत छवि उनकी पार्टी की पुरातनपंथी और ‘हार्डलाइन’ छवि से कभी तालमेल नहीं बैठा पाई और उन्हें पार्टी में हमेशा शक की निगाह से देखा गया.</p><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/1530B/production/_108359768_gettyimages-88863958.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>वो आरएसएस के ‘इनसाइडर’ कभी नहीं बने. वर्ष 2011 में ‘द हिंदू’ अख़बार ने ‘विकीलीक्स’ का एक केबल छापा था जिसमें जेटली को हिंदुत्व के मुद्दे को अवसरवादी कहते हुए बताया गया था. हाँलाकि बाद में उन्होंने इसका खंडन जारी किया था.</p><p>लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है. जेटली के पुराने दोस्त स्वपन दासगुप्ता कहते हैं कि जेटली ने ‘इमेज’ समस्या से जूझ रही बीजेपी को उभरते हुए मध्यम वर्ग में स्वीकार्यता दिलवाई.</p><p>जेटली के बारे में हमेशा कहा जाता रहा कि ‘वो एक ग़लत पार्टी में सही व्यक्ति है’ लेकिन जेटली को अपनी ये व्याख्या कभी पसंद नहीं आई.</p> <ul> <li><a href="http://www.bbc.com/hindi/international/2015/06/150621_lalit_modi_tweet_rns?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">’दिल से कांग्रेसी अरुण जेटली मेरा निशाना'</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-46634896?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कांग्रेस की आस्तीन और जेटली की सफ़ाई</a></li> </ul><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/BA4F/production/_108359674_0aa41a08-2241-4670-b084-07cec3f4057d.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h1>जनाधार न होने से नुक़सान</h1><p>अरुण जेटली हमेशा राज्यसभा से चुनकर संसद में पहुंचे. बहुत अच्छे वक्ता होने के बावजूद तगड़ा जनाधार न होने की वजह से जेटली उन ऊँचाइयों तक नहीं पहुंच पाए जिनकी उनसे अपेक्षा थी.</p><p>संसद में उनका प्रदर्शन इतना अच्छा था कि बीजेपी के अंदरूनी हल्कों में उन्हें भावी प्रधानमंत्री तक कहा जाता था. जुलाई 2005 में अरुण जेटली पहली बार गंभीर रूप से बीमार पड़े और उन्हें ट्रिपल बाईपास सर्जरी करानी पड़ी.</p><p>जब दिसंबर में लालकृष्ण आडवाणी ने अपने पद से इस्तीफ़ा दिया तो जेटली ने क़यास लगाया कि अब उनकी बारी आएगी. कुछ सालों पहले उनके समकालीन वैंकैया नायडू ये पद संभाल चुके थे लेकिन जेटली को निराश होना पड़ा. उनकी जगह बीजेपी ने उत्तर प्रदेश के ठाकुर नेता राजनाथ सिंह को पार्टी का नेतृत्व सौंपा.</p><figure> <img alt="दिसंबर 2008 में बीजेपी के पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/6C2F/production/_108359672_gettyimages-1142516108.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>दिसंबर 2008 में बीजेपी के पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ अरुण जेटली</figcaption> </figure><h1>सरकारी गेस्ट हाउज़ का किराया अपनी जेब से</h1><p>अरुण जब वाजपेयी मंत्रिमंडल में मंत्री बने तो वो अपने कुछ दोस्तों के साथ नैनीताल गए जहाँ उन्हें राज भवन के गेस्ट हाउस में ठहराया गया. </p><p>उनके दोस्त सुहेल सेठ ने ‘ओपन’ पत्रिका में एक लेख लिखा- ‘माई फ़्रेंड अरुण जेटली.’ इसमें उन्होंने लिखा कि ‘चेक आउट करने से पहले उन्होंने सभी कमरों का किराया अपनी जेब से दिया. वहाँ के कर्मचारियों ने मुझे बताया कि उन्होंने पहले किसी केंद्रीय मंत्री को इस तरह अपना बिल देते नहीं देखा.'</p><p>इन्हीं दोस्त का कहना है कि कई बार लंदन जाने पर वहाँ के चोटी के उद्योगपति उनके लिए हवाई अड्डे पर बड़ी बड़ी गाड़ियाँ भेजते थे, लेकिन अरुण हमेशा हीथ्रो हवाई अड्डे से लंदन आने के लिए ‘ट्यूब’ (भूमिगत रेल) का इस्तेमाल करते थे.</p><p>बहुत से लोग ऐसा तब करते हैं जब लोग उन्हें देख रहे होते हैं, लेकिन अरुण तब भी ऐसा करते थे जब उन्हें कोई नहीं देख रहा होता था.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-40357479?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">आडवाणी: ‘पीएम इन-वेटिंग’ से ‘प्रेसिडेंट इन-वेटिंग’ तक</a></li> </ul> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-45226582?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कैसी थी अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी की दोस्ती</a></li> </ul><figure> <img alt="अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/A7FE/production/_108360034_gettyimages-871337388.jpg" height="656" width="1024" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>यारों के यार</h3><p>अरुण के घर में एक कमरा हुआ करता था जिसे ‘जेटली डेन’ कहा जाता था, जहाँ वो अपने ख़ास दोस्तों से मिलते थे जो अलग-अलग व्यवसायों और दलों से आते थे.</p><p>अक्सर जो लोग वहाँ देखे जाते थे, उनमें होते थे सुहेल सेठ, वकील रेयान करंजावाला और राजीव नैयर, हिंदुस्तान टाइम्स की मालकिन शोभना भारतिया और कांग्रेस के नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया.</p><h1>2014 में मोदी पर लगाया दाँव</h1><p>वाजपेयी के ज़माने में जेटली को हमेशा आडवाणी का आदमी समझा जाता था लेकिन 2013 आते-आते वो आडवाणी कैंप छोड़कर पूरी तरह से नरेंद्र मोदी कैंप में आ चुके थे.</p><p>2002 में गुजरात दंगों के बाद जब वाजपेयी ने मोदी को ‘राज धर्म’ की नसीहत दी थी तो जेटली ने न सिर्फ़ मोदी का नैतिक समर्थन किया था बल्कि उनके पद पर बने रहने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. गुजरात दंगा केस में भी उन्होंने अदालत में मोदी की तरफ़ से वकालत की थी.</p><figure> <img alt="नरेंद्र मोदी और अरुण जेटली" src="https://c.files.bbci.co.uk/BB17/production/_108359874_gettyimages-632661650.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>2014 में अमृतसर से लोकसभा का चुनाव हार जाने के बाद भी नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ़ उन्हें मंत्रिमंडल में रखा , बल्कि उन्हें वित्त और रक्षा जैसे दो बड़े मंत्रालयों की ज़िम्मेदारी भी दी.</p><p>उनके वित्त मंत्री रहते ही नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी और जीएसटी लागू करने का बड़ा फ़ैसला लिया था. पिछले वर्ष जेटली के गुर्दों का प्रत्यारोपण हुआ था. ख़राब स्वास्थ्य की वजह से ही उन्होंने 2019 का चुनाव नहीं लड़ा. उन्होंने खुद ही घोषणा की कि वो नरेंद्र मोदी टीम का सदस्य नहीं होना चाहेंगे.</p><p>इस समय अमित शाह को नरेंद्र मोदी के सबसे क़रीब माना जाता है लेकिन एक समय ऐसा भी था जब बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व में मोदी के सबसे ख़ासमख़ास होते थे- अरुण जेटली.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a 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