<figure> <img alt="शेख़ हसीना" src="https://c.files.bbci.co.uk/74F8/production/_108244992_gettyimages-452522834.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>भारत ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करते हुए राज्य का पुनर्गठन किया है.</p><p>अब जम्मू-कश्मीर और लद्दाख नाम के दो अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए हैं. इसके साथ ही सात दशक पुराना कश्मीर का मसला एक बार फिर पूरी दुनिया में चर्चा के केंद्र में आ गया है. </p><p>भारत के क़दम की सबसे कड़ी प्रतिक्रिया आई पाकिस्तान की ओर से जिसने इसे ‘अवैध’ क़दम बताते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में मामला उठाने की बात कही है. </p><p>पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक संबंध निलंबित करते हुए द्विपक्षीय व्यापार रोकने जैसे क़दम उठाए हैं. उधर चीन ने भी इस हालात पर चिंता जताई है. </p><p>इस्लामिक सहयोग संगठन ने भी इस मामले में पाकिस्तान की अपील के बाद चिंता जताते हुए भारत के क़दम की निंदा की है. </p><p>पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए हर मंच पर इस मामले को उठाने और दुनिया के अन्य देशों को अपने पक्ष में करने की हर संभव कोशिश करने की बात कही है. </p><p>पाकिस्तान में मौजूद बीबीसी संवाददाता आसिफ़ फ़ारूक़ी ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान को अभी ख़ास सफलता नहीं मिली है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49275201?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">अनुच्छेद 370 पर यूएन में ये देश भारत का दे सकते हैं साथ </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49265006?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">जम्मू-कश्मीर पर चीन के बयान को हल्के में न ले भारत- नज़रिया</a></li> </ul><p>उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की राजदूत मलीहा लोधी ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव से मिलने की कोशिश की थी मगर उनकी मुलाक़ात नहीं हो पाई.</p><p>अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया इस मामले में अभी तक मिली-जुली रही है. कुछ देशों ने भारत के पक्ष में बात की है, कुछ ने पाकिस्तान के पक्ष में मगर अधिकतर ने सधी हुई या तटस्थ प्रतिक्रिया दी है. </p><p>आइए देखते हैं, कौन से देश इस मामले में किस ओर खड़े हैं.</p><h1>भारत के पक्ष में प्रतिक्रिया</h1><p>कुछ ऐसे देश हैं जिन्होंने इस मामले को भारत का आंतरिक मामला बताया है. इस तरह के बयान को भारत के पक्ष में माना जा रहा है.</p><h2>1. श्रीलंका</h2><p>भारत के पड़ोसी श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने भारत के क़दम को उसका आंतरिक मामला बताया है. उन्होंने ट्वीट करके कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इससे लद्दाख का विकास होगा.</p><p>उन्होंने लिखा, "पता चला है कि लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बनने जा रहा है. 70 प्रतिशत से अधिक बौद्ध आबादी वाला लद्दाख भारत का पहला बौद्ध बहुल राज्य होगा. लद्दाख का गठन और इसके लिए होने वाला पुनर्गठन भारत का आंतरिक मामला है. मैं लद्दाख जा चुका हूं, यह घूमने लायक जगह है."</p><p><a href="https://twitter.com/RW_UNP/status/1158680533876060160">https://twitter.com/RW_UNP/status/1158680533876060160</a></p><h2>2. बांग्लादेश</h2><p>बांग्लादेश ने कहा है कि अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मामला है, ऐसे में उसके पास किसी और के अंदरूनी मामलों पर बोलने का अधिकार नहीं है,.</p><p>सड़क यातायात और पुल मंत्री और सत्ताधारी अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल क़ादर ने कहा कि बांग्लादेश पड़ोसियों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता.</p><h2>3. मालदीव</h2><p>वहीं मालदीव ने भी इसे भारत का अंदरूनी मामला बताया है. मालदीव सरकार के बयान के अनुसार सभी संप्रभु राष्ट्रों को ज़रूरत के अनुसार अपने क़ानून बदलने का अधिकार है.</p><figure> <img alt="श्रीनगर में सचिवालय पर तिरंगे के साथ लगा जम्मू-कश्मीर का झंडा" src="https://c.files.bbci.co.uk/165FC/production/_108244619_ba5088bc-16f2-45e1-877b-45605bcbf25c.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>श्रीनगर में सचिवालय पर तिरंगे के साथ लगा जम्मू-कश्मीर का झंडा.</figcaption> </figure><h1>पाकिस्तान के पक्ष में</h1><p>कुछ देशों ने भारत के क़दम की आलोचना की है तो कुछ ने सुझाव दिया है कि दोनों देशों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के आधार पर आगे बढ़ना चाहिए.</p><p>भारत जम्मू-कश्मीर को लेकर किए बदलाव को अपना आंतरिक मामला बताता है जबकि पाकिस्तान इसे संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का उल्लंघन मानता है. ऐसे में यूएनएससी के रेजॉल्यूशंस को मानने की सलाह देने वाले बयानों को पाकिस्तान की ओर झुकाव भरा माना जा रहा है.</p><h2>1. चीन</h2><p>चीन ने गंभीर चिंता जताते हुए कहा है कि भारत ने यथास्थिति में एकतरफ़ा बदलाव किया है जो इस क्षेत्र में तनाव को इतना बढ़ा सकता है कि चीन भारत के आंतरिक मामलों में दख़ल देने लगे.</p><p>चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हुआ छुनइंग ने कहा, "चीन अपनी पश्चिमी सीमा के इलाक़े को भारत के प्रशासनिक क्षेत्र में शामिल किए जाने का हमेशा ही विरोध करता रहा है."</p><p>"यह समझना आसान है कि चीन ने यह बात क्यों दोहराई. मगर चीन की चिंताएं उसके इस कथन से प्रकट होती हैं- "हाल ही में भारत ने अपने एकतरफ़ा क़ानून बदलकर चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता को कम आंकना जारी रखा है. यह अस्वीकार्य है और यह प्रभाव में नहीं आएगा."</p><h2>2. तुर्की</h2><p>पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन से फ़ोन पर बात की थी और दावा किया था कि तुर्की इस मामले में पाकिस्तान के साथ है.</p><p>बाद में अर्दोआन ने कहा था कि मंगलवार को उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से "सफल" बातचीत हुई थी. उन्होंने यह भी कहा था कि वह क्षेत्र से तनाव कम करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संपर्क करेंगे.</p><h2>3. मलेशिया</h2><p>ऐसा ही बयान मलेशिया की ओर से भी आया है. प्रधानमंत्री महातीर बिन मोहम्मद के कार्यालय की ओर से बयान जारी करके कहा गया है कि उनकी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात हुई थी.</p><p>बयान में कहा गया है, "मलेशिया चाहता है कि इस मामले के सभी पक्ष संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का पालन करें ताकि अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और शांति बनी रहे."</p><p>भारत और पाकिस्तान दोनों को अपना सहयोगी बताते हुए मलेशिया ने उम्मीद जताई है कि दोनों संवाद के माध्यम से इस पुराने मसले को हल करें.</p><h1>तटस्थ</h1><p>ताज़ा विवाद पर कई देशों का रुख़ और प्रतिक्रिया सार्वजनिक नहीं हो पाई है जिनमें नेपाल, भूटान, अफ़ग़ानिस्तान, म्यांमार, जापान, रूस और इसराइल शामिल हैं. मगर कुछ देश ऐशे हैं, जिन्होंने संतुलित प्रतिक्रिया दी है.</p><h2>1. ईरान</h2><p>ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अब्बास मौसावी ने कहा कि ईरान ने भारत और पाकिस्तान दोनों के पक्षों को सुना है वह चाहते हैं कि वे लोगों के हितों की रक्षा और शांति के लिए आपस में संवाद करें.</p><h2>2. ब्रिटेन</h2><p>ब्रितानी विदेश मंत्री डोमिनिक रॉब ने कहा है कि उन्होंने भारतीय विदेश मंत्री से कश्मीर के हालात पर चर्चा की और ब्रिटेन की चिंताएं ज़ाहिर कीं.</p><p>उन्होंने कहा, "मैंने भारतीय विदेश मंत्री से बात की है. हमने स्थिति को लेकर अपनी कुछ चिंताएं ज़ाहिर की हैं और शांति की अपील की है. लेकिन हमने भारत के नज़रिए से स्थिति को भी समझा है."</p><p><strong><em>3.</em></strong><strong><em> संयुक्त अरब अमीरात</em></strong></p><p>संयुक्त अरब अमीरात ने भी सधी हुई प्रतिक्रिया दी है और हालात पर चिंता जताई है. यूएई की ओस दोनों पक्षों से धैर्य और संयम बरतने की अपील की घई है. </p><p>विदेश मंत्री डॉक्टर अनवर बिन मोहम्मद गारगश की ओऱ से जारी बयान में कहा गया है, "शांति बनाए रकने के लिए दोनों पक्षों को वार्ता का सहारा लेना चाहिए."</p><h2>4. सऊदी अरब</h2><p>सऊदी अरब की ओर से आधिकारिक बयान नहीं आया है मगर सऊदी अख़बारों ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सऊदी अरब मसले का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से चाहता है.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.</strong><strong>)</strong></p>
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अनुच्छेद 370 पर कौन देश भारत के साथ, कौन ख़िलाफ़
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