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सरायकेला के छऊ गुरु सुशांत महापात्र व मलय साहू हुए सम्मानित, जानें इनके बारे में

भारत सरकार के संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी व संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष डॉ संध्या पुरेचा ने बुधवार को देश भर के 50 से अधिक गुरुओं को सम्मानित किया.

शचिंद्र कुमार दाश, सरायकेला :

सरायकेला के छऊ मुखौटा गुरु सुशांत कुमार महापात्र व छऊ गुरु मलय कुमार साहू को संगीत नाटक अकादमी (संस्कृति मंत्रालय) द्वारा नयी दिल्ली के मेघदूत थियेटर परिसर में आयोजित कला दीक्षा कार्यक्रम में सम्मानित किया गया. इस कार्यक्रम में भारत की सनातनी गुरु-शिष्य परंपरा पर आधारित अकादमी के प्रशिक्षण परियोजना के गुरुओं को सम्मानित किया गया.

भारत सरकार के संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी व संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्षा डॉ संध्या पुरेचा ने बुधवार को देश भर के 50 से अधिक गुरुओं को सम्मानित किया. संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने सरायकेला के छऊ गुरु मलय कुमार साहू व छऊ मुखौटा गुरु सुशांत कुमार महापात्र को प्रशस्ति पत्र, अंग वस्त्र व छऊ का मुखौटा भेंट कर सम्मानित किया. सरायकेला छऊ से जुड़े दो-दो गुरुओं को संगीत नाटक अकादमी की ओर से राष्ट्रय स्तर के मंच पर सम्मान मिलना हर्ष का विषय है.

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सरायकेला के गुरु सुशांत कुमार महापात्र छऊ मुखौटा कलाकार हैं. वह बाल्यावस्था से ही छऊ मुखौटा बनाने का कार्य कर रहे हैं. वर्तमान में बच्चों को मुखौटा बनाने का प्रशिक्षण भी देते हैं. विश्व प्रसिद्ध सरायकेला शैली के छऊ नृत्य में मुखौटा का विशेष महत्व है. गुरु सुशांत महापात्र द्वारा बनाए गए छऊ मुखौटे की प्रदर्शनी देश-विदेश में लगाई जा चुकी है.

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सरायकेला के छऊ गुरु सुशांत महापात्र व मलय साहू हुए सम्मानित, जानें इनके बारे में 2

उनके द्वारा तैयार किये गए सरायकेला शैली छऊ मुखौटे का प्रदर्शन सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि अमेरिका के न्यूयॉर्क, बर्लिन, वियाना के अलावा देश की राजधानी दिल्ली सहित मुंबई, कोलकाता एवं अन्य बड़े शहरों मे किया जा चुका है. वर्ष 1925 में सुशांत महापात्र के बड़े पिताजी प्रशन्न कुमार महापात्र ने सरायकेला शैली के छऊ के लिये पहला आधुनिक मुखौटा तैयार किया था. गुरु सुशांत महापात्र को यह सम्मान छऊ नृत्य का मुखौटा तैयार करने व बच्चों को कला के विधा को सिखाने के लिये दिया गया. गुरु सुशांत महापात्र को कई मंचों में सम्मानित भी किया जा चुका है.

कौन हैं गुरु मलय कुमार साहू ?

गुरु मलय कुमार साहू सरायकेला के प्रतिष्ठित श्री केदार आर्ट सेंटर के डायरेक्टर और पद्मश्री गुरु केदार नाथ साहू के पुत्र हैं. वे बचपन से ही छऊ नृत्य से जुड़े हुए हैं. बच्चों को छऊ नृत्य सीखने से लेकर देश विदेश में छऊ नृत्य के प्रचार प्रसार में इनकी विशेष भूमिका रही है.

गुरु मलय कुमार साहू को वर्ष 1979 में भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ कल्चर द्वारा नेशनल अवार्ड ऑफ स्कॉलरशिप से नवाजा जा चुका है. इसके अलावा 1987 में भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय द्वारा सीनियर स्कॉलरशिप, वर्ष 2000 में जूनियर फेलोशिप और वर्ष 2009 में सीनियर फेलोशिप से नवाजा जा चुका है. गुरु मलय कुमार साहू देश के विभिन्न मंचों सहित विदेशी धरती पर फ्रांस, साउथ कोरिया, मलेशिया, इंडोनेशिया, रूस, इटली, मेक्सिको, अरूबा, वेनेजुएला, पनामा, कोस्टा रिका, क्यूराकोआ, मंगोलिया, ब्राजील एवं बांग्लादेश में छऊ नृत्य की प्रस्तुति कर चुके हैं. गुरु मलय कुमार साहू बच्चों को छऊ नृत्य का प्रशिक्षण भी देते हैं.

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