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मेरी बेबाक़ी ने मुझे तबाह कर दिया: नीना गुप्ता

<p>नीना गुप्ता का नाम आते ही लोगों के ज़ेहन में बेबाक़ी का चेहरा नज़र आता है. </p><p>चार दशकों से हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में काम कर रही नीना गुप्ता ने ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जी है, लेकिन उनका मानना है कि उनके बेबाक़पन ने उन्हें तबाह कर दिया. </p><p>नीना गुप्ता की माँ चाहती थीं कि नीना […]

<p>नीना गुप्ता का नाम आते ही लोगों के ज़ेहन में बेबाक़ी का चेहरा नज़र आता है. </p><p>चार दशकों से हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री में काम कर रही नीना गुप्ता ने ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जी है, लेकिन उनका मानना है कि उनके बेबाक़पन ने उन्हें तबाह कर दिया. </p><p>नीना गुप्ता की माँ चाहती थीं कि नीना आईएएस बनें और पढ़ाई करें. उनके घर में हिंदी सिनेमा को अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता था. </p><p>लेकिन नीना गुप्ता को तो अभिनेत्री ही बनना था, इसलिए उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाख़िला ले लिया. </p><p>फ़िल्म ‘गाँधी’ में उन्होंने कस्तूरबा गाँधी के किरदार के लिए ऑडिशन दिया था लेकिन उन्हें फ़िल्म में आभा का किरदार मिला. उस दौरान ‘गाँधी’ फ़िल्म के लिए उन्हें 10 हज़ार रुपए मिले, जिसके बाद वो मुंबई में अभिनेत्री बनने का सपना लेकर आ गईं. </p><p><strong>बेबाक़ छवि </strong><strong>के चलते नुकसान</strong></p><p>यहां हिंदी फ़िल्मों के बड़े निर्देशकों से मिलना बहुत मुश्किल था और उस दौरान सिर्फ़ श्याम बेनेगल, कुंदन शाह और गोविन्द निहलानी जैसे निर्देशकों तक ही वो पहुंच पाईं और उनके साथ नीना गुप्ता ने जाने भी दो यारो, मंडी, दृष्टि जैसी फ़िल्मों में काम किया.</p><p>80 के दशक में नीना गुप्ता का प्रेम प्रसंग वेस्ट इंडीज़ के पूर्व क्रिकेटर विवियन रिचर्ड्स से सामने आया. जिसके बाद नीना ने विवियन की बेटी मसाबा को जन्म दिया. </p><p>इसके बाद से नीना गुप्ता की छवि बेबाक़ महिला की बन गई, लेकिन उन्हें अपने फ़िल्मी करियर में इसका खमियाज़ा भी भुगतना पड़ा. बेबाक़ छवि के कारण उन्हें सिर्फ़ नकारात्मक किरदार या छोटे-मोटे किरदार मिलने लगे. उन्हें बतौर हिरोइन फ़िल्में नहीं मिली. </p><p><strong>छोटे परदे </strong><strong>पर काम किया </strong></p><p>बीबीसी से ख़ास बातचीत में नीना गुप्ता ने कहा, &quot;मेरी बेबक़ी ने मुझे तबाह कर दिया. हमारे यहां जैसा व्यक्तित्व होता है वैसे ही किरदार मिलते है. प्रबल महिला होने के कारण मुझे नकारात्मक किरदार ही मिले. मेरी पहली कमर्शियल फ़िल्म &quot;साथ-साथ&quot; में मैंने चश्मा पहनने वाली एक चुलबुली लड़की का किरदार निभाया था. दर्शकों को ये किरदार ख़ासा पसंद आया. लेकिन गिरीश कर्नाड ने उस समय मुझसे कहा था कि अब मुझे कोई अभिनेत्री का किरदार नहीं देगा और वही हुआ. &quot;चोली के पीछे&quot; गाने के बाद भी मुझे ऐसी ही गाने मिलते रहे.&quot;</p><p>नीना गुप्ता ने बतौर अभिनेत्री अपने आप को साबित करने के लिए टीवी का रुख़ किया, लेकिन उससे उनके फ़िल्मी करियर को कोई फ़ायदा नहीं हुआ. </p><p>वो कहती हैं कि टीवी ने उन्हें बचाया. अगर उस दौरान वो टीवी नहीं करतीं तो उन्हें वापस जाना पड़ता. पर उन्हें ख़ुशी है कि टीवी के उस सुनहरे वक्त की वो हिस्सा रही और &quot;कमज़ोर कड़ी कौन&quot;, यात्रा&quot;, &quot;दाने अनार के&quot;, &quot;सास&quot; जैसे धारावाहिक में काम किया. </p><p><strong>'</strong><strong>औरत के रूप में जन्म लेना अभिशाप</strong><strong>'</strong></p><p>धारावाहिक &quot;सास&quot; को लेकर नीना गुप्ता कहती है, &quot;मैंने निर्देशन का रास्ता इसलिए चुना, क्योंकि मेरे अंदर बहुत कुछ था और मैं उसे अपने तरीके बताना चाहती थी. मैंने उसमें वो सब डाला जो बतौर महिला मैं महसूस करती थी.&quot;</p><p>नीना कहती हैं, &quot;मेरा हमेशा से ही औरतों के साथ एक नज़दीकी रिश्ता रहा है. उस दौरान मैं कई सेमिनार में जाती थी और बोलती थी कि औरत के रूप में जन्म लेना अभिशाप है. लोग हैरान हो जाया करते थे, लेकिन फिर मैं अपने कारण बताती थी. मैं हमेशा से ही महिलाओं के विषय पर ही कहानी बनाना चाहती थी. मेरे अन्दर बहुत कुछ है. औरतें जिन मुश्किलों से गुज़रती है वो मुझे बहुत दुखी करता है. आज भी ऐसे विषय हैं जिन्हे मैं बताना चाहती हूं.&quot; </p><p>महिला सशक्तिकरण पर सवाल उठाते हुए नीना गुप्ता कहती हैं, &quot;कोई महिला सशक्तिकरण नहीं हुआ है. पहले औरतें घर देखा करती थी और आज वो काम भी करती हैं और घर भी देखती हैं. आज भी आदमियों को सिखाया नहीं जाता कि काम बांटना चाहिए. महिलाएं तेज़ी से बदल रही हैं लेकिन मर्द नहीं बदल रहे हैं. महिलाओं के लिए बहुत ही मुश्किल घड़ी है और उसी कारण अराजकता है.&quot;</p><p>नीना गुप्ता एक लंबे अरसे के बाद व्यंग्यात्मक हास्य फ़िल्म &quot;बधाई हो&quot; में अहम भूमिका में नज़र आएंगीं. इस फ़िल्म में वो एक ऐसी महिला का क़िरदार निभा रही है जो अधेड़ उम्र में गर्भवती हो जाती है. ये फ़िल्म दिखाती है कि इसके बाद समाज का क्या रवैया होता है.</p><p>अभिनय के इस पड़ाव को वो अपनी सेकेंड इनिंग मानती हैं क्योंकि फ़िल्मों में लीड रोल के लिए उन्होंने लंबा संघर्ष किया है. पिछले साल सोशल मीडिया पर काम मांगने वाले पोस्ट के बाद उन्हें कई अच्छे क़िरदार मिल रहे हैं. </p><p>हालांकि वो सोचती है काश वो इस पीढ़ी से होतीं क्योंकि आज बहुत बेहतरीन किरदार और कहानियां आ रही हैं और आज की अभिनेता पीढ़ी के लिए ये सुनहरा वक़्त है. </p><p>अमित शर्मा द्वारा निर्देशित &quot;बधाई हो&quot; में नीना गुप्ता के साथ आयुष्मान खुराना, सान्या मल्होत्रा और गजराज राव अहम भूमिका में नज़र आएंगे. फ़िल्म 19 अक्टूबर को रिलीज़ हो रही है.</p><p><strong>ये भी पढ़ें…</strong></p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-40764489">नीना गुप्ता ने अपने लिए मांगा काम!</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment-40808587">नीना गुप्ता को सोशल मीडिया पर क्यों काम मांगना पड़ा? </a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/social-41597665">’नामी लोगों की नाजायज़ बेटी होने पर गर्व है'</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/entertainment/2015/05/150428_mera_vo_matlab_nahi_tha_play_ssm">’मेरा वो मतलब नहीं था’: अधूरे रिश्ते की कहानी</a></li> </ul><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a href="https://www.youtube.com/user/bbchindi">यूट्यूब</a><strong>पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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