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Nag Panchami 2023: नाग पंचमी पर शेषनाग के अलावा इन नाग देवताओं की भी होती है पूजा, जानें धार्मिक मान्यताएं

Nag Panchami 2023: नाग पंचमी पूजा हर साल जुलाई या अगस्त में होती है. नाग पंचमी 2023 सोमवार, 21 अगस्त 2023 को मनाई जा रही है. आइए जानते हैं नाग पंचमी के दिन नाग पंचमी पर शेषनाग केअलावा किन नाग देवताओं की पूजा होती है

Nag Panchami 2023: इस बार नाग पंचमी 21 अगस्त 2023 को पड़ रही है. नाग पंचमी का त्योहार देशभर में बड़ी धूमधाम से माना जाता है. सावन मास में दो नागपंचमी तिथि आती है. एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष. कृष्ण पक्ष यानी 7 जुलाई को जो नागपंचमी मनाई गई. वह सिर्फ राजस्थान, बिहार और झारखंड राज्यों में मनाई गई. आइए जानते हैं नाग पंचमी के दिन नाग पंचमी पर शेषनाग केअलावा किन नाग देवताओं की पूजा होती है

नाग पंचमी 2023 तारीख, शुभ मुहूर्त

नाग पंचमी (Nag Panchami 2023) पूजा हर साल जुलाई या अगस्त में होती है. नाग पंचमी 2023 सोमवार, 21 अगस्त 2023 को मनाई जा रही है.

नाग पंचमी 2023: तिथि, पूजा का समय

नाग पंचमी तिथि: सोमवार, 21 अगस्त 2023

पंचमी तिथि प्रारंभ: 21 अगस्त 2023 को रात्रि 12:21 बजे

पंचमी तिथि समाप्त: 22 अगस्त 2023 को प्रातः 02:00 बजे

नाग पंचमी पूजा मुहूर्त: प्रातः 05:53 बजे से प्रातः 08:30 बजे तक

भगवान विष्णु के सेवक अनंत नाग

अनंत (शेषनाग): अनंत नाग भगवान विष्णु के सेवक थे जिन्हें शेषनाग के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि इनके सहस्र फन पर धरती टिकी हुई है.

वासुकि नाग को शिव का सेवक माना जाता है

वासुकि नाग: ये नाग को भगवान शिव का सेवक माना गया है. कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान मंदराचल पर्वत को मथने के लिए वासुकि नाग को ही रस्सी बनाया गया था.

पद्म नाग का नेमिश क्षेत्र पर था शासन

पद्म नाग: ऐसी मान्यता है कि पद्म नागों का गोमती नदी के पास के नेमिश क्षेत्र पर शासन हुआ करता था. जो बाद में मणिपुर में बस गए. इन्हें असम में नागवंशी कहा जाता है.

महापद्म का विष्णुपुराण में है उल्लेख

महापद्म: सांप के विभिन्न कुलों का विष्णुपुराण में नाम आया था. उन्हीं में से एक है महाद्म नाग.

तक्षक नाग का वर्णन महाभारत में भी

तक्षक नाग: महाभारत में तक्षक नाग का वर्णन है. जो पाताल में निवास करते है. कहा जाता है कि यह माता कद्रू के गर्भ से उत्पन्न हुए थे. इनके पिता कश्यप ऋषि है.

ब्राह्मण कुल के माने जाते हैं कुलिक नाग

कुलिक नाग: इस नाग को ब्राह्मण कुल का माना गया है. जिनका संबंध ब्रह्मा जी से बताया जाता है.

शिव के गण में शामिल हैं कर्कट नाग

कर्कट नाग: कहा जाता है कि कर्कट शिव के एक गण हैं. सर्पों की मां कद्रू ने एक बार नागों को सर्प यज्ञ में भस्म होने का श्राप दिया.

शंख नाग होते हैं सबसे बुद्धिमान

शंख नाग: शंख नाग नागों के आठ कुलों में शंख माने गए हैं. अर्थात इन्हें सबसे बुद्धिमान माना गया है.

नाग पंचमी का महत्व

पौराणिक हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सर्पों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजनीय माना गया है. नाग पंचमी के दिन नाग देव की विशेष पूजा का विशेष महत्व है. ऐसी भी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति को सांप के डसने का भय नहीं होता. ऐसा माना जाता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान कराने और पूजन करने और दूध पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है. इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की भी परम्परा है. ऐसा करने से घर नाग कृपा से सुरक्षित रहता है.

नाग पंचमी कथा

नाग पंचमी की उत्पत्ति का पता प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों और पौराणिक कथाओं से लगाया जा सकता है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सांपों का एक प्रमुख स्थान है और वे विभिन्न देवताओं और ऐतिहासिक घटनाओं से जुड़े हुए हैं. हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक, भगवान शिव को अक्सर उनके गले में लिपटे हुए सांप के साथ चित्रित किया जाता है, जिसे वासुकी के नाम से जाना जाता है.

इसके अतिरिक्त, भगवान कृष्ण अपने दोस्तों के साथ यमुना नदी के किनारे खेल रहे थे. अचानक गेंद पानी में जा गिरी. भगवान नदी में चले गए और कालिया (नाग) ने उन पर हमला कर दिया.

तब कृष्ण ने सांप की पूंछ पकड़ ली और उसे नदी की सतह पर खींच लिया और उसे हरा दिया. उस समय कालिया को एहसास हुआ कि कृष्ण कोई साधारण बालक नहीं, बल्कि भगवान विशु के अवतार थे. उसने माफी मांगी और वादा किया कि वह फिर कभी किसी को पीड़ा नहीं देगा. इस प्रकार यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का भी प्रतीक है.

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