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Sheetala Ashtami 2022 Katha:शीतला अष्टमी व्रत 25 मार्च को, माता को प्रसन्न करने के लिए जरूर पढ़ें ये कथा

Sheetala Ashtami 2022 Katha: शीतला अष्टमी के​ दिन शीतला माता को बासी पकवानों का भोग लगाने की परंपरा है. इस दिन विधिपूर्वक माता की पूजा की जाती है.

Sheetala Ashtami 2022 Katha: ऐसी धार्मिक मान्यता है कि शीतला अष्टमी का व्रत (Sheetala Ashtami Vrat) करने से चेचक, बड़ी माता, छोटी माता, संक्रामक रोग, त्वचा रोग, फोड़े आदि से मुक्ति मिलती है. इस बार शीतला अष्टमी व्रत 25 मार्च को है. शीतला अष्टमी के​ दिन शीतला माता को बासी पकवानों का भोग लगाने की परंपरा है. इस दिन विधिपूर्वक माता की पूजा की जाती है. व्रत के नियमों का पालन किया जाता है. माना जाता है कि ऐसा करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं और अरोग्य का आशीर्वाद देती हैं. ऐसे में जान लें कि शीतला अष्टमी की पूजा के समय शीतला अष्टमी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए. आगे पढ़ें शीतला अष्टमी व्रत कथा (Sheetala Ashtami Vrat Katha).

Sheetala Ashtami Vrat Katha: शीतला अष्टमी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक राज्य के राजा का एक ही बेटा था. उसे माता (चेचक) निकली थीं. उसी राज्य के एक गरीब परिवार के बेटे को भी माता निकल आई थी. वह परिवार मां भगवती की पूजा करता था. उस परिवार ने शीतला के समय जिन भी नियमों का पालन किया जाता है, उन सबका ध्यान रखा. घर में बिना छौंक के सब्जी बनती थी, भुने या तले हुए खानों और नमक पर पाबंदी थी. घर के सभी लोग ठंडा खाना ही खाते थे. ऐसा कुछ दिन तक चला और उस परिवार का बेटा स्वस्थ हो गया.

जबकि दूसरी ओर राजा के बेटे का रोग ठीक नहीं हो रहा था. राजा ने शतचंडी का पाठ शुरु कराया. उसके यहां रोज गरम स्वादिष्ट भोजन बनते थे. भुने और तले हुए भोजन खाये, पकाए जाते थे. मांस भी बनाया जाता था. राजा का बेटा जो भी जिद करता था, वह पूरी कर दी जाती थी. इनके सबके कारण राजा के बेटे के शरीर में फोड़े हो गए. उसमें खुजली और जलन होने लगी. उसे ठीक करने का जो भी उपाय किया जाता, उसका कोई असर नहीं होता. शीतला का प्रकोप और बढ़ गया. इन सबसे राजा परेशान हो गया. और वह सोचने लगा कि आखिर इतने उपाय करने के बाद भी माता का प्रकोप शांत क्यों नहीं हो रहा है.

तब राजा के गुप्तचरों ने उसे बताया कि राज्य में एक गरीब परिवार के बेटे को भी माता निकली थीं, लेकिन वह कुछ दिनों में ही स्वस्थ हो गया था. तब राजा ने सोचा कि वह तो माता की इतनी सेवा कर रहा है, फिर भी उनका प्रकोप कम क्यों नहीं हो रहा है. उसका बेटा स्वस्थ क्यों नहीं हो रहा है.

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परेशान राजा ये सब बातें सोचते-सोचते सो गया. नींद में उसके स्वप्न में शीतला माता ने दर्शन दिया. राजा से कहा कि वह उसकी सेवा और पूजा से प्रसन्न हैं, लेकिन तुमने शीतला के नियमों को तोड़ा है, इस वजह से शीतला का प्रकोप शांत नहीं हो रहा है, इसके लिए तुम खाने में नमक बंद कर दो, बिना छौंक के सब्जी बनाओ, खाने में तेल का प्रयोग न करो और सभी लोग ठंडा भोजन करों बेटे के पास किसी को मत जाने दो. ऐसा करने से जल्द ही तुम्हारा बेटा स्वस्थ हो जाएगा. अगले दिन सुबह उठने पर राजा ने रात के स्वप्न के बारे में सोचा और शीतला माता के कहे अनुसार करने का निर्णय लिया. फिर राजा शीतला माता के बताए गए नियमों का पालन करने लगा. ऐसा करने पर देखते ही देखते कुछ ही दिनों में राजा का बेटा बिल्कुल स्वस्थ हो गया.

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