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Shab-e-Barat 2022: शब-ए-बारात में होती है रहमतों की बारिश, कब्रों की करें जियारत

Shab-e-Barat 2022: किसी गुनाह में शामिल हैं, तो शब-ए-बारात के आने से पहले बल्कि आज और अभी सच्ची तौबा कर लें. रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम फरमाते हैं- शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है. सरवरे को नैन माहे शाबान में रोजे रखना पसंद फरमाते.

Shab-e-Barat 2022: शब-ए-बारात इबादत के लिए सबसे बेहतर रात है. किसी सूरत में इसे गफलत में न गुजारा जाये. इस मुबारक रात में अल्लाह लोगों को जहन्नुम से आजाद फरमाता है. कुछ बदनसीब ऐसे भी हैं. छह आदमियों की इस रात भी बख्शीश माफी नहीं होगी. इसमें शराबी, मां-बाप को तकलीफ पहुंचानेवाला, बलात्कारी, जादूगर, चुगलखोर व सूदखोर की माफी नहीं होती है.

अभी कर लें सच्ची तौबा

किसी गुनाह में शामिल हैं, तो शब-ए-बारात के आने से पहले बल्कि आज और अभी सच्ची तौबा कर लें. रसूले अकरम, नूरे मुजस्सम फरमाते हैं- शाबान मेरा महीना है और रमजान अल्लाह का महीना है. सरवरे को नैन माहे शाबान में रोजे रखना पसंद फरमाते. रोजा की फजीलत पर हजरत रसूल फरमाते हैं- जो शख्स शाबान की 15 तरीख को रोजा रखेगा. उसे जहन्नुम की आग नहीं छू पायेगी. एक और हदीस है कि हजरत रसूल फरमाते हैं कि जिसने शाबान में एक दिन रोजा रखा, उसको मेरी शफाअत हासिल होगी. हजरते सय्यिदुना आइशा सिद्दीका फरमाती हैं- ताजदारे रिसालत पूरे शाबान के रोजे रखा करते थे.

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शब-ए-बरात और कब्रों की जियारत

कब्रों की जियारत करें. आखिरत की याद दिलाती है. मरनेवालों की फेहरिस्त बनाने का महीना है. रसूलल्लाह ने फरमाया- अल्लाह इस साल मरनेवाली हर जान को लिख देता है और मुझे यह बेहद पसंद है कि मेरी वक्ते रूख्सत आये और मैं रोजेदार हूं.

क्या-क्या करें

इस मुबारक रात में गुस्ल, अच्छे कपड़े पहनना, इबादत के सुरमा लगाना, मिसवाक करना, इत्र लगाना, कब्रो की जियारत करना, फातिहा दिलाना, खैरात करना, मुर्दों की मगफिरत की दुआ करना, बीमार की अयादत करना, तहज्जुद की नमाज पढ़ना, नफिल नमाजें ज्यादा पढ़ना, दुरूद व सलाम पढ़ना. सूर यासीन शरीफ की तिलावत करना, इबादत में सुस्ती न करना शामिल है.

शब-ए-बरात की नवाफिल नमाज- दो रिकअत नफिल तहियातुल बजू पढ़िये. हर रिकअत में अलहमद के बाद एक बार आयतलकुर्सी, तीन बार कुलहोवल्ला. इस नमाज से हर कतरा पानी के बदले सात सौ रेकअत नफिल का सवाब मिलेगा.

12 रिकअत नमाज- हर रिकअत में अलममदोलिल्ला के बाद दस बार कुल्होअवल्ला, बारह रिकअत पढ़ने के बाद दस बार कलमा तौहिद, दस बार कलमा तमजीद, दस बार दुरूद शरीफ पढ़ें.

14 रिकअत नमाज- दो-दो रिकअत करके हर रिकअत में अलहमद के बाद जो सूरह चाहे पढ़े. जो भी दुआ मांगे कबूल होगी.

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रोजी में बरकत होगी

आठ रिकअत का नमाज एक सलाम से- हर रिकअत में अलहमद के बाद ग्यारह बार कुल्होअवल्ला. इसका सवाब खातून जन्नत हजरत फातिमा जोहराजि. को नजर कों. हजरत फातिमा फरमाते हैं कि नमाज पढ़नेवालों की सफअत किये बिना जन्नत में कदम न रखूंगी.

दो रिकअत नमाज- हर रिकअत में अलहमद के बाद एक बार आयतलकुर्सी, पंद्रह बार कुलहोवल्ला, सलाम के बाद सौ बार दरूद शरीफ पढ़ें. इस नमाज के पढ़ने से रोजी में बरकत होगी. रंज व गम से निजात, गुनाहों की बख्शीश होगी.

आठ रिकअत नमाज- हर रिकअत में अलहमदों के बाद पांच बार कुलहोअल्लाह पढ़ें. इससे गुनाहों से पाक साफ होगा. दुआएं कबूल होगी. सवाब-ए-अजीम होगा.

चार रिकअत नमाज एक सलाम से- हर रिकअत में अलहमद के बाद पचास बार कुल्होवल्ला पढ़ें. इस नमाज के पढ़ने से गुनाहों से ऐसा पाक हो जायेंगे जैसे अभी मां के पेट से पैदा हुआ हो.

रिपोर्ट: जमालउद्दीन

Prabhat Khabar Digital Desk
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