टैम्पा : बाघों की संख्या लगातार घट रही है. आज की तारीख में केवल इनकी छह उप-प्रजातियां शेष रह गयी हैं. वैज्ञानिकों ने बृहस्पतिवार को इसकी पुष्टि की. ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि इस अध्ययन के परिणामों से विश्व भर में 4,000 से भी कम बचे बाघों को बचाने के प्रयास तेज करने में मदद मिलेगी.
छह उपप्रजातियों में बंगाल टाइगर, आमुर बाघ (साइबेरियाई बाघ), दक्षिणी चीन बाघ, सुमात्रा के बाघ, भारतीय-चीनी बाघ और मलाया के बाघ शामिल हैं. बाघ की अन्य तीन उप-प्रजातियां पहले से ही विलुप्त हो चुकी हैं, जिनमें कैस्पियन, जावा के बाघ और बाली के बाघ शामिल हैं. बाघों के जीवित रहने को सबसे ज्यादा खतरा उनके निवास स्थान के खोने और अवैध शिकार से है.
इन प्रजातियों को बेहतर ढंग से संरक्षित करने और नियंत्रित पर्यावरण एवं प्राकृतिक वास में प्रजनन को बढ़ावा दिये जाने का मुद्दा वैज्ञानिकों के बीच लंबे वक्त से चर्चा का विषय बना हुआ है. वैज्ञानिक बाघों की उप-प्रजातियों को लेकर एकमत नहीं हैं. किसी का कहना है कि बाघों के दो प्रकार हैं और अन्य का मानना है कि पांच या छह हैं.
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता बीजिंग के पेकिंग यूनिवर्सिटी के शु जिन लोउ ने कहा, ‘बाघों की उप-प्रजातियों की संख्या को लेकर सर्वसम्मति नहीं होने से विलुप्त होनेकी कगार पर मौजूद इस नस्ल को बचाने के वैश्विक प्रयास आंशिक रूप से बाधित हुए हैं.’ यह अध्ययन करंट बायोलॉजी में प्रकाशित हुआ है.