वाशिंगटन : आतंकवाद विरोधी कार्यक्रमों के लिए पाकिस्तान को अमेरिका द्वारा दी जानेवाली 35 करोड़ डॉलर की वित्तीय सहायता पर अमेरिकी संसद की प्रभावशाली समिति ने कुछ शर्तें लगायी हैं. इन शर्तों का मकसद पाकिस्तान पर हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बनाना है.
अमेरिका पाकिस्तान पर हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ कार्रवाई करने का लगातार दबाव बनाता रहा है. हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों के खिलाफ अपहरण और हमलों की कई घटनाओं को अंजाम दिया है. तालिबान से संबंधित यह समूह अफगानिस्तान में भारतीय हितों के खिलाफ हुए कई घातक हमलों के लिए भी जिम्मेदार माना जाता है. इसमें 2008 में काबुल में भारतीय दूतावास में किये गये विस्फोट की घटना भी शामिल है जिसमें 58 लोग मारे गये थे. सदन की सशस्त्र सेवा समिति ने सोमवार को राष्ट्रीय रक्षा प्रमाणन (एनडीएए) विधेयक का अपना संस्करण जारी करते हुए कहा कि पाकिस्तान को दी जानेवाली प्रस्तावित 70 करोड़ डॉलर की सहायता राशि में से 35 करोड़ डॉलर की राशि तब तक न जारी की जाये जब तक रक्षा मंत्री कांग्रेस को यह विश्वास नहीं दिला देते कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की है.
एनडीएए के 700 पन्नों में पेश मसौदे के मुताबिक वह पाकिस्तान को गठबंधन समर्थन निधि (सीएसएफ) के नाम पर 70 करोड़ डॉलर अधिकृत करता है. विधेयक में कहा गया, इस राशि में से 35 करोड़ डॉलर से ज्यादा राशि तब तक नहीं दी जानी चाहिए जब तक कि रक्षा मंत्री यह भरोसा न दिला दें कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ स्पष्ट तौर पर कदम उठा रहा है.