कुड़ू : स्वास्थ्य विभाग की एक और लापरवाही सामने आयी है. प्रखंड के जिस प्रवासी मजदूर की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आयी थी. उस प्रवासी मजदूर की जांच रिपोर्ट निगेटिव बताते हुए कोरेंटिन सेंटर से छुट्टी देकर उसे घर भेज दिया गया था. कोरोना जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद प्रखंड प्रशासन ने आनन-फानन में मरीज को उसकी ससुराल से लाकर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया. ऐसी लापरवाही से भला लोहरदगा जिला कैसे कोरोनामुक्त होगा ?
बताया जाता है कि महाराष्ट्र से लोहरदगा लौटे प्रवासी मजदूर का सैंपल कोरोना जांच के लिए इटकी भेजा गया था. जांच रिपोर्ट आने के पांच घंटे पहले ही सोमवार दोपहर लगभग तीन बजे एक दर्जन प्रवासी मजदूरों की जांच रिपोर्ट को स्वास्थ्य विभाग ने निगेटिव बताया. जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद प्रवासी मजदूरों के परिजन कोरेंटिन सेंटर पहुंचे और उन्हें अपने साथ लेकर चले गये.
कुड़ू थाना के एक पुलिस पदाधिकारी ने मजदूरों को एक दिन कोरेंटिन सेंटर में रखने को लेकर काफी प्रयास किया था, लेकिन मजदूर मानने को तैयार नहीं थे. इसके बाद सभी मजदूर अपने घर चले गये. इसके बाद सोमवार को पांच घंटे बाद कोरोना जांच रिपोर्ट आयी. एक प्रवासी मजदूर जिसे पांच घंटे पहले कोरेंटिन सेंटर से रिलीज किया गया था, उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ गयी.
एक प्रवासी मजदूर के कोरोना पॉजिटिव पाये जाने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग तथा प्रशासनिक महकमे में खलबली मच गयी. आनन-फानन में कुड़ू प्रखंड के कोरोना पॉजिटिव मरीज की खोजबीन शुरू हुई. मजदूर के गांव में प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे, तब पता चला कि कोरोना पॉजिटिव मरीज अपनी ससुराल चान्हो चला गया है. देर रात अधिकारियों की टीम कोरोना पॉजिटिव मरीज की ससुराल पहुंची तथा मरीज को लाकर आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया. चान्हो प्रखंड प्रशासन को सूचना दी गयी तथा पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आने वाली उसकी पत्नी समेत अन्य की जानकारी दी गयी.
ऐसा नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग की यह पहली लापरवाही है. इससे पहले कुड़ू प्रखंड के पहले कोरोना पॉजिटिव मरीज के महाराष्ट्र से लौटने के बाद जांच के नाम पर चार घंटे दौड़ाया गया था तथा लोहरदगा सदर अस्पताल रेफर करते हुए न तो एंबुलेंस मुहैया कराया गया था, न ही भेजने की व्यवस्था की गयी थी. मजबूरन प्रवासी मजदूर लगभग 36 घंटे तक अपने घर में रहा तथा गांव में कई ग्रामीणों के संपर्क में आया. दूसरे दिन प्रवासी मजदूर को बीडीओ मनोरंजन कुमार ने स्वयं पहल करते हुए लोहरदगा भेजा और सैंपल जांच के बाद कोरेंटिन सेंटर में भर्ती कराया. चार दिनों बाद कोरोना पॉजिटिव पाये जाने पर पूरे गांव को सेनिटाइज कराते हुए संपर्क में आने वाले पांच लोगों तथा परिजनों को कोरेंटिन सेंटर में भर्ती कराया गया था.
Posted By : Guru Swarup Mishra