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बागडोगरा : दार्जिलिंग के साथ षडयंत्र कर रहे मोदी व दीदी

बागडोगरा पहुंचे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सोमेन मित्रा का आरोप पहाड़ के गोरखाओं का हुआ राजनीतिक इस्तेमाल आंदोलन के समय गायब दिखे भाजपा सांसद चाय बागानों की समस्या भी जस की तस बागडोगरा : दार्जिलिंग को लेकर राज्य तथा केंद्र सरकार षड्यंत्र कर रही है. दरअसल ना तो भाजपा की केंद्र सरकार और ना ही राज्य […]

  • बागडोगरा पहुंचे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सोमेन मित्रा का आरोप
  • पहाड़ के गोरखाओं का हुआ राजनीतिक इस्तेमाल
  • आंदोलन के समय गायब दिखे भाजपा सांसद
  • चाय बागानों की समस्या भी जस की तस
बागडोगरा : दार्जिलिंग को लेकर राज्य तथा केंद्र सरकार षड्यंत्र कर रही है. दरअसल ना तो भाजपा की केंद्र सरकार और ना ही राज्य की तृणमूल सरकार दार्जिलिंग की समस्या का समाधान करना चाहती है. दीदी तथा मोदी मिलकर दार्जिलिंग के साथ खेल रहे हैं. यह आरोप प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने लगाया है. वह बागडोगरा में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी पहाड़ गयी थी. उन्होंने दार्जिलिंग की समस्या के स्थाई समाधान की बात कही थी. जबकि दार्जिलिंग की समस्या जस की तस है. उल्टे ममता बनर्जी ने इस समस्या को और गंभीर कर दिया है.
अब दार्जिलिंग की समस्या सिर्फ कांग्रेस की केंद्र सरकार ही दूर कर सकती है. श्री मित्रा ने आगे कहा कि दार्जिलिंग में विभिन्न जनजाति के लोग कई दशकों से रह रहे हैं. ममता बनर्जी ने गोरखाओं के बीच ही बंटवारा कर दिया. विभिन्न जातियों के नाम पर विकास बोर्ड बनाए गए. इससे समस्या सुलझने के बजाय और ज्यादा उलझ गयी. जबकि भाजपा भी दार्जिलिंग के गोरखाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही है. पिछले 10 वर्षों से दार्जिलिंग से भाजपा का सांसद रहा.
किसी ने दार्जिलिंग की समस्या दूर करने में अपनी दिलचस्पी नहीं दिखाई. जबकि पिछले 5 सालों से तृणमूल कांग्रेस भी दार्जिलिंग समस्या का समाधान नहीं कर पा रही है. दरअसल दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र को भाजपा एवं तृणमूल ने राजनीतिक लाभ लेने का अखाड़ा बना दिया है. समस्या समाधान के प्रति इनकी कोई दिलचस्पी नहीं है. यह लोग बस राजनीतिक फायदा उठाना चाहते हैं.
जबकि कांग्रेस की ऐसी स्थिति नहीं है. कांग्रेस किसी भी तरह से पहाड़ की समस्या दूर करना चाहती है. उन्होंने आगे कहा कि पहाड़ पर जिस तरह से विकास होना चाहिए था उस तरह से नहीं हुआ. पहाड़ की पहले वाम मोर्चा सरकार एवं अब तृणमूल सरकार ने उपेक्षा की. ममता बनर्जी बार-बार दार्जिलिंग जाती हैं. लेकिन समस्या समाधान दूर करने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है.
समस्या सिर्फ पहाड़ पर ही नहीं है बल्कि चाय बागानों में भी है. राज्य एवं केंद्र सरकार ने चाय श्रमिकों की भी उपेक्षा की. उनकी न्यूनतम मजदूरी अब तक नहीं तय की गई है. बंद चाय बागानों को खोलने की दिशा में भी कोई पहल नहीं की गई.भाजपा की केंद्र सरकार ने बंद चाय बागानों के अधिग्रहण की बात कही थी. इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई.
श्री मित्रा ने कहा पहले भाजपा सांसद जसवंत सिंह और अब एसएस अहलूवालिया ने पहाड़ के लिए कुछ नहीं किया. जब पहाड़ पर आंदोलन की आग लगी थी तब दूर-दूर तक एस एस आहलूवालिया का अता-पता नहीं था. दरअसल बाहरी उम्मीदवार दार्जिलिंग की समस्या समझ नहीं सकते.
स्थानीय उम्मीदवार ही दार्जिलिंग के विकास एवं वहां की समस्या दूर करने की कोशिश करेंगे. इस बार फिर भाजपा ने बाहरी उम्मीदवार को मैदान में उतारा है. दार्जिलिंग संसदीय क्षेत्र की जनता इसका करारा जवाब देगी. संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस उम्मीदवार शंकर मालाकार के अलावा दीपा दासमुंशी भी उपस्थित थीं.

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