कराची : क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान ने कहा है कि अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने भारत-पाक संबंधों को बेहतर करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत सरकार के पाकिस्तान विरोधी आक्रामक हाव भाव ने दोनों पड़ोसी देशों के बीच मौजूदा गतिरोध को जन्म दिया.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ प्रमुख खान ने यह भी कहा कि देश की जटिल राजनीतिक वास्तविकताओं को समझनेवाला व्यक्ति ही प्रधानमंत्री आवास में जायेगा. खान की पार्टी 25 जुलाई को होने जा रहे चुनाव से पहले अपना आधार मजबूत करती दिख रही है. खान (65) ने डॉन अखबार को दिये साक्षात्कार में कहा कि शरीफ ने भारत के साथ संबंधों को बेहतर बनाने की अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश की. उन्होंने कहा कि शरीफ ने हर कोशिश की, यहां तक कि उन्हें (नरेंद्र मोदी को) अपने घर भी बुलाया. उन्होंने कहा, ‘लेकिन उन्हें लगता है कि पाकिस्तान को अलग-थलग रखना नरेंद्र मोदी सरकार की नीति है. उनका पाकिस्तान विरोधी एक बहुत ही आक्रामक हावभाव है. कोई भी इस तरह के रवैये पर क्या कर सकता है?’
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसंबर 2015 में पाकिस्तान गये थे, लेकिन जनवरी 2016 में पठानकोट में हुए आतंकवादी हमले और फिर सितंबर में उरी में हुए हमले ने दोनों देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण कर दिया. पाकिस्तान की विदेश नीति में सेना के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए खान ने कहा, ‘जहां सुरक्षा की समस्या होगी, वहां थल सेना को शामिल किया जायेगा. यदि आप अफगानिस्तान में अमेरिका की नीति को देखें, तो कई अमेरिकी-अफगान नीतियां पेंटागन से प्रभावित हुई हैं. यहां तक कि जब बराक ओबामा (पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति) ने अफगानिस्तान में युद्ध जारी नहीं रखना चाहा, तब उन्हें इसे जारी रखना पड़ा क्योंकि उन्हें पेंटागन ने इसके लिए मनाया.’
पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना ने देश की राजनीति में हमेशा ही एक अहम भूमिका निभायी है. सेना ने पाकिस्तान के 70 साल के इतिहास में 33 साल से अधिक समय तक शासन किया है. खान ने कहा, ‘पाकिस्तान में राजनीति पर सेना का प्रभाव रहा है क्योंकि हमारे पास बदतर राजनीतिक सरकारें थीं. मैं इसे उचित नहीं ठहरा रहा, लेकिन जहां खाली जगह होगी, उसे कुछ ना कुछ तो भरेगा ही. ‘उन्होंने कहा, ‘आप चुनाव जीतने के लिए लड़ते हैं. मैं जीतना चाहता हूं. यह यूरोप नहीं है. पाकिस्तान में आपको धन और हजारों प्रशिक्षित पोलिंग एजेंट की जरूरत होती है जो लोगों को चुनाव के दिन मतदान केंद्र तक ले जा सकें. यदि आपके पास ऐसे कार्यकर्ता नहीं हैं तो आप चुनाव नहीं लड़ सकते.’