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ISRO, PSLV-C52 Launch: इस साल का पहला पीएसएलवी प्रक्षेपण लॉन्च, धरती की निगरानी के अलावा करेगा यह काम

ISRO, PSLV-C52 Launch: ISRO, PSLV-C52 Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO, इसरो) ने इस साल के पहले प्रक्षेपण मिशन को लॉन्च कर दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी52/ईओएस-04 का लॉन्च किया.

ISRO, PSLV-C52 Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO, इसरो) ने इस साल के पहले प्रक्षेपण मिशन को लॉन्च कर दिया है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी52/ईओएस-04 का लॉन्च किया. इसकी 25.30 घंटे की उल्टी गिनती रविवार को शुरू हुई थी. इससे पहले रविवार को इसरो ने ट्वीट कर कहा था, पीएसएलवी-सी52/ईओएस-04 मिशन प्रक्षेपण के लिए 25 घंटे 30 मिनट की उलटी गिनती की प्रक्रिया आज सुबह 4:29 बजे शुरू हो गई है.

पीएसएलवी-सी 52 के जरिए इसरो धरती पर निगरानी करेगा. ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV, पीएसएलवी) अपने साथ दो अन्य छोटे उपग्रहों को भी ले गया है. गौरतलब है कि, ईओएस-04 एक रडार इमेजिंग सैटेलाइट है जिसे कृषि, वानिकी और वृक्षारोपण, मिट्टी की नमी और जल विज्ञान तथा बाढ़ मानचित्रण समेत सभी मौसम स्थितियों में हाई क्वालिटी की तस्वीर भेजने के लिए डिजाइन किया गया है.

पीएशएलवी के साथ जो दो छोटे उपग्रह गए हैं, वो आयनमंडल के गति विज्ञान और सूर्य की कोरोनल ऊष्मीय प्रक्रियाओं में सुधार करेगा. उपग्रह 529 किलोमीटर के सूर्य समकालिक ध्रुवीय कक्षा में चक्कर लगाएगा. इसरो ने कहा है कि ईओएस-04 राडार इमेजिंग सैटेलाइट है, जो पृथ्वी की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेगा.

इसरो ने बताया कि ईओएस-04 एक रडार इमेंजिंग सैटेलाइट है. इसका उपयोग पृथ्वी की उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें लेने में होगा. इनसे कृषि, वन, पौधरोपण, मिट्टी में नमी, पानी की उपलब्धता और बाढ़ ग्रस्त इलाकों के नक्शे को तैयार करने में मदद मिलेगी.

1710 किलो वजनी है सैटेलाइट

1710 किलो वजनी है सैटेलाइट

529 किमी ऊंचे कक्षा में होगा स्थापित

529 किमी ऊंचे कक्षा में होगा स्थापित

ये दो सैटेलाइट भी छोड़े जायेंगे

इंस्पायर सैट-1 : यह सैटेलाइट भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइएसटी) ने कोलोराडो विश्वविद्यालय, बोल्डर की वायुमंडलीय व अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला के साथ तैयार किया है. इसमें एनटीयू, सिंगापुर और एनसीयू, ताइवान का भी योगदान रहा है. इस सैटेलाइट का उद्देश्य आयनमंडल के गति विज्ञान और सूर्य की कोरोनल ऊष्मीय प्रक्रियाओं की समझ में सुधार करना है.

आइएनएस-2टीडी : यह इसरो का एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक सैटेलाइट है. इसमें एक थर्मल इमेजिंग कैमरा लगा है. यह धरती की सतह के तापमान, आर्द्रभूमि या झीलों के पानी की सतह के तापमान, वनस्पतियों (फसलों और जंगल) और तापीय जड़त्व (दिन और रात) के आकलन में सहायता प्रदान करेगा. इसे भारत व भूटान के संयुक्त उपग्रह आइएनएस-2वी के पहले विकसित कर भेजा रहा है.

Posted by: Pritish Sahay

Prabhat Khabar Digital Desk
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