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मुलायम सिंह यादव को पहली पुण्यतिथि पर सपा नेताओं ने दी श्रद्धांजलि, जानें दंगल से 55 साल का सियासी सफर

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की आज यानी 10 अक्टूबर को प्रथम पुण्यतिथि है.उनका पिछले वर्ष 10 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था.प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने प्रथम पुण्यतिथि पर शहर से लेकर गांव तक नेता जी को याद कर श्रद्धांजलि देने के निर्देश दिए हैं.

Mulayam Singh Yadav First Death Anniversary: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी जा रही है. सपा संस्थापक का पिछले वर्ष 10 अक्टूबर को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था. उनकी पुण्यतिथि पर बरेली सहित पूरे प्रदेश में सपा कार्यकर्ता विभिन्न आयोजन कर रहे हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि अर्पित की है. अखिलेश यादव इस मौके पर सैफई में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए हैं. मुलायम का पूरा परिवार मंगलवार को सैफई में उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचा है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की तीन बार कुर्सी संभालने वाले मुलायम सिंह यादव का बरेली से काफी लगाव था. उन्होंने सियासत में बड़ा नाम कमाया. मुलायम सिंह यादव एक वक्त में तीसरे मोर्चे की सरकार में प्रधानमंत्री पद के करीब तक पहुंच गए. मगर, लालू प्रसाद यादव और शरद पवार ने पेंच फंसा दिया. इस कारण वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाए. इस बात का जिक्र सियासी गलियारों में लंबे समय तक होता रहा. बाद में लालू प्रसाद यादव की बेटी राजलक्ष्मी की शादी मुलायम सिंह के पोते तेज प्रताप सिंह से होने के बाद एक बार फिर दोनों परिवारों के रिश्ते बेहद प्रगाढ़ हो गए. नेताजी के निधन पर लालू प्रसाद का यादव का परिवार सैफई पहुंचा था. वहीं मुलायम सिंह की लोकप्रियता की बात करें तो उन्हें सपा के साथ दूसरे दलों में भी बेहद सम्मान मिला. उनके निधन पर पूरे देश से नेताओं ने शोक संवेदना प्रकट की. दलों की सीमा से परे उनका संबंध था.

जानें दंगल से सियासत का सफर

उत्तर प्रदेश के इटावा जनपद के सैफई में 22 नवंबर 1939 को जन्में मुलायम सिंह यादव दंगल (अखाड़े) के पहलवान थे. उन्होंने दंगल में अच्छे-अच्छे पहलवान को अपने दांव से चित किया. उनके पिता सुघर सिंह यादव की ख्वाहिश थी कि वह हिंद केसरी का खिताब जीतें, लेकिन कुश्ती के माहिर मुलायम सिंह यादव शिक्षक बन गए. उन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया. मुलायम सिंह की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई. उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर (एमए) और बीटीसी की. इसके बाद इंटरमीडिएट कालेज में प्रवक्ता नियुक्त हो गए. कुछ दिनों तक मैनपुरी के करहल स्थ‍ित जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे. मगर,सक्रिय राजनीति में आने के बाद नौकरी से त्यागपत्र दे दिया.वह दंगल के दांव पेंचों के साथ ही सियासत के भी माहिर खिलाड़ी हो गए.इसलिए देश में सुभाष चंद्र बोस के बाद सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को नेता जी का खिताब मिला.

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सियासी गुरु नत्थू चौधरी से दंगल में हुई मुलाकात

मुलायम सिंह यादव के सियासी गुरु जसबंत नगर विधानसभा के पूर्व विधायक चौधरी नत्थू सिंह थे.उनकी मुलाकात मैनपुरी में आयोजित एक कुश्ती-प्रतियोगिता के दौरान उस वक्त के विधायक नत्थू सिंह से हुई.वहीं से मुलायम सिंह यादव ने सियासी सफर शुरू किया.

पहली बार 1967 में बने थे एमएलए

मुलायम सिंह यादव सबसे पहली बार 1967 में विधायक बने.इसके बाद 1974, 1977, 1985, 1989, 1991, 1993, 1996 और 2003 में विधायक चुने गए.1982 से 1985 तक एमएलसी रहे.उस वक्त नेता विपक्ष की भी भूमिका निभाई.इसके बाद 1985 से 1987 तक विधानसभा में नेता विपक्ष रहे.

सोशलिस्ट पार्टी से शुरू किया सियासी सफर

मुलायम सिंह यादव ने सोशलिस्ट पार्टी से सियासी सफर शुरू किया.मगर, इसके बाद लोकदल और जनता दल में भी रहे थे.उन्होंने 1992 में समाजवादी पार्टी (सपा) का गठन किया.

वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद भी बरकरार रखी कुर्सी

मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें. नवंबर 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद मुलायम सिंह यादव ने चन्द्र शेखर के जनता दल का दामन थाम लिया.वह कांग्रेस की मदद से मुख्यमंत्री बने रहे. अप्रैल 1991 में कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया.

1993 में गठबंधन से बनाई सरकार

सपा और बसपा ने 1993 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा.दोनों को जनता ने बहुमत दिया.मुलायम सिंह यादव दूसरी बार सीएम बने.मगर, सरकार चलने के दौरान दोनों का टकराव होने लगा. 02 जून 1995 को बसपा ने समर्थन वापस लेने का ऐलान कर दिया.इससे सरकार अल्पमत में आ गई.

रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद, बरेली

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