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World Menstrual Hygiene Day 2022: मासिक धर्म पर चर्चा से अब नहीं हिचकते किशोर-किशोरी

विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस की थीम '2030 तक मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य फैक्ट बनाना' ( making menstruation a normal fact of life by 2030) है. यह थीम केवल दिवस मनाने के लिए नहीं है, बल्कि एक लक्ष्य है, जिसे 2030 तक हासिल करना है. जिससे कोई भी लड़की इन दिनों में सुरक्षित रहे.

Menstrual Hygiene Day 2022: मासिक धर्म एक सामान्य प्रक्रिया है जिसके बारे में सभी को खुलकर बात करनी चाहिए. मासिक धर्म पर ही नहीं बल्कि किशोरावस्था में होने वाले बदलावों के बारे में भी सभी को बात करनी चाहिए. जैसे किशोरों में अमूमन विपरीत सेक्स के लिए एक लगाव महसूस होता है, जिसके चलते वह कई बार गलत कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे में किसी भी दुविधा में फंसे किशोर- किशोरी को उचित परामर्श की सख्त जरूरत होती है.

हर तीन माह में मनाया जा रहा किशोर स्वास्थ्य दिवस 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के महाप्रबन्धक डॉ. वेद प्रकाश बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने उच्च प्राथमिकता वाले 25 जनपदों में न सिर्फ जिला स्तर बल्कि ग्रामीण स्तर पर हर तीन माह में एक आउट रीच कैंप लगाकर किशोर स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है. जिसमें थीम के अनुसार किशोर-किशोरी स्वास्थ्य पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं.

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किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक दूर कर रहे भ्रांतियां

वर्ष 2021-22 में इन कैम्प में लगभग 6400 से अधिक गतिविधियां आयोजित की गई. इसी के साथ पूरे प्रदेश में स्थापित किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक पर वर्ष 2021-22 में लगभग 7.39 लाख से अधिक किशोर-किशोरी रजिस्टर हुए. ग्रामीण स्तर पर गतिविधियां आयोजित की जा रही हैं. लेकिन शहरी क्षेत्र के किशोर-किशोरियों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और किशोरावस्था में होने वाले बदलावों के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता भी महसूस हुई.

खेल-खेल में दी जा रही जानकारी

पॉपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल (पीएसआई), इंडिया की टीसीआई परियोजना के सहयोग से प्रदेश के 15 शहरों के 334 शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर किशोर स्वास्थ्य दिवस हर माह की 8 तारीख को मनाया जा रहा है. इसके लिए शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के लगभग 3817 स्टाफ़ को प्रशिक्षित किया गया है. इसमें किशोर-किशोरियों को खेल-खेल के माध्यम से किशोरावस्था में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जाता है.

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उनके खून की जांच, आयरन की गोली का वितरण, सेनेटरी पैड का प्रयोग एवं निस्तारण के बारे में बताया जाता है. डॉ. वेद प्रकाश ने बताया कि इस पूरे अभियान का आशय किशोर-किशोरियों तक जानकारी की पहुंच को बढ़ाना है. पीएसआई, इंडिया के कार्यकारी निदेशक मुकेश शर्मा ने बताया कि किशोर-किशोरियों को जागरूक करने का अभियान तीन साल पहले पांच जनपदों के साथ शुरू किया गया था.

पीएसआई इंडिया के राज्य प्रतिनिधि समरेंद्र बेहरा ने बताया कि अभियान से पहले पांच जिलों में किए गए सर्वे में पता चला कि स्वास्थ्य केंद्रों पर साल भर में सिर्फ 43 लड़के और 319 लड़कियां ही परामर्श के लिए पहुंचीं थी. निरंतर प्रयास का असर यह हुआ कि एक साल के अंदर ही लड़कों की संख्या करीब डेढ़ सौ गुना बढ़कर 6369 हो गयी. वहीं लड़कियों की संख्या लगभग 31 गुना बढ़कर 10059 हो गयी है. वर्तमान में प्रदेश के 15 शहरों में यह कार्यक्रम चलाया जा रहा है, जिससे हजारों किशोर-किशोरियां जुड़े हुए हैं.

मासिक धर्म पर बात करने में नहीं हिचकिचाते किशोर-किशोरी

गोरखपुर के रुस्तमपुर इलाके के 18 वर्षीय मयंक अब अपनी महिला मित्रों से मासिक धर्म पर चर्चा करने से नहीं हिचकते हैं. प्रयागराज की 17 वर्षीय कीर्ति भी मासिक धर्म के प्रति लोगों को जागरूक करने का कार्य करती हैं. वह बताती हैं कि लड़की होने के नाते भी बहुत से ऐसे संदेह होते हैं, जो लड़कियां खुलकर कह नहीं पातीं. जैसे मासिक धर्म के दौरान उचित रख-रखाव, सफ़ेद पानी आना, समय पर मासिक धर्म न होना, शरीर में हार्मोनल बदलाव, यौन क्रियाएं आदि. इन विषयों पर समय से जानकारी होना, उन्हें कई अनजानी बीमारियों से बचा सकता है.

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