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भारत की अपील

भारत ने एक बार फिर बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की कठोर निंदा करते हुए इसे स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य बताया है. इस्राइल और फिलीस्तीन के साथ-साथ पश्चिम एशिया के अन्य देशों के साथ भारत के संबंध बहुत अच्छे हैं. आशा है कि वे सब भारत की सलाह पर ध्यान देंगे.

तीन महीने से अधिक समय से इस्राइल-हमास संघर्ष और गाजा में इस्राइली बमबारी जारी है. अब तक गाजा में 23 हजार से ज्यादा और वेस्ट बैंक में कम-से-कम 340 लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें अधिकतर बच्चे एवं महिलाएं हैं. इस्राइल में 11 सौ से अधिक लोग मरे हैं. संयुक्त राष्ट्र और विभिन्न देशों की कोशिशों के बावजूद इस लड़ाई के खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. भारत ने एक बार फिर बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने की कठोर निंदा करते हुए इसे स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य बताया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक बैठक में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने कहा कि इस लड़ाई के शांतिपूर्ण समाधान का एक ही रास्ता है- संवाद एवं कूटनीति. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मौजूदा प्रकरण के शुरुआत से ही शांति का आह्वान किया है तथा इस्राइल-फिलीस्तीन मसले को बातचीत से सुलझाने की सलाह दी है. कंबोज ने बड़े पैमाने निर्दोष लोगों की मौत की निंदा के साथ यह भी रेखांकित किया कि भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं कर सकता है. वर्तमान संघर्ष सात अक्तूबर को हमास द्वारा इस्राइल पर हमले के साथ शुरू हुआ. इस्राइली बमबारी के कारण अंतरराष्ट्रीय राहत संस्थाओं को पीड़ित लोगों तक मानवीय मदद पहुंचाने में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. भारतीय राजदूत ने भयावह मानवीय संकट को समाप्त करने का निवेदन भी किया है. उल्लेखनीय है कि भारत ने गाजा में राहत के रूप में 70 टन सामान भेजा है, जिसमें 16.5 टन दवाइयां और मेडिकल चीजें शामिल हैं. दो चरणों में भेजे गये इस सहयोग के अलावा भी भारत ने अतिरिक्त मदद मुहैया कराने का वादा किया है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र की राहत एजेंसी को 50 लाख डॉलर भी दिया है. चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध हो या इस्राइल-हमास संघर्ष, भारत ने लगातार शांति बहाली और बातचीत से विवादों के निपटारे की वकालत की है. जिस प्रकार प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन तथा यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात भी की और उनसे फोन से भी संपर्क बनाये रखा है, उसी तरह पश्चिम एशिया के नेताओं, जिनमें इस्राइली और फिलीस्तीनी नेता भी शामिल हैं, से भी उन्होंने लगातार बात की है. इस्राइल-हमास संघर्ष एक बड़े क्षेत्रीय संघर्ष में भी बदल सकता है. लाल सागर में हूती लड़ाकों द्वारा इस्राइली जहाजों या इस्राइल से आवाजाही कर रहे जहाजों के गुजरने पर पाबंदी लगा दी है. इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. इस्राइल और फिलीस्तीन के साथ-साथ पश्चिम एशिया के अन्य देशों के साथ भारत के संबंध बहुत अच्छे हैं. आशा है कि वे सब भारत की सलाह पर ध्यान देंगे.

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