वाशिंगटन : अमेरिका की कांग्रेस ने शुक्रवार को करीब 700 अरब डॉलर का रक्षा बजट पारित किया. इस बजट में अन्य चीजों के अलावा भारत के साथ रक्षा सहयोग में वृद्धि को बढ़ावा देने की बात भी शामिल है. वर्ष 2018 का राष्ट्रीय रक्षा अधिकृत अधिनियम (एनडीएए) कांग्रेस के दोनों सदन- हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स और सीनेट में ध्वनि मत से पारित हो गया. इसे कानून की शक्ल देने के लिए हस्तक्षर के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पास भेजा जाएगा.
बजट में अमेरिका की ओर से दिये जाने वाले सैन्य और सुरक्षा सहयोग के लिए पाकिस्तान पर सख्त शर्तें भी लगायी गयीं हैं. साथ ही अपनी नयी दक्षिण एशिया रणनीति को लागू करने के लिए व्हाइट हाउस के अंतिम समय में किये गये वित्तीय अनुरोध को भी जोड़ा गया है. एनडीएए-2018 में विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री से ऐसी आम परिभाषा निर्धारित करने के लिए भी कहा गया है जो भारत की पहचान बडे रक्षा सहोयगी के तौर पर करे.
इस कदम का स्वागत करते हुए शीर्ष रिपब्लिकन सीनेटर टेड क्रूज ने कहा कि 21वीं सदी में की गयी कुछ साझेदारियां अमेरिका-भारत साझेदारी से ज्यादा रणनीतिक महत्त्व रखती हैं. वैधानिक प्रक्रिया के दौरान क्रूज ने वह संसोधन भी पारित करवा लिया जिसमें रक्षा विभाग से भारत के साथ की जाने वाली साझेदारी के दृष्टिकोण का फिर से आंकलन करने की बात शामिल है और इस पूरी प्रक्रिया के निरीक्षण के लिए किसी व्यक्ति को नियुक्त करने को कहा गया है.
इसके अलावा उन्होंने सीनेटर मार्क वार्नर द्वारा सुझाये गये उस संशोधन को भी सुरक्षित किया जिसे अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग की रणनीति को विकसित करने के लिए लाया गया था. एनडीएए-2018 में पेंटागन से भारत के साथ रक्षा संबंधों को मजबूत करने के लिए एक दूरदर्शी रणनीति विकसित करने के लिए भी कहा गया है जो वर्तमान उद्देश्यों और लक्ष्यों पर आधारित हो और भारत के साथ स्थायी रक्षा संबंधों को विकसित करने के लिए परस्पर इच्छा को रेखांकित करे. इसके मुताबिक दोनों देशों को अफगानिस्तान के साथ करीब से काम करना होगा ताकि क्षेत्र में स्थिरता लायी जा सके. इसमें लक्षित संरचनात्मक ढांचों का विकास और आर्थिक निवेश, देश में क्षमताओं के फासलों की पहचान करने के माध्यम और बेहतर मानवीय और आपदा राहत सहयोग मुहैया कराना शामिल है.
अमेरिकी कांग्रेस ने वर्ष 2017 के रक्षा बजट में भारत को बडे रक्षा सहयोगी के तौर पर चिन्हित किया था. अपनी हालिया सम्मेलन रिपोर्ट में कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि भारत को दी गई यह पदवी अनोखी है. यह दोनों देशों के बीच रक्षा व्यापार और तकनीक सहयोग को उस स्तर तक बढाने वाली प्रक्रिया को बढावा देगा जो अमेरिका के सबसे करीबी सहयोगी के बराबर होगा.
इसमें कहा गया, यह ओहदा अमेरिका और भारत के बीच रक्षा सहयोग को समर्थन देने वाले संयुक्त अभ्यासों, रक्षा रणनीति और नीति समन्वय, सैन्य विनिमय और बंदरगाहों के निर्माण को बढावा देता है. एमडीएए-2018 में सैन्य गठबंधन सहायता निधि (सीएसएफ) के तहत पाकिस्तान को भी 35 करोड डॉलर की राशि उपलब्ध करायह गयी है जो कि उसे तब मिलेगी जब अमेरिकी रक्षा मंत्री इस बात को प्रमाणित कर देंगे कि पाकिस्तान हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ प्रदर्शनीय कदम उठा रहा है. पिछले दो सालों में दो अमेरिकी रक्षा मंत्रियों एशटन कार्टर और उनके बाद पद संभालने वाले जिम मैटिस ने पाकिस्तान को ऐसा कोई भी प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया था क्योंकि उनका मानना था कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ ठोस और संतोषजनक कदम नहीं उठाये.
हाउस और सीनेट द्वारा पारित दूसरी रिपोर्ट में में कहा गया है कि लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तानी सीमा के भीतर संचालित हो रहे अन्य आतंकवादी समूहों के खिलाफ पाकिस्तान द्वारा उठाए जाने वाले कदम अमेरिका की प्राथमिकताओं में शामिल है. इसमें अमेरिकी रक्षा मंत्रालय से अपील की गई है कि वह पाकिस्तान को दिए जा रहे अमेरिकी सुरक्षा सहयोग का करीब से निरीक्षण करें और सुनिश्चित करें कि पाकिस्तान ऐसे सहयोग का प्रयोग आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के लिए तो नहीं कर रहा और ऐसा होने की स्थिति में उचित कदम उठाए जाएं जो पाकिस्तानी सेना को परिणाम भुगतने के लिए तैयार रखे.
रिपोर्ट में रक्षा मंत्री से यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि पाकिस्तान ऐसे सहयोगों का इस्तेमाल अल्पसंख्यक समूहों को कष्ट पहुंचाने के लिए न कर रहा हो.