छत्तीसगढ़ के भिलाई इस्पात संयंत्र में ज़हरीली गैस के रिसाव की वजह से छह लोगों की मौत हो गई है और 40 से ज़्यादा लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है.
भिलाई इस्पात संयंत्र के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एस चंद्रशेखरन ने इन मौतों की पुष्टि करते हुए कहा है कि मरने वालों में भिलाई इस्पात संयंत्र के दो उप महाप्रबंधक बीके सिंह और एन केकटारिया शामिल हैं.
आईजी दुर्ग प्रदीप गुप्ता ने कुछ देर पहले बीबीसी से बातचीत में पांच लोगों के मरने की पुष्टि की.
भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने मृतकों की संख्या बढ़ने से इनकार नहीं किया है.
सूत्रों के मुताबिक़ गुरुवार शाम भिलाई इस्पात संयंत्र की फर्नेस एक और दो में पाइपलाइन फटी, जिसके बाद यह हादसा हुआ और संयंत्र में तेज़ी से मीथेन कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस का रिसाव शुरु हो गया.
प्रभावित 31 लोगों को भिलाई के सेक्टर-नौ स्थित पंडित जवाहरलाल नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया है. जिनकी हालत गंभीर है उनमें सीआईएसएफ़ के कई जवान भी शामिल हैं.
अस्पताल सूत्रों का कहना है कि छह लोगों को सघन चिकित्सा कक्ष में रखा गया है. इनकी हालत नाज़ुक बताई गई है.
बचाव-राहत के निर्देश
इधर इस घटना के बाद राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इलाक़े के विधायक और राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय को राहत और बचाव कार्यों के लिए विशेष निर्देश जारी किए हैं.
मुख्यमंत्री ने संयंत्र के प्रबंध निदेशक और दुर्ग ज़िला कलेक्टर से कहा है कि प्रभावित जगह पर सुरक्षा के सभी ज़रूरी उपाय युद्धस्तर पर किए जाएं और गैस प्रभावितों का बेहतर से बेहतर इलाज किया जाए.
मुख्यमंत्री ने ज़रूरत पड़ने पर परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के भी निर्देश दिए हैं.
केंद्रीय इस्पात मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी. उन्होंने छत्तीसगढ़ के सांसद और इस्पात राज्य मंत्री विष्णुदेव साय से पूरे मामले पर नज़र रखने को कहा है.
तोमर ने कहा, ”इस हादसे में हताहत लोगों को हर संभव उपचार हमारी पहली प्राथमिकता है.”
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगा भिलाई इस्पात संयंत्र 1955 में तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित किया गया था.
यह संयंत्र दूसरी इस्पात सामग्रियों के अलावा देश में 260 मीटर की रेल की सबसे लंबी पटरियों की एकमात्र निर्माता-निर्यातक है.
भिलाई इस्पात संयंत्र की वार्षिक उत्पादन क्षमता 31 लाख 53 हजार टन है.
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