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20 साल का हुआ झारखंड: खुल रहे अवसरों के द्वार, युवाओं के सपने हो रहे साकार

झारखंड आज अपना 20वां स्थापना दिवस मनायेगा. इस दौरान हुए कार्यों ने राज्य के युवाओं के लिए ऐसे अवसर प्रदान किये, जिनकी बदौलत वह अपनी मंजिल हासिल कर सके

झारखंड स्थापना दिवस: झारखंड आज अपना 20वां स्थापना दिवस मनायेगा. इस दौरान हुए कार्यों ने राज्य के युवाओं के लिए ऐसे अवसर प्रदान किये, जिनकी बदौलत वह अपनी मंजिल हासिल कर सके. शिक्षा से लेकर खेलकूद तक में राज्य के युवाओं ने इन 20 वर्षों के दौरान मिले मौकों का बखूबी उपयोग किया. शिक्षा से लेकर खेलकूद तक में अवसरों का लाभ उठा रहे झारखंड के युवा इंजीनियरिंग और मेडिकल में प्रवेश का मार्ग प्रशस्त कर रहा.

रंजीत मंडल : आकांक्षा-40 की मदद से जमशेदपुर एनआइटी में कर रहे पढ़ाई : शिक्षा के क्षेत्र में शुरू की गयी महत्वपूर्ण योजना ‘आकांक्षा-40’ की मदद से राज्य के सरकारी स्कूलों के बच्चे भी अब डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना पूरा कर रहे हैं. मार्च 2000 में जन्मे देवघर के रंजीत मंडल ने भी आकांक्षा-40 की मदद से इंजीनियरिंग की तैयारी की. रंजीत के पिता किराने की दुकान चलाते हैं. घर की माली हालत अच्छी नहीं है. मैट्रिक की परीक्षा के दौरान ही उन्होंने विद्यालय के शिक्षक की प्रेरणा से ‘आकांक्षा-40’ की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और यहां से नि:शुल्क इंजीनियरिंग की तैयारी की. आज वह एनआइटी जमशेदपुर में पढ़ाई कर रहे हैं. रंजीत के अनुसार, शिक्षकों की कमी सरकारी स्कूल के बच्चों की पढ़ाई में सबसे बड़ी बाधक है.

फ्लोरेंस : राज्य की पहली आदिवासी, जिन्हें िमले दो अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक

गुमला के नवाडीह गांव निवासी फ्लोरेंस बारला गरीब परिवार से हैं. झारखंड बनने के बाद जन्मी फ्लोरेंस बचपन से ही एथलीट बनाना चाहती थीं. पर घर की आर्थिक स्थिति ने इजाजत नहीं दी. राज्य सरकार द्वारा गुमला के ही नवाटांड़ में डे बोर्डिंग सेंटर बनाये जाने के बाद इस खिलाड़ी का प्रारंभिक अभ्यास 2017 में शुरू हुआ. इसके बाद जेएसएसपीएस की खेल अकादमी में फ्लोरेंस का चयन हुआ. कोच आशु भाटिया की देखरेख में इन्होंने कड़ी मेहनत की. वर्ष 2019 में इन्होनें ने कजाकिस्तान में हुए यूरो एशिया इंटरनेशनल चैंपियनशिप की 400 मीटर रेस और रिले में स्वर्ण पदक जीता. ये झारखंड की पहली आदिवासी खिलाड़ी हैं, जिन्होंने दो अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक जीते हैं.

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अजय कुमार: स्कूली शिक्षा में बदलावों ने गृह नगर में उपलब्ध कराये बेहतर मौके : विकास टुंगड़ीटोला निवासी अजय कुमार महतो झारखंड स्थापना के साथ 20 वर्ष के हो चुके हैं. झारखंड स्थापना के बाद स्कूली शिक्षा के नियमों में हुए बदलाव के कारण घर से एक किमी के दायरे में स्थानीय विद्यार्थी को दाखिला मिला. 12वीं साइंस में 75% से अधिक अंक होने के कारण इंजीनियरिंग को अपना लक्ष्य बनाया और रांची यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ इंजीनियरिंग के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में दाखिला लिया. अजय ने बताया कि कोरोना के कारण फाइनल इयर का प्लेसमेंट ड्राइव प्रभावित हुआ है. लेकिन आनेवाले दिनों में पढ़ाई पूरी करने के बाद अवसर भी मिलेंगे. इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र का विद्यार्थी होने की वजह से खेती-किसानी में भी रुचि रखते हैं.

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Posted by: Pritish sahay

Prabhat Khabar News Desk
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