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मंदिरों के शहर के रूप में विकसित हो रहा है गिरिडीह का मधुबन, पारसनाथ की तलहटी का बदल रहा नजारा

पारसनाथ की तस्वीर बदल रही है. शिखरजी की तलहट्टी में बसे मधुबन मंदिरों के शहर के रूप में विकसित हो रहे हैं. मधुबन में करोड़ों की लागत से कई धर्मशालाएं एवं मंदिरों का निर्माण विभिन्न संस्थाओं द्वारा कराया गया है और कई का निर्माण कार्य जारी है.

Jharkhand News: जैनियों के तीर्थस्थल पार्श्वनाथ पर्वत यानि शिखरजी की तलहट्टी में बसे मधुबन में हाल के दिनों में कई विकास के कार्य हुए हैं. खासकर मंदिरों एवं धर्मशालाओं की बात करें, तो जैनियों के श्वेतांबर और दिगंबर पंथ की विभिन्न संस्थाओं की ओर से काफी सारे मंदिर पूर्व में भी बने हुए हैं. जबकि कई नये मंदिरों एवं धर्मशालाओं का निर्माण तेजी से किया जा रहा है.

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मंदिरों के शहर में तब्दील हो रहा मधुबन

जैनियों के उपासना का केंद्र और 24 में से 20 तीर्थंकरों का मोक्ष स्थल होने के कारण यह पार्श्वनाथ पर्वत अत्यंत ही पावन माना जाता है. फलस्वरूप देश के कोने-कोने में रहनेवाले जैनियों के साथ-साथ विश्व के अलग-अलग देशों में रहने वाले जैन धर्मावलंबी इस पर्वत का दर्शन करने जरूर पहुंचते हैं, जिनका ठहराव पर्वत की तलहट्टी में बसे मधुबन में होता है. शिखर जी का दर्शन करने जब यात्री यहां पहुंचते हैं या पर्वत की 27 किमी की धार्मिक यात्रा और वंदना करने के बाद जब वे वापस मधुबन लौटते हैं, तो उन्हें काफी थकावट का अनुभव होता है, ऐसे में वे कुछ वक्त आराम करना चाहते हैं. यही कारण है कि यात्रियों की सुविधाओं और भावनाओं को ध्यान में रखकर जैन संस्थाएं धर्मशालाओं एवं मंदिरों का निर्माण यहां तेजी से कर रही हैं. मंदिरों की संख्या अब इतनी बढ़ गई है कि लोग मधुबन को मंदिरों के शहर के रूप में चिह्नित करने लगे हैं.

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करोड़ों की लागत से बने कई भव्य मंदिर

पार्श्वनाथ पर्वत की तलहट्टी में स्थित मधुबन में करोड़ों की लागत से कई धर्मशालाएं एवं मंदिरों का निर्माण विभिन्न संस्थाओं द्वारा कराया गया है और कई का निर्माण कार्य जारी है. मधुबन में पहले से धर्ममंगल जैन विद्यापीठ में पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर समेत कई भगवान की मूर्तियां व मंदिर हैं. साथ ही तलहटी में बने भगवान पार्श्वनाथ का मंदिर काफी आकर्षक है. इस मंदिर के गर्भगृह के स्तंभ कलात्मक हैं और गर्भगृह में तीन मेराब भी स्थापित है. इस मंदिर में पद्मासन मुद्रा में चिंतामणि पार्श्वनाथ भगवान की काले रंग की मूर्ति है जो छह फीट की है, जो बहुत ही आकर्षक है. यहां महावीर जिनालय स्थापित है जिसमें भगवान महावीर की 7.30 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है. इसी मंदिर में जैनियों के सभी 24 तीर्थंकरों की मूर्तियां भी स्थापित की गई है. प्रवेश मंडप शांतिनाथ जिनालय, नेमिनाथ जिनालय, श्री समवशरण मंदिर, अजीत नाथ मंदिर, भोमिया जी मंदिर, श्री दिगंबर जैन मध्य लोक अनुसंधान केंद्र, कच्छी भवन समेत दर्जनों मंदिर पूर्व से बने हुए हैं. इसके अलावा गुणायतन, तलेटी तीर्थ मंदिर, तनमोदय, श्री समवशरण, बुंदेलखंड आदि मंदिर का निर्माण किया जा रहा है जो और भी भव्य और आकर्षक है.

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हर धर्मशाला परिसर में बने हुए हैं मंदिर

सुविधाओं से युक्त धर्मशालाओं का भी निर्माण यहां काफी संख्या में किया गया है. यहां धर्मशालाओं की विशेषता यह है कि हर धर्मशाला के परिसर में मंदिर का निर्माण किया गया है और इन मंदिरों में जैनियों के तीर्थंकरों की प्रतिमा भी स्थापित की गई है. बताया जाता है कि जो जैन यात्री तीर्थयात्रा के लिए यहां आते हैं और धर्मशाला में रहते हैं, वे सुबह में बिना भगवान के दर्शन के भोजन की शुरुआत नहीं करते. श्रीधर्म मंगल जैन विद्यापीठ, बीसपंथी कोठी, 13 पंथी कोठी, सिद्धायतन, तमिलनाडु जैन भवन, निहारिका, कुंद-कुंद, गुणायतन, जैन श्वेतांबर सोसायटी की धर्मशाला समेत कई धर्मशालाएं हैं जिसके परिसर के अंदर भव्य एवं आकर्षक मंदिर स्थापित की गई है. इन मंदिरों के दर्शन यात्रियों को काफी सुकून देता है.

नक्सली खौफ कम होने के बाद मंदिरों एवं धर्मशालाओं में लगायी जा रही करोड़ों की रकम

जैसे-जैसे नक्सलियों की गतिविधियां घट रही है, वैसे-वैसे नक्सलियों का खौफ भी घटता जा रहा है और नक्सलियों का खौफ घटने के साथ मधुबन में विकास कार्य में तेजी आती जा रही है. पिछले कुछ वर्षों में मधुबन में अप्रत्याशित रूप से मंदिरों एवं धर्मशालाओं का निर्माण किया गया है और इसके निर्माण में लगातार बढ़ोतरी भी हो रही है. जानकार बताते हैं कि मंदिरों एवं धर्मशालाओं के निर्माण में करोड़ों रुपये का पूंजीनिवेश अभी तक किया जा चुका है. साथ ही इस वक्त लगभग 2000 करोड़ से भी ज्यादा का मंदिर एवं धर्मशाला का निर्माण जारी है. विभिन्न संस्थाओं के ट्रस्टियों में कई ट्रस्टी विदेश में हैं जिसके कारण एनआरआई जैनियों का अच्छा खासा पूंजी निवेश यहां के मंदिरों एवं धर्मशालाओं में हो रहा है. हाल के दिनों में गुणायतन, तलेटी क्षेत्र, कुंद-कुंद, सौरभांचल, बुंदेलखंड, तनमोदय, शांतिसागरधाम जैसे भव्य एवं आकर्षक मंदिर का निर्माण तेजी से किया जा रहा है. गुणायतन और तलेटी तीर्थ क्षेत्र मंदिर का निर्माण आज से पांच-छह वर्ष पूर्व शुरू किया गया था और अब भी जारी है. बताया जा रहा है कि इसके निर्माण कार्य में अभी भी लगभग चार-पांच साल और लगेंगे.

रिपोर्ट : राकेश सिन्हा, गिरिडीह.

Prabhat Khabar Digital Desk
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