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विशाल भारद्वाज ने बॉलीवुड को टारगेट किए जाने को लेकर कहा- हमारी इंडस्ट्री को बदनाम किया जा रहा है…

director vishal bhardwaj on ncb drugs nepotism says please leave film industry alone we are good people our industry is targeted bud: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने “भीतरी बनाम बाहरी” समेत कई बहस छेड़ दी हैं. यहां कथित ड्रग सेवन को लेकर भी बहुत सी बातें हो रही हैं. राजपूत को 14 जून को यहां बांद्रा स्थित उनके अपार्टमेंट में मृत पाया गया था. स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) अवार्ड के दौरान ‘पीटीआई-भाषा' द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में भारद्वाज ने कहा, “व्यक्तिगत रूप से मुझे नहीं लगता कि यहां विषाक्त संस्कृति है.

बॉलीवुड निर्देशक विशाल भारद्वाज ने उन दावों को बकवास बताया कि भारतीय फिल्म उद्योग में घरेलू व बाहरी का बंटवारा है और यहां जहरीली संस्कृति है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग “निहित स्वार्थों” के लिये इसकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं. भारद्वाज ने कहा कि उनका मानना है कि फिल्म उद्योग में लोग हमेशा मदद के लिये उपलब्ध रहते हैं और उनके जैसे किसी बाहरी के लिये जो किसी फिल्मी परिवार से ताल्लुक नहीं रखता, यह संजोनेयोग्य अनुभव है.

अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत ने “भीतरी बनाम बाहरी” समेत कई बहस छेड़ दी हैं. यहां कथित ड्रग सेवन को लेकर भी बहुत सी बातें हो रही हैं. राजपूत को 14 जून को यहां बांद्रा स्थित उनके अपार्टमेंट में मृत पाया गया था. स्क्रीनराइटर्स एसोसिएशन (एसडब्ल्यूए) अवार्ड के दौरान ‘पीटीआई-भाषा’ द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में भारद्वाज ने कहा, “व्यक्तिगत रूप से मुझे नहीं लगता कि यहां विषाक्त संस्कृति है. मेरा मानना है कि यहां हमारी कार्य संस्कृति में काफी प्यार है. फिल्म की यूनिट एक पूरे परिवार की तरह बन जाती है. यहां काफी खूबसूरत कार्य संस्कृति है.”

“हैदर” के निर्देशक ने कहा कि कुछ लोग हैं जिनके “निहित स्वार्थ” हैं और वे सिनेमा को “विषाक्त” कार्य स्थल के तौर पर दिखाने की कोशिश में लगे हैं. उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि विषाक्त संस्कृति के बारे में यह सारी बातें बकवास हैं. हमारा एक खूबसूरत उद्योग है…जो बर्बाद किया जा रहा है. निहित स्वार्थ किस तरह के हैं सबको मालूम है.”

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भारद्वाज ने कहा, “और हम यह भी जानते हैं कि यह हो रहा है. इसलिये कृपया हमें माफ कीजिए, हमें हमारे हाल पर छोड़ दीजिए. हम अच्छा कर रहे हैं.” उन्होंने कहा, “इसे अंदरुनी या बाहरी से कुछ लेनादेना नहीं. यह सब बनाई हुई बकवास है. हम एक परिवार की तरह हैं. मुझे फिल्म उद्योग में कभी बाहरी की तरह महसूस नहीं हुआ. जो कुछ भी थोड़ा बहुत मैंने महसूस किया वह किसी भी अन्य पेशे में हो सकता था.”

उन्होंने कहा, “आपको यहां जो भावनात्मक समर्थन मिलता है वह आपको किसी अन्य कार्यसंस्कृति में बाहर नहीं मिल सकता. यह एक खूबसूरत उद्योग है, यहां कोई विषाक्त संस्कृति नहीं है.”

Posted By: Budhmani Minj

Prabhat Khabar Digital Desk
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