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झारखंड : सरायकेला-खरसावां जिले में सुखाड़ की आशंका, धान के साथ मोटे अनाजों की खेती पर भी पड़ रहा असर

सरायकेला-खरसावां जिले में सुखाड़ की आशंका है. जिले में सिर्फ 39 प्रतिशत रोपनी हुई. अगस्त माह के तीसरे सप्ताह तक सामान्य से कम बारिश हुई. इसके कारण न सिर्फ धान की रोपनी कम हुई, बल्कि मोटे अनाज की खेती पर भी असर पड़ा है.

Jharkhand News: सरायकेला-खरसावां जिले में इस साल खेती की स्थिति अच्छी नहीं है. सावन माह खत्म होने को है. पर्याप्त बारिश के अभाव में धान के बिचड़े पीले पड़ने लगे हैं. जिले में अबतक 39.26% ही रोपनी हुई है. अब किसान सुखाड की आशंका से चिंतित हैं. जिले में किसान खेती के लिए बारिश पर निर्भर हैं. रोपनी के साथ साथ अगस्त माह के तीसरे सप्ताह तक जिले में सामान्य से कम बारिश हुई है. अगस्त के पहले सप्ताह में बारिश से किसानों के चेहरे खिल उठे थे. खेतों में भी पानी जमा हो गया था. पानी जमा होने से कुछ हद तक रोपनी का कार्य हुआ. अब बिचड़े पीले पड़ने लगे हैं.

धान के साथ मोटे अनाजों की खेती पर भी असर

कम बारिश से जिला में धान के साथ मोटे अनाज की खेती पर भी असर पड़ रहा है. जिले में अब तक सामान्य से करीब 44 प्रतिशत कम बारिश हुई है. इस कारण 60 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि पर रोपनी नहीं की जा सकी है. 20 अगस्त तक जिले में धान के लिए निर्धारित लक्ष्य एक लाख हेक्टेयर खेती योग्य भूमि में से करीब 40 हजार हेक्टेयर जमीन पर ही खरीफ की रोपनी हुई है. जिले में अब तक 88 प्रतिशत भूमि पर ही मक्के की बुआई हो पायी है. इसी तरह दलहन 34 प्रतिशत, तिलहन तीन प्रतिशत और मोटा अनाज सात प्रतिशत ही रोपनी हुई है.

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अधिकतर किसान करते हैं छींटा विधि से धान की खेती

सरायकेला-खरसावां जिले के अधिकतर किसान छींटा विधि से ही धान की खेती करते हैं. ऊपरी जमीन होने के कारण पारंपरिक तरीके से ही धान की खेती करते हैं.

अब तक रोपनी की स्थिति

  • धान : 39.26 प्रतिशत

  • मक्का : 85.74 प्रतिशत

  • दलहन : 32.61 प्रतिशत

  • तिलहन : 2.73 प्रतिशत

  • मोटा अनाज :39.26 प्रतिशत

अगस्त माह के तीसरे सप्ताह तक सामान्य से कम बारिश, किसान चिंतित

जिले में अगस्त माह के तीसरे सप्ताह तक सामान्य से कम बारिश हुई है, जिससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी है. सामान्य से कम बारिश होने से खेतों में पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं है. सिर्फ ईचागढ़ व कुकड़ू प्रखंड में ही सामान्य से अधिक बारिश हुई है. बाकी सात प्रखंडों में काफी कम बारिश हुई है. राजनगर में तो सामान्य से 50 फीसदी बारिश हुई है.

प्रखंडवार बारिश का आंकड़ा

प्रखंड : सामान्य : हुई बारिश

सरायकेला : 383.6 मिमी : 229.4 मिमी

खरसावां : 427.6 मिमी : 339.4 मिमी

कुचाई: 425.6 मिमी : 304.8 मिमी

गम्हरिया: 359 मिमी : 280 मिमी

राजनगर: 375 मिमी : 183.6 मिमी

चांडिल: 372 मिमी : 337.2 मिमी

नीमडीह: 286 मिमी : 282.4 मिमी

ईचागढ़: 114.7 मिमी : 312.8 मिमी

कुकड़ू: 129 मिमी : 193.2 मिमी

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क्या कहते हैं किसान

सरायकेला के किसान जयप्रकाश सिंहदेव का कहना है कि समय पर बारिश नहीं होने से खेती पर असर पड़ा है. अब रोपनी कार्य करने से धान के पौधों में रोग लगने शुरू हो जायेंगे. साथ ही उत्पादकता पर काफी असर पड़ेगा. वहीं, बांधडीह के किसान विजय महतो का कहना है कि बारिश समय पर नहीं हुई. जितनी बारिश हुई है उससे निचली जमीन पर रोपनी कार्य हुआ है, लेकिन लेट में रोपनी कार्य होने के कारण उत्पादकता पर असर पड़ेगा.

मानसून की बेरुखी के बावजूद किसानों ने नहीं छोड़ी आस

दूसरी ओर, मानसून की बेरुखी के बाद भी खरसावां व कुचाई के किसानों ने खेती की आस नहीं छोड़ी है. इस सप्ताह हल्की बारिश के बाद से ही क्षेत्र के किसान कृषि कार्य में जुट गये हैं. दलदली व ढलान वाली खेतों में धान की रोपाई की जा रही है. मालूम हो कि खरसावां व कुचाई प्रखंड के किसान मानसून की बारिश पर ही निर्भर हैं. पिछले तीन-चार वर्षों से सामान्य से कम बारिश होने के कारण इसका खेती पर सीधा असर पड़ रहा है. जिले में अगस्त माह में औसत वर्षापात 319.2 मिमी लक्ष्य है. जबकि 21 अगस्त तक औसत वर्षापात 273.6 मिमी हुई है. वहीं जून व जुलाई माह में भी औसत से काफी कम बारिश हुई है.

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21 अगस्त तक जिले में कहां कितनी बारिश हुई

आंकड़ों के अनुसार, 21 अगस्त तक जिले के राजनगर में सबसे कम बारिश हुई है.

प्रखंड : हुई बारिश

सरायकेला : 229.4 मिमी

खरसावां : 339.4 मिमी

कुचाई : 304.8 मिमी

गम्हरिया : 280 मिमी

राजनगर : 183.60 मिमी

चांडिल : 337.2 मिमी

नीमडीह : 282.4 मिमी

ईचागढ़ : 312.8 मिमी

कुकड़ू : 193.2 मिमी

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