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दर्जी का बेटा बना ऑल इंडिया सीए टॉपर, जानें कैसे बनायी रणनीति

नेशनल कंटेंट सेलकोटा के रहने वाले शादाब हुसैन ने सीए फाइनल (ओल्ड सिलेबस) में 74.63 प्रतिशत अंकों के साथ ऑल इंडिया टॉप कर यह बता दिया है कि कामयाबी की शिखर भले ही थोड़ी ऊंची हो, अगर जज्बा है तो हर कीमत पर मिलती है. शादाब को 800 में से 597 अंक प्राप्त हुए हैं. […]

नेशनल कंटेंट सेल
कोटा के रहने वाले शादाब हुसैन ने सीए फाइनल (ओल्ड सिलेबस) में 74.63 प्रतिशत अंकों के साथ ऑल इंडिया टॉप कर यह बता दिया है कि कामयाबी की शिखर भले ही थोड़ी ऊंची हो, अगर जज्बा है तो हर कीमत पर मिलती है. शादाब को 800 में से 597 अंक प्राप्त हुए हैं. शादाब हुसैन की कामयाबी खुद में एक प्रेरणा है. वह एक साधारण परिवार से आते हैं. उनके पिता पेशे से दर्जी हैं जिन्होंने 10वीं क्लास तक पढ़ाई की है. उनकी मां ने बीच में अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी. शादाब की चार बहनें और अपने परिवार में वह अकेला बेटा है. भले ही उनके माता-पिता खुद ज्यादा शिक्षित नहीं हैं लेकिन उन्होंने अपने बच्चे की पढ़ाई में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी. शादाब ने कोटा यूनिवर्सिटी से बीकॉम किया है.

ऐसे बनायी रणनीति, टाइम मैनेजमेंट पर जोर
अपनी परीक्षा की रणनीति के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मैंने पेपर पढ़ा और उन तीन-चार प्रश्नों को हल किया जिससे मुझे 40 नंबर प्राप्त करने में मदद मिली और एक घंटे में उन्हें हल करने की कोशिश की. इस प्रकार, मैंने बाकी दो घंटे अधिक नंबर स्कोर वाले सवाल हल किये. शादाब ने छात्रों को सलाह दी है कि कम-से-कम आधे घंटे का समय अपने लिए रखें. अपने बारे में और अपने दिन के बारे में सोचें. ऐसा करने का नतीजा आपको भविष्य में मिलेगा.

13-14 घंटे करते थे पढ़ाई, दिमाग शांत रखने की सलाह
शादाब दिन में 13-14 घंटे पूरे फोकस के साथ पढ़ाई करते थे. ताकि परीक्षा में अच्छा स्कोर कर सके. शादाब ने बताया कि पढ़ाई करते समय और किसी विषय पर पूरा ध्यान देते समय दिमाग को पूरी तरह शांत रखा फिर पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगाया. बताया कि सीए परीक्षा को पास करने का एक यही तरीका सबसे बेस्ट है. उन्होंने कहा ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मैं लगातार पढ़ाई करता था. तीन घंटे पढ़ाई करने के बाद 30-40 मिनट का ब्रेक लेता था. इसी के साथ मैं हर रोज दो-तीन किमी पैदल चलता था, ताकि मुझे पढ़ाई को लेकर तनाव महसूस न हो. उन्होंने बताया जैसे-जैसे परीक्षा पास आती रही, मैंने पढ़ाई के लिए देने वाले ज्यादा घंटों को कम कर दिया और अपना दिमाग शांत रखा.

यह मेरे और मेरे परिवार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. मैंने दिन-रात पढ़ाई की ताकि मुझे एक अच्छी नौकरी मिल सके. मैं चाहता हूं कि मेरे माता-पिता को बुढ़ापे में किसी भी तरह की परेशानी नहीं उठानी पड़े, इसीलिए मैंने सीए बनने का फैसला किया. इस पर विचार करने के बाद मैंने मेहनत शुरू कर दी.
शादाब हुसैन

शादाब, आपको बधाई. मुझे आप पर गर्व है. मैं आगे के सफर के लिए आपको अपनी शुभकामनाएं देता हूं.
राहुल गांधी

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