महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या के पांच साल पूरे होने से ठीक दो दिन पहले जांच एजेंसियों ने दो लोगों को गिरफ़्तार किया है.
जांच एजेंसियों का दावा है कि इन लोगों ने दाभोलकर की हत्या किए जाने की बात क़बूल ली है.
हालांकि सीबीआई की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "दाभोलकर की हत्या के सिलसिले में सीबीआई ने औरंगाबाद से सचिन प्रकाश दुंधरी को गिरफ़्तार कर लिया. संदेह है कि वो दाभोलकर पर गोली चलाने वाले लोगों में से एक है. जांच चल रही है."
जांच एजेंसियों ने जिस दूसरे शख़्स को गिरफ़्तार किया है, उसके बारे में अभी जानकारी सामने नहीं आ पाई है. सीबीआई के मुताबिक गिरफ़्तार किए गए लोगों को रविवार को अदालत में पेश किया जाएगा.
इस गिरफ़्तारी से पहले महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने वैभव राउत, शरद कलास्कर और सुधना गोंडलेकर को गिरफ़्तार करके महाराष्ट्र में हिंदुत्ववादी कार्यकर्ताओं के हमले की योजना को बेनक़ाब करने का दावा किया था.
एटीएस के मुताबिक इन तीनों से पूछताछ के दौरान ही एक संदिग्ध ने दाभोलकर की हत्या में शामिल होने की बात स्वीकार की थी. इसके बाद एटीएस ने ये जानकारी दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई की टीम को सौंपी.
इसके बाद सीबीआई ने सचिन प्रकाश दुंधरी और एक अन्य शख़्स को गिरफ़्तार किया है.
पहले भी हुई है गिरफ़्तारी
अंधविश्वास के ख़िलाफ़ अभियान चलाने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को पुणे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस हत्याकांड की जांच मुंबई हाईकोर्ट ने मई, 2014 में सीबीआई को सौंपी.
सीबीआई ने सितंबर, 2016 को पनवेल में हिंदू जनजागृति समिति आश्रम से वीरेंद्र तावड़े को गिरफ़्तार किया था. सीबीआई ने ये बताया था कि सनातन संस्था के कार्यकर्ता सारंग अकोलकर और विनय पवार ने दाभोलकर को गोली मारी. ये दोनों अभी तक फ़रार हैं. सीबीआई की ओर से ये भी कहा गया था कि सांरग और विनय ने वीरेंद्र तावड़े की बाइक इस्तेमाल की थी.
हिंदुत्ववादी कार्यकर्ता महाराष्ट्र में हमले करने वाले थे: ATS
‘देश की हर गली में एक गोडसे घूम रहा है’
‘दाभोलकर का क़ातिल सनातन संंस्था का’
‘काश ये गिरफ़्तारी पहले होती’
गिरफ़्तारियों की पुष्टि के बाद दाभोलकर की बेटी मुक्ता दाभोलकर ने बीबीसी से कहा, "ये अहम डेवलवमेंट है. तावड़े की गिरफ़्तारी के ढाई साल बाद ये पहली गिरफ़्तारी है. इन गिरफ़्तारीयों पर न रुकते हुए जांच दलों को मुख्य साज़िशकर्ता तक पहुंचना चाहिए."
वो कहती हैं, "अगर ये गिरफ़्तारियां पहले हो गईं होती तो आज पंसारे, कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या ना हुई होती. मुझे लगता है कि उच्च न्यायालय की निगरानी ने जांच में अहम भूमिका निभाई है."
इसी बीच महाराष्ट्र सरकार ने मुक्ता दाभोलकर, हमीद दाभोलकर और डॉ. पंसारे की बहू को एक्स श्रेणी की सुरक्षा दी है.
कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के संदिग्ध की डायरी में इन सभी के नाम भी मिले थे, जिसके बाद इनकी सुरक्षा बढ़ाई गई है.
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