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ECL की बंद खदान में अवैध कोयला खनन के दौरान चट्टान गिरी, 2 लोगों की मौत, चार घायल

अवैध कोयला खनन के दौरान चट्टान गिरने से दो लोगों की मौत हो गयी, जबकि चार लोग घायल हो गये. मृतकों में एक जामताड़ा, तो दूसरा मधुपुर का रहनेवाला है. घायलों का अज्ञात जगह पर इलाज चल रहा है.

इसीएल के मुगमा क्षेत्र में शुक्रवार की सुबह अवैध कोयला खनन के दौरान चट्टान गिरने से दो लोगों की मौत हो गयी, जबकि चार लोग घायल हो गये. मृतकों में एक जामताड़ा, तो दूसरा मधुपुर का रहनेवाला है. घायलों का अज्ञात जगह पर इलाज चल रहा है. पुलिस और बीसीसीएल प्रबंधन ने ऐसे किसी हादसे से इंकार किया है. बताया जाता है कि देवियाना-गोपालगंज गांवों के समीप चापापुर कोलियरी की बंद नौ नंबर व बैजना कोलियरी की बंद 14 नंबर खदान के मध्य शुक्रवार की सुबह दूसरी बार लगभग 100 मीटर के दायरे में धरती धंस गयी. वहां से 25-30 फीट की दूरी पर अवैध कोयला खनन चल रहा था. कंपन होने से भरभराकर चट्टान गिर पड़ी. इससे अवैध खदान में खनन कर रहे दो लोग मारे गये, जबकि चार लोग घायल हो गये.

हालांकि पुलिस व इसीएल प्रबंधन घटना को अफवाह बता रहे हैं. कोयला तस्कर आनन-फानन में शव ले भागे, जबकि घायलों का इलाज गुपचुप तरीके से क्षेत्र के निजी नर्सिंग होम में करवाया जा रहा है. बताते चलें कि देवियाना गांव में ही 29 अप्रैल को भू-धंसान हुई थी, जिसमें करीब आधा दर्जन घर क्षतिग्रस्त हो गये थे.

29 अप्रैल की घटना से नहीं लिया सबक

प्रतिदिन की तरह शुक्रवार की सुबह भी अवैध खनन के लिए बड़ी संख्या में मजदूरों को कोयला तस्करों ने खदान में उतारा था. इसी दौरान जोरदार आवाज के साथ जमीन धंस गयी. घायल मजदूर गोविंदपुर थाना क्षेत्र के बरवा के बताये जा रहे हैं. पूरे मामले में चापापुर कोलियरी के प्रबंधक अजीत कुमार सिंह एवं बैजना कोलियरी के प्रबंधक संदीप कुमार का कहना था कि उन्हें घटना की जानकारी नहीं है. सुरक्षा कर्मियों को भेजकर जानकारी ली जायेगी. बताते चलें कि 29 अप्रैल को हुई भू-धंसान के बाद ग्रामीणों की मांग पर सीबीएच ग्रुप के अभिकर्ता, निरसा थाना प्रभारी व पंचायत प्रतिनिधियों ने बैठक कर अवैध खनन स्थलों की भराई शुरू करवायी थी. कुछ दिनों तक भराई चली. जैसे ही अच्छी खदानों को भरने की बारी आयी तो कार्य रुकवा दिया गया. कोलियरी प्रबंधन का कहना था कि एमपीएल की छाई के ऊपर मिट्टी डालने के बाद ही भराई का काम आगे बढ़ेगा. लेकिन आज तक न मिट्टी की भराई हुई और न ही अवैध खनन स्थलों की भराई शुरू हो पायी है.

बीसीसीएल के बस्ताकोला क्षेत्र में बंद घनुडीह परियोजना के अग्नि प्रभावित इलाके के गांधी चबूतरा के पास एक गहरी दरार में 40 वर्षीय परमेश्वर चौहान समा गया. घटना शुक्रवार सुबह सात बजे की है. सूचना पर घनुडीह पुलिस व बीसीसीएल प्रबंधन के प्रतिनिधि वहां पहुंचे, लेकिन परमेश्वर को नहीं निकाला जा सका. धनसार की रेस्क्यू टीम ने डेंजर जोन होने के कारण युवक को निकालने से इंकार कर दिया. टीम का कहना है कि वहां तक रेस्क्यू वाहन नहीं ले जाया जा सकता है. दरार को बहुत ध्यान से देखने पर लगभग 20 फीट नीचे शरीर का कुछ भाग दिखाई पड़ रहा है. अंदर से दुर्गंध आ रही है. सूचना पर परिजन वहां पहुंचे और कपड़े से परमेश्वर की पहचान की. युवक का परिवार को बहुत पहले बेलगड़िया शिफ्ट किया जा चुका है. हालांकि वह रोज यहां कोयला चुनने आता था.

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स्थानीय लोगों के अनुसार, दरार के आसपास उसे अलस्सुबह घूमते देखा गया था. दो-तीन दिन पहले भी वहां कोयला चुनते उसे देखा गया था. जमीन के नीचे धधक रही आग, बचने की गुंजाइश नहीं : घनुडीह ओपी प्रभारी मुकेश कुमार सिंह व बीसीसीएल के अधिकारी व कर्मचारी परमेश्वर को निकालने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन दरार के पास पोकलेन ले जाने में खतरा बताया गया. दरअसल, मशीन ले जाने से भू-धंसान की आशंका जतायी जा रही थी. घटनास्थल के आसपास दर्जनों असंगठित मजदूरों के घर अब भी हैं. वे घर रेस्क्यू में बाधक बने हुए हैं. पीआर मुखर्जी के नेतृत्व में धनसार रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची. टीम ने बताया कि गोफ में देखने से कुछ स्पष्ट पता नहीं चल रहा है. अग्नि प्रभावित इलाका व दरार रहने के कारण रेस्क्यू नहीं किया जा सकता है.

परिजनों ने मांगा मुआवजा

सूचना पाकर परमेश्वर के पिता रामू चौहान, भाई विजय चौहान, बहन सुनीता देवी, रेखा देवी, राधा देवी व भतीजा सुमित पहुंच गये. सभी का रो-रो कर बुरा हाल था. परिजनों ने बीसीसीएल प्रबंधन से मुआवजा की मांग की है. ओपी प्रभारी मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि परिजनों ने कोई लिखित शिकायत नहीं की है. मानवता के आधार पर बीसीसीएल प्रबंधन से वार्ता कराकर मदद दिलाने का प्रयास कर रहे हैं.

क्षेत्र अति अग्नि प्रभावित है. रेस्क्यू टीम का कहना था कि गोफ के अंदर बॉडी नजर नहीं आ रही है. मशीन लगाने में भी खतरा है. लोगों को बॉडी होने का भ्रम हो सकता है. इस तरह की घटना में मुआवजा का कोई प्रावधान नहीं है.

-सत्येंद्र कुमार, पीओ, केओसीपी

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