बीजिंग : विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए मंगलवारको कहा कि आतंकवाद मूल मानवाधिकारों का दुश्मन है और आतंक के खिलाफ लड़ाई में ऐसे देशों की पहचान करने की भी जरूरत है जो उसे ‘बढ़ावा, समर्थन एवं धन देते हैं’ तथा आतंकी समूहों को ‘सुरक्षित पनाहगाह’ मुहैया कराते हैं.
शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए सुषमा ने वैश्विक आतंकवाद और संरक्षणवाद का मुद्दा उठाया. इस बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ भी मौजूद हैं. सुषमा ने कहा कि आज दुनिया के सामने कई चुनौतियां हैं. सबसे बड़ी चुनौती वैश्विक आतंकवाद है और उससे लड़ने के लिए तुरंत मजबूत सुरक्षा ढांचा तैयार करने की जरूरत है. सुषमा ने कहा, ‘आतंकवाद मौलिक मानवाधिकारों-जीवन, शांति और समृद्धि (के अधिकार) का दुश्मन है.’ उन्होंने कहा, आपराधिक आतंकवादी मिलिशिया सीमाओं से बंधे हुए नहीं है, क्योंकि वह अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के ढांचे को नष्ट करना चाहते हैं और बहुलतावाद में विश्वास करनेवाले समाज में डर की दीवारें खड़ी करना चाहते हैं.
किसी देश का नाम लिये बगैर सुषमा ने कहा, ‘हमारा दृढ़ विश्वास है कि आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई सिर्फ आतंकवादियों को खत्म करने तक नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह ऐसे देशों की पहचान करने और उनके खिलाफ कठोर कदम उठाने की भी होनी चाहिए जो आतंकवाद को बढ़ावा, समर्थन और वित्त पोषण देते हैं तथा आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराते हैं.’ विदेश मंत्री ने कहा, विवेकहीन तरीके से मासूमों की हत्या करना और उनका अंग भंग करना मानवाधिकारों का सबसे क्रूर उल्लंघन है. उन्होंने कहा, ‘दुनिया से इस अभिशाप को खत्म करने के लिए हमें साथ काम करना होगा. इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, हमें अपने मतभेदों से परे एकजुट होना होगा, अपने संकल्प को दृढ़ करना होगा और आतंकवाद के खिलाफ प्रभावी रणनीति बनानी होगी. हम एससीओ के गठन के समय से ही आतंकवाद के मुद्दे पर उसकी स्पष्टता का स्वागत करते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘हमें तत्काल ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद संबंधी व्यापक कंवेंशन’ के गठन का प्रयास करना चाहिए. भारत ने दो दशक पहले संयुक्त राष्ट्र में इसका प्रस्ताव रखा था. हम विस्तृत, सहयोगात्मक और सतत सुरक्षा के लिए एससीओ की रूपरेखा के तहत रहते हुए सहयोग को लगातर मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.’ व्यापार और निवेश के संबंध में सुषमा ने कहा, ‘संरक्षणवाद को उसके प्रत्येक रूप में खारिज किया जाना चाहिए और व्यापार के मार्ग में अवरोधक पैदा करनेवाले तत्वों को नियंत्रित करने की कोशिश की जानी चाहिए.’
एससीओ की विदेश मंत्रियों की बैठक में भारत की सुषमा स्वराज और पाकिस्तान के ख्वाजा मोहम्मद आसिफ, चीन के वांग यि, कजाख्स्तान के कैरात अब्द्राखमानोव, किर्गिस्तान के अब्दीलदेव अर्लान बेकेशोविच, रूस के सर्गेई लावरोव, ताजीकिस्तान के सिरोदजिदिन मुरीदिनोविच अस्लोव, उज्बेकिस्तान के अब्दुलाजीज खाफिजोविच कामिलोव और एएससीओ के महासचिव राशिद अलिमोव सहित अन्य लोगों ने भाग लिया. सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का मुद्दा भी उठाया. उन्होंने कहा, ‘हममें से कई लोगों को स्पष्ट रूप से इसका भान है कि मौजूदा सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में सुरक्षा परिषद लगातार अक्षम है या कभी-कभी अनिच्छा दर्शाता है, इसका नतीजा बहुत दुखद होता है.’ भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में सुधार की मांग कर रहा है.
विदेश मंत्री ने कहा, ‘हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि संयुक्त राष्टू में सुधार तब तक पूर्ण नहीं होंगे जब तक कि सुरक्षा परिषद में वर्तमान वास्तविकता के प्रतिनिधित्व के आधार पर सुधार नहीं किया जाता.’ उन्होंने कहा, ‘वर्ष 2008 से ही, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार पर चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय बेहद संयमित तरीके से ‘संयुक्त राष्ट्र पर अंतर-सरकारी वार्ता’ को आगे बढ़ा रहा है.’ सुषमा ने कहा कि बड़ी संख्या में सदस्यों ने इस वार्ता को आगे बढ़ाने में दिलचस्पी दिखायी है. सुषमा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लड़ने के लिए भारत जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के फ्रेमवर्क कंवेंशन और 2015 के पेरिस समझौते को लेकर प्रतिबद्ध है. जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटना और सुरक्षित, सस्ते और सतत स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देना भारत की साझा प्राथमिकता है.
उन्होंने कहा, दिसंबर 2017 में ‘अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की स्थापना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2018 में नयी दिल्ली में उसके संस्थापना सम्मेलन की मेजबानी की. इस दौरान ‘दिल्ली सौर एजेंडा’ को स्वीकार किया गया. विदेश मंत्री ने कहा, हम चाहते हैं कि संपर्क हमारे समाजों के बीच सहयोग और विश्वास का मार्ग प्रशस्त करे. इसके लिए संप्रभुत्ता का सम्मान आवश्यक है. समावेश, पारदर्शिता और संवहनीयता अनिवार्य हैं. संपर्क बढ़ाने के लिए भारत में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बहुत ज्यादा सहयोग किया है. उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा, चाबहार बंदरगाह का विकास, अश्गाबट संधि, भारत-म्यांमार-थाईलैंड राजमार्ग परियोजना और बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल परियोजना सहित अन्य में हमारी संलिप्तता से यह स्पष्ट है. सुषमा ने कहा कि भारत ने काबुल, कंधार, नयी दिल्ली और मुंबई के बीच पिछले वर्ष ही हवाई माल-वाहक गलियारा शुरू किया है.