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सीटी बजाकर परिंदों की तरह बात करने की अनोखी बोली, बचानी होगी विरासत

नयी दिल्ली : अपनी बात कहने के लिए दुनिया भर में लोग तरह-तरह की भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं. पशु, पक्षी और परिंदे भी अलग-अलग तरह की आवाजें निकालकर आपस में संवाद करते हैं, लेकिन दुनिया का एक हिस्सा ऐसा है, जहां लोग सीटी बजाकर अपनी बात कहते हैं. संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक […]

नयी दिल्ली : अपनी बात कहने के लिए दुनिया भर में लोग तरह-तरह की भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं. पशु, पक्षी और परिंदे भी अलग-अलग तरह की आवाजें निकालकर आपस में संवाद करते हैं, लेकिन दुनिया का एक हिस्सा ऐसा है, जहां लोग सीटी बजाकर अपनी बात कहते हैं.

संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी ने पिछले बरस तुर्की के एक हिस्से में बोली जाने वाली ‘बर्ड लैंग्वेज’ को अपनी धरोहर सूची में शामिल किया और इसके संरक्षण की जरूरत बतायी, जिसके बाद पूरी दुनिया का ध्यान इस अनोखी भाषा की ओर आकर्षित हुआ.

उत्तरी तुर्की के गिरेसुन प्रांत के गांवों में रहने वाले करीब 10 हजार लोग आज भी इस बेहद खूबसूरत भाषा को जीवित रखे हुए हैं.

यूनेस्को ने इस बेहद सुरीली भाषा को अपनी हेरिटेज सूची में शामिल करने के मौके पर जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि ऊंची-ऊंची दुर्गम पहाड़ियों वाले इन इलाकों में रहने वाले लोग अपनी बात को दूर तक पहुंचाने के लिए सीटी के जरिये संवाद करते हैं.

एक जमाने में ढोल बजाकर अपनी आवाज पहुंचाने का चलन हुआ करता था. लेकिन, आज संचार के आधुनिकतम माध्यमों के बीच काला सागर के तट पर बसे पर्वतीय इलाके में सीटी बजाकर छोटे-छोटे संदेश दूर तक पहुंचाने की इस खूबसूरत बोली को बचाने की कोशिश हो रही है.

यूनेस्को का कहना है कि मोबाइल फोन का बढ़ता इस्तेमाल पहाड़ी इलाकों में तीन से पांच किलोमीटर से अधिक दूर से भी सुनाई देने वाली हवा में गूंजती इस बोली का सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन तरह के उपाय करके इस धरोहर के संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है.

तुर्की के हुर्रियत डेली न्यूज का कहना है कि 50 बरस पहले तक आसपास के कई इलाकों में परिंदों की तरह बोली जाने वाली इस बोली का खासा प्रचलन था, लेकिन मोबाइल के बढ़ते प्रसार के कारण अब यह बहुत छोटे इलाके में सिमटकर रह गयी है.

यहां भी मुख्यत: चरवाहों ने इस बोली को जिंदा रखा. हालांकि, अब आधुनिक संचार माध्यमों के बीच भी लोग इस बोली के जरिये बात करते दिखाई देते हैं.

एक अन्य अखबार मिलियत का कहना है कि स्थानीय लोग इस बोली को विश्व धरोहर सूची में शामिल किये जाने से बहुत उत्साहित हैं और बर्ड लैंग्वेज सांस्कृतिक एसोसिएशन के जरिये तरह-तरह के उपायों से इसे संरक्षित रखने की कोशिश की जा रही है.

हालांकि, बोली को संरक्षित रखने के प्रयास पिछले काफी समय से किये जा रहे हैं. जिला प्रशासन ने वर्ष 2014 से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यह बोली सिखाने की व्यवस्था की है. समय-समय पर बर्ड लैंग्वेज उत्सवों का आयोजन करके ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह भाषा सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है.

एक समय में पर्वतीय इलाकों में रहने वालों के लिए संवाद करना मुश्किल होता होगा. किसी काम से घर से निकले व्यक्ति को अगर किसी कारणवश देर हो जाये, तो वह कैसे बताये कि वह सुरक्षित है, पहाड़ी के दूसरी तरफ रहने वालों को कोई संदेश देना हो, तो क्या करें, कहीं कोई भटक गया हो, तो अपनी मंजिल तक कैसे पहुंचे, कोई आपदा हो, तो बचाव के लिए कैसे पुकारें?

इन तमाम सवालों का एक आसान-सा जवाब था. सीटी बजाकर बोली जाने वाली यह अनोखी भाषा.

विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया के कई हिस्सों में सदियों से सीटी की भाषा बोलने का चलन रहा है. तुर्की के अलावा स्पेन, मैक्सिको और यूनान में भी यह बोली प्रचलित रही, लेकिन तुर्की कीबर्ड लैग्वेज सबसे समृद्ध है. इसमें 400 से ज्यादा शब्द और वाक्यांश हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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