ब्राज़ील में वर्ल्ड कप फ़ुटबॉल का फ़ाइनल. आमने-सामने हैं भारत और पाकिस्तान की टीमें. स्टेडियम खचाखच भरा हुआ है. पूरी दुनिया में तीन अरब से ज़्यादा लोग दम साधे बैठे हैं.
अमरीका और इंग्लैंड के शराबखानों में सत्तर-अस्सी इंच वाले टेलीविज़न पर दोनों टीमों के दिग्गजों की तस्वीरों के साथ उनके खेल का विश्लेषण हो रहा है. ख़ूबसूरत बालाएं भारत-पाकिस्तान के खिलाड़ियों को देख आहें भर रही हैं, “हमारे खिलाड़ी इतने हैंडसम क्यों नहीं होते. देखो क्या दाढ़ी है, क्या मूंछें हैं. इन पतली टांगों और मोटी तोंद पर कौन न मर जाए.”
खेल बस शुरू होने को है. अजीब मेज़बान देश है ब्राज़ील. आज तक वर्ल्ड कप में कभी क्वालीफ़ाई भी नहीं कर पाया. लेकिन पूरा देश बस खेल देखने को पागल है. दो दूर-दराज़ देशों के लिए ऐसी फ़ैन फॉलोविंग?
भारत और पाकिस्तान के सारे टी-शर्ट्स बिक चुके हैं. लोग दफ़्तरों और घरों में भी भारत-पाकिस्तान की टीशर्ट पहन रहे हैं. अब ये टीशर्ट ब्लैक में बिक रही हैं. ब्राज़ील की ख़ूबसूरत लड़कियों ने भारत-पाकिस्तान के खिलाड़ियों के नाम टैटू करवा रखे हैं.
पड़ोस के देश अर्जेंटीना से भी लोग आए हुए हैं मैच देखने. पता नहीं क्यों है ये पागलपन? उनकी टीम भी आजतक वर्ल्ड कप में क्वालीफ़ाई नहीं कर पाई है.
इटली, स्पेन, फ्रांस, तो क्वार्टर फ़ाइनल में ही बाहर हो गए थे. इंग्लैंड की टीम बहुत उम्मीदें लेकर आई थी इस बार लेकिन उसे नेपाल ने पहले ही राउंड में हरा दिया था. सेमीफ़ाइनल में पाकिस्तान का मुक़ाबला बांग्लादेश से था और भारत का श्रीलंका से.
मोदी जी भी आए हैं!
हर जगह भारत-पाकिस्तान का झंडा लहरा रहा है. हिंदुस्तान ज़िंदाबाद, पाकिस्तान ज़िंदाबाद के नारे लग रहे हैं. इंग्लैंड के दर्शक हाथ में बीयर लिए हुए मुंह लटकाए बैठे हैं. उनमें से कुछ के हाथ में पाकिस्तान का झंडा है तो कुछ ने तिरंगा थाम रखा है.
मैच देखने नवाज़ शरीफ़ और नरेंद्र मोदी भी आए हैं. मोदीजी का सीना उनके कुर्ते में समा नहीं रहा है, मियां साहब की मुस्कान दोनों कानों तक फैलती जा रही है.
ब्राज़ील की राष्ट्रपति दिलमा रूसेफ़ उनके स्वागत में खड़ी हैं. मियां साहब उनके साथ सेल्फ़ी ले रहे हैं. मोदीजी अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे हैं.
रूसेफ़ अपने रोनैल्डिनियो नाम के खेलमंत्री के साथ आती हैं और मोदीजी से पूछती हैं: “क्या ऐसा संभव है कि आपके देश के खिलाड़ी ब्राज़ील के नौजवानों को फ़ुटबॉल खेलना सिखाएं. कोचिंग का जो भी ख़र्च आएगा हम दे देंगे.”
मोदीजी कहते हैं: मितरों, चिंता न करें. आपके यहां भी अच्छे दिन आएंगे. हम ज़रूर सिखाएंगे.
हकीकत या सपना?
स्टेडियम में बॉलीवुड के पंजाबी गाने बज रहे हैं. दिलमा रूसेफ़ ने एक अच्छे मेज़बान की तरह मियां साहब और मोदीजी दोनों का ख्याल रखते हुए ये गाने पसंद किए हैं.
ओबामा और कैमरून भी मैच देखने आए हैं लेकिन सबसे अगली क़तार में बस मेज़बान देश और फ़ाइनल में पहुंचने वाली टीमों के नेता ही बैठ सकते हैं इसलिए ओबामा और कैमरून को पीछे बैठना पड़ा है.
खेल शुरू होने से पहले वो चलकर आते हैं दोनों नेताओं से हाथ मिलाने के लिए. कहते हैं काश हम भी कभी आगे बैठ पाते.
मोदी ने ट्वीट करके खेल शुरू करने का एलान कर दिया है. मैदान पर ज़ोर की सीटी बजती है.
आप अभी तक पढ़े जा रहे हैं! मैं तो बस बुखार में यूं ही बड़बड़ा रहा था. डॉक्टर ने कहा है ये वर्ल्ड कप का बुखार है, एक महीने में उतरेगा. भारत-पाकिस्तान जैसे “दर्शक देश” के लोगों में इस तरह के सिंप्टम ज़्यादा नज़र आते हैं.
माफ़ी चाहता हूं आप सबको ये सपना दिखाने के लिए. वैसे घबराने की बात नहीं है. एक दिन ऐसा होकर रहेगा. मोदीजी ने कहा है – अच्छे दिन आएंगे.
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