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वाराणसी आने वाले सैलानियों का काशी यात्रा डॉट कॉम एप बनेगा डिजिटल गाइड, भाषा की बाधा होगी समाप्त

वाराणसी में सैलानियों की सुविधा के लिए काशी यात्रा डॉट कॉम एप जल्द लान्च होगा. यूपीपीसीएल के विशेषज्ञ धार्मिक विशेषज्ञों के साथ इस एप को बनाने में जुटे हुए हैं. काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है.

वाराणसी घूमने आने वाले देसी विदेशी सैलानियों को अब यहां की स्थानीय बोली और भाषा की समस्या नहीं होगी. सैलानियों की सुविधा के लिए काशी यात्रा डॉट कॉम एप जल्द लान्च होगा. यूपीपीसीएल के विशेषज्ञ धार्मिक विशेषज्ञों के साथ इस एप को बनाने में जुटे हुए हैं. काशी विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद यहां आने वाले सैलानियों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है. इसमें विदेशी सैलानी के साथ देश के अलग-अलग राज्यों के पर्यटक भी शामिल हैं. इन्हें काशी भ्रमण के दौरान भाषायी दिक्कत न हो, इसके लिए अंग्रेजी समेत तीन भारतीय भाषाओं में एप तैयार किया जा रहा है. यूपीपीसीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर शैलेश सिंह ने बताया कि पौराणिक मंदिरों और उनके बारे में प्रमाणिक जानकारी एप पर उपलब्ध कराने के लिए विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है. एप में सभी जानकारियां हिंदी, तमिल, तेलुगु और इंग्लिश भाषा में उपलब्ध रहेंगी. साथ ही इस एप में काशी की तीन धार्मिक यात्राएं, पंचक्रोशी, अंतग्रही और पावन पथ यात्रा की जानकारी होगी. इसके अलावा पंचक्रोशी यात्रा में पड़ने वाले 108 मंदिर, अंतग्रही यात्रा में पड़ने वाले 305 मंदिर और पावन पथ के 101 मंदिर की जानकारी भी रहेगी. एप में नेविगेशन की सुविधा होगी. इसके माध्यम से यात्राओं और मंदिरों तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा.

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गंगा में अब नहीं चलेगी डीजल इंजन नाव

वाराणसी शहर में सैलानियों की बढ़ती संख्या के साथ ही प्रदूषण को नियंत्रित करने की चुनौती भी जिला प्रशासन के सामने आ रही है. गंगा में प्रदूषण रोकने के लिए भी प्रशासन कदम भी उठा रहा है. नगर निगम ने सभी नाव मालिकों को आदेश दिया है कि डीजल इंजन की नावों को जल्द सीएनजी में कन्वर्ट करा लें. प्रशासन ने इसके लिए अभियान भी शुरू कर दिया है. नगर निगम के अपर नगर आयुक्त ने बताया कि गंगा नदी को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए अभियान शुरू किया गया है. स्वच्छ काशी एवं सुन्दर काशी के तहत अधिकांश पर्यटक काशी पहुंचते हैं और गंगा नदी में नौकायान भी करते हैं. उन्होंने बताया कि गंगा नदी को स्वच्छ एवं प्रदूषण मुक्त करने के लिए भारत सरकार द्वारा डीजल इंजन चलित नावों में सीएनजी लगवाया जा रहा है. जिसमें नगर निगम में पंजीकृत कुल 1202 नावों में से 784 नावों में सीएनजी लगा दी गयी है. जिन नावों को अभी कन्वर्ट नहीं किया गया है. उन्हे भी जल्द कन्वर्ट कराया जाएगा. इसके लिए नाव मालिकों के साथ बैठक भी की गई. सभी नावों में 31 मार्च तक सीएनजी इंजन लगा दिया जायेगा.

2 साल से प्राइवेट कंपनी कर रही काम

वाराणसी में लगभग 2 साल पहले गंगा नदी को स्वच्छ व निर्मल बनाए रखने के लिए एनजीटी के आदेश पर डीजल से चलने वाली नावों को हटाने की कार्रवाई शुरू हुई थी. सीएसआर फंड के जरिए इन नावों को पूरी तरह से सीएनजी में कन्वर्ट करने का काम फ्री ऑफ कॉस्ट शुरू हुआ था, लेकिन अभी 100 से ज्यादा ऐसी नाव हैं, जिनके इंजन में बदलाव नहीं किया जा सका है. इसका कारण नाविकों का ढीला रवैया है. नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि अब इंजन कन्वर्ट करने का काम प्राइवेट कंपनी को दिया गया है. इंजन चेंज कराने में करीब 50 हजार रूपए का खर्च आ रहा है. इंजन का एक साल तक मेंटेनेंस कंपनी को करना होगा.

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सर्वे के बाद लाइसेंस

गंगा में करीब 2500 नावों का संचालन होता है. इसमें से 1200 नावों को ही नगर निगम ने लाइसेंस दिया है. शेष का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा है. इसमें कुछ ऐसे नाविक हैं जिनका परिवार अलग होने से अब अन्य सदस्यों को भी लाइसेंस की जरूरत है. हालांकि जीवनयापन के लिए वे बिना लाइसेंस के ही गंगा में नाव चलाते हैं. इन सब समस्याओं से निजात के लिए निगम नवंबर से ही सर्वे कर इसका विस्तृत डेटा बनाने की तैयारी में है. सर्वे होने के बाद नगर निगम सभी वैध नाविकों को लाइसेंस जारी करेगा.

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