संयुक्त राष्ट्र : अफगानिस्तान में संघर्ष समाप्त करने और दीर्घकालिक स्थिरता स्थापित करने में महिलाओं की भागीदारी अहम है. संयुक्त राष्ट्र के एक शीर्ष अधिकारी ने अफगानिस्तान में दीर्घकालिक शांति कैसे स्थापित की जाये, इस विषय पर चर्चा करायी. लैंगिक समानता के समर्थकों के बीच हुई चर्चा के दौरान यह बात निकलकर सामने आयी कि बहस में शामिल करीब 30 समर्थक मानते हैं कि परिवार के पुरुष सदस्यों का घर के बाहर की किसी भी गतिविधि में महिलाओं की भागीदारी को हतोत्साहित करना या प्रतिबंधित करना आम बात है.
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि महिलाओं के खिलाफ भेदभाव और उनके मानवाधिकारों का सम्मान, रक्षा और उसका प्रचार करने में नाकाम रहने के कारण अफगानिस्तान में संघर्ष को अंत करने में महिलाओं की क्षमताएं सीमित हैं. महिलाओं, शांति एवं सुरक्षा पर केंद्रित राष्ट्रव्यापी बैठक में मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिनिधि और देश में अपने मिशन के प्रमुख तादामीची यामामोतो ने कहा, ‘शांति प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागीदारी के संबंध में अफगानिस्तान में लैंगिक असमानता जारी है, जबकि तथ्य यह है कि महिलाएं भी पुरुषों जितनी ही संघर्ष से प्रभावित हैं.’
‘ग्लोबल ओपन डेज’ विषयक बैठक में उन्होंने कहा कि महिलाओं को शांति प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए तैयार रहना चाहिए. उसमें योगदान देना चाहिए. साथ ही उन्हें वार्ता दलों और शांति सलाहकार निकायों का प्रतिनिधित्व भी करना चाहिए. ‘ग्लोबल ओपन डेज’ की शुरुआत वर्ष 2010 में महिलाओं, शांति तथा सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को लागू करने के एक हिस्से के रूप में संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ नेतृत्व और महिला संगठनों और लैंगिक-समानता समर्थकों के बीच वार्ता का समर्थन करने के लिए की गयी थी.