पटना : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक बड़े राजनेता, कवि और जन प्रतिनिधि होने के साथ एक भावुक इंसान भी थे. उनके जीवन में एक क्षण ऐसा भी आया था जब वह जनता से दूर होने की सोच कर फूट-फूट कर रोने लगे थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला वाजपेयी के जीवन क्षण के साक्षी हैं और उन्होंने आज बातचीत के क्रम में इस लम्हे को बयां किया. पूर्व पत्रकार शुक्ला ने बताया कि 1996 में जब वाजपेयी प्रधानमंत्री बनने जा रहे थे तो मैं उनका साक्षात्कार करने गया. मैंने उनसे कहा कि अटल जी अब तो प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं और कल से यहां सुरक्षा घेरा होगा और जनता से आप दूर से ही मिल पायेंगे. इस पर वह फूट-फूट कर रोने लगे.
उन्होंने कहा, कि मैंने अटल जी से पूछा कि आप इतना रो क्यों रहे हैं तो वह बोले कि जनता से दूरी होने की बात सोच रहा हूं. शुक्ला ने वाजपेयी के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि उनकी राजनीति सबको साथ लेकर चलने की थी. विचारधारा भले ही अलग हो, लेकिन एक प्रधानमंत्री के तौर पर वह सबको साथ लेकर चलते थे. विपक्ष भी उनके साथ बहुत सहज महसूस करता था. वह राजनीति में किसी के प्रति शत्रुता का भाव नहीं रखते थे. यही वजह थी कि हर कोई उनको पसंद करता था.
उन्होंने कहा कि आज के नेताओं को उनसे सीखने की जरूरत है. आज दलों, गुटों या किसी एक सोच के नेता हैं. इससे ऊपर की सोच रखने वाले नेता नहीं हैं. जो बात गांधी में थी, नेहरू में थी और शास्त्री में थी, उसी बात को वाजपेयी जी ने अपनाया. वह शानदार वक्ता भी थे. वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया. एम्स के अनुसार, 93 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री ने शाम 5 बज कर 5 मिनट पर अंतिम सांस ली. वाजपेयी को 11 जून 2018 को एम्स में भर्ती कराया गया था और डाॅक्टरों की निगरानी में पिछले नौ सप्ताह से उनकी हालत स्थिर बनी हुई थी.