20.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बीसीसीएल खाते में गयी किसानों की जमीन, काम रोकने की मांग

बीसीसीएल की पूर्वी झरिया अंतर्गत भौंरा व गौरखूंटी मौजा के किसानों के आरएस खाता के खतियान में जमीन की भारी गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है.

विजय कश्यप, झरिया : बीसीसीएल की पूर्वी झरिया अंतर्गत भौंरा व गौरखूंटी मौजा के किसानों के आरएस खाता के खतियान में जमीन की भारी गड़बड़ी का मामला प्रकाश में आया है. गड़बड़ी सिर्फ पूर्वी झरिया क्षेत्र में ही नहीं, बल्कि बीसीसीएल के सभी क्षेत्रों में होने की बात कही जा रही है. कहा जा रहा है कि वर्ष 2007 के सर्वे सेटलमेंट में किसानों की सैकड़ों एकड़ जमीन बीसीसीएल के खाते में दर्ज हो गयी है. गौरखुंटी के रैयत फूलचंद महतो द्वारा आरटीआइ कानून के तहत झरिया के तत्कालीन सीओ से मांगी गयी जानकारी में जमीन में गड़बड़ी का सनसनीखेज़ खुलासा हुआ.

इधर का उधर, उधर का इधर : सूचना अधिकार कानून के तहत सीओ की ओर से बताया गया है कि जमाबंदी पंजी दो के अनुसार भौंरा मौजा 112 में सीएस खाता में बीसीसीएल के नाम पर 22 एकड़ साढ़े 37 डिसमिल व गौरखूंटी मौजा 113 में 22.53 एकड़ जमीन दर्ज है. उक्त कुल जमीन का 1980 से 1994-95 तक लगान वसूला गया. भौंरा मौजा 112 के आरएस खाता हाल सर्वे खाता संख्या 185 में कुल रकबा 611,61 एकड़ एवं गौरखूंटी मौजा 113 के हाल सर्वे खाता 185-58 में कुल रकबा 204,99 एकड़ जमीन बीसीसीएल के खतियान में दर्ज है. हालांकि सर्वे सेटलमेंट में बीसीसीएल की कुछ जमीन रैयतों के नाम पर भी चढ़ गयी है. सूचनाधिकार के तहत 21.01.2019 को मांगी गयी जानकारी का जवाब विभाग ने 27.02.2019 को दिया.

हक के सामने कानून का पेच : जानकारों का कहना है कि किसानों को अपना अधिकार पाने के लिए न्यायालय में बीसीसीएल के खिलाफ अपील याचिका दायर करनी होगी. हालांकि यह लंबी प्रक्रिया है. दूसरा झारखंड सरकार तत्काल ग़ज़ट पारित कर भौंरा व गौरखूंटी मौजा के आरएस खाता की जमीन की बंदोबस्त रद्द कर नये सिरे से सर्वे कराने का आदेश जारी करे तभी यहां के किसानों को इंसाफ मिल सकता है.

कीसानों पर पड़ी दोहरी मार : बताया जाता है कि सन 1981 में तत्कालीन बिहार सरकार के बंदोबस्त विभाग ने जमीन का सर्वे शुरू किया था, जो 2007 में समाप्त हुआ. सर्वे एजेंसी ने जमीनी स्तर पर पड़ताल किये बिना सर्वे सेटलमेंट कर दिया गया. बंद खदान, पंखा घर, कोल डिपो, कंपनी आवास, स्क्रैप सहित कंपनी अवशेष को आधार बनाकर उसके आसपास के किसानों की जमीन को भी बीसीसीएल के खतियान में दर्ज कर दिया गया. इससे बड़ी संख्या में किसान अपनी जमीन के मुआवजा से वंचित रह गये. विडंबना है कि बीसीसीएल के आरएस खाता में दर्ज जमीन का भी लगान 2017 तक किसानों को चुकाना पड़ा है. जमीन में गड़बड़ी की दोहरी मार किसानों को झेलनी पड़ रही है.

फोर-ए पैच से मामला आया सामने : पिछले दिनों फोर-ए पैच में काम शुरू होने पर ग्रामीणों ने दावेदारी को लेकर विरोध किया. ग्रामीणों द्वारा स्वामित्व का आधार पूछे जाने पर प्रबंधन ने जो कागज पेश किया, उसमें निहित विसंगति से ग्रामीणों के कान खड़े हो गये. इसी के बाद किसान नेता खेमलाल महतो ने 22 मई 2020 को बीसीसीएल के खिलाफ पुलिस में ऑनलाइन एफआइआर दर्ज करायी है. एफआइआर में आरोप लगाया गया है कि मुआवजा दिये बिना बीसीसीएल किसानों की जमीन पर कोयला उत्पादन कर रहा है. उन्होंने धनबाद एसएसपी से मुआवजा मिलने तक भौंरा में खनन कार्य पर रोक लगाने की मांग की है.

Posted by : Pritish Sahay

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel