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Watch Video: नक्सल की तरह ही झारखंड में खत्म होगा नशे का कारोबार

झारखंड में युवाओं में बढ़ती नशे की आदत पर रांची जोन के आईजी अखिलेश झा ने विशेष बातचीत की और बताया कि किस तरह इसपर लगाम कसी जा सकती है.

झारखंड में इन दिनों युवाओं के बीच नशे का सेवन ट्रेंड की तरह हो चुका है. युवा पीढ़ी बुरी तरह इसकी जद में आ रही है. ऐसे में किस तरह से झारखंड से नशे के कारोबार पर पूर्ण विराम लगेगा और झारखंड के युवाओं का भविष्य सुधरेगा, इसके संबंध में प्रभात खबर डिटिजल के संपादक ने रांची जोन के आईजी अखिलेश झा से बातचीत की है. इस बातचीत में प्रभात खबर ने यह समझने की कोशिश की है कि आखिर कैसे झारखंड में तेजी से फल-फूल रहे इस कारोबार पर रोक लगेगी . वहीं, झाखंड पुलिस इस दिशा में क्या कार्य कर रही है.

झारखंड में तेजी से यह कारोबार किस तरह से बढ़ रहा है, के सवाल पर आईजी अखिलेश झा बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले तक झारखंड के केवल चतरा, पलामू और लातेहार जिले में ही अफीम की खेती होती थी. लेकिन अब यह धीरे-धीरे हजारीबाग और रांची से सटे खूंटी जिले में भी बढ़ती हुई दिख रही है. अब ये जिले भी अफीम की खेती से प्रभावित नजर आ रहे हैं. पुलिस लगातर इस मामले में कार्रवाई कर रही है. खेती को नष्ट किया जा रहा है. खेती करने वाले लोग और इसमें शामिल लोगों की गिरफ्तारियां की जा रही है. लेकिन इस कारोबार में लगे लोग भी अलग-अलग तरकीब निकाल कर अपना काम कर रहे हैं.

रांची जोन के आईजी कहते हैं कि पहले ये खेती रैयत की जमीन पर होती थी. लेकिन अब वो कभी फॉरेस्ट लैंड का चयन करते हैं तो कभी सरकारी जमीन पर ही कारोबारी अफीम की फसल लगा देते हैं. अखिलेश झा युवाओं के बीच तेजी से बढ़ते नशे के सेवन के ट्रेंड पर कहते हैं कि इसके पीछे भी एक वजह है. कुछ दिनों से झारखंड के बड़े शहरों जैसे रांची-धनबाद-जमशेदपुर में इसका सेवन काफी तेजी से बढ़ा है. इसे लेकर विगत कुछ दिनों में जमशेदपुर और सरायकेला से गिरफ्तारियां भी हुईं हैं. पुलिस लगातार इस दिशा में कार्य कर रही है.

वह आगे बताते हैं कि इस तरह के कारोबार को असमाजिक तत्वों का बढ़ावा मिलता है. वह इसमें अपना निवेश करते हैं. ज्यादा से ज्यादा रिर्टन की भी उम्मीद करते हैं. ऐसे में ग्रामीणों को जागरूक करने की जरूरत है. इस दिशा में सरकार भी कार्य कर रही है. वह बताते हैं कि अफीम की खेती से इतर ग्रामीणों को आम फसल से ही बेहतर लाभ मिले तो वह इसकी खेती कभी नहीं करेंगे. इसे लेकर सस्ते दरों में उन्हें बीज उपलब्ध करवाया जा रहा है. इस दिशा में अगर सभी विभाग जैसे फॉरेस्ट, एग्रीकल्चर, फाइनेंस एक साथ आ जाएं और लोगों को समझाएं कि इसकी खेती जमीन को बंजर बना सकती है तो यकिनन नक्सल की तरह ही हम नशे के इस कारोबार को भी खत्म कर पायेंगे.

इस दिशा में कार्य करने के लिए झारखंड में एनकोड फोरम पहले से बना हुआ है. जिसमें राज्य स्तर से लेकर जिला स्तर के अधिकारी जुड़े हैं. अखिलेश झा बताते हैं कि इस मंच पर हम सभी एक साथ आकर इस दिशा में कार्य करते हैं. अभी हमारी सरकार से मांग है कि फसलों को नष्ट करने के लिए एक अलग से टीम बने, जिनके पास तमाम तरह के आधुनिक उपकरण मौजूद हो. इससे नष्टीकरण का कार्य और भी आसान हो जायेगा. वहीं, समाज पर नशे के पड़ रहे दुष्प्रभाव के सवाल पर अखिलेश झा कहते हैं कि यकिनन इसके जद्द में आ चुके युवाओं का परिवार, जिसमें महिलाएं और बच्चें इससे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं. कहा जाए तो नशे के कारण पूरा एक परिवार बर्बाद हो जाता है.

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