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दूसरे धर्मों में क्या है छठ के मायने, जानें क्या कहते हैं लोग

साफ-सफाई में लोग एक-दूसरे का सहयोग करते हैं और इस बात का भी ख्याल रखते हैं कि किसी को गंदगी की वजह से परेशानी न हो. सनातन धर्म के इस पवित्र त्योहार का मकसद ही स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना है.

प्रकृति से लोगों को जोड़ता है यह पर्व

सनातन धर्म में छठ को काफी पवित्र त्योहार माना गया है. छठ की वजह से बिहार की पूरी दुनिया में अलग पहचान बनी है. छठ में साफ-सफाई को अधिक महत्व दिया गया है. छठ से कुछ दिन पहले ही घर से लेकर बाहर तक साफ-सफाई पर विशेष जोर दिया जाता है, जो एक तरह से समाज को स्वच्छता के प्रति जागरूक करता है. इसके साथ ही छठ पर्व में पर्यावरण संरक्षण को भी विशेष महत्व दिया गया है. इस पर्व में इस्तेमाल की जाने वाली सभी चीजें प्रकृति से जुड़ी होती हैं मसलन- फल अनाज और अन्य सामग्री. यह इन चीजों का इस्तेमाल लोगों को पर्यावरण के करीब लाता है. आपसी सौहार्द का भी खूबसूरत नजारा देखने को मिलता है. शहर के सभी इलाके में इस खूबसूरती को देखा जा सकता है. साफ-सफाई में लोग एक-दूसरे का सहयोग करते हैं और इस बात का भी ख्याल रखते हैं कि किसी को गंदगी की वजह से परेशानी न हो. सनातन धर्म के इस पवित्र त्योहार का मकसद ही स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक करना है.

समाज को एकजुटता का संदेश देता है छठ

छठ सामुदायिक एकता का संदेश देने वाला पर्व है. इसमें परिवार के सभी सदस्य एकजुट होकर व्रतियों का सहयोग करते हैं. करीब दस दिन पहले ही इस पर्व की तैयारी शुरू हो जाती है. इस पर्व में परिवार के सभी सदस्य और आस-पड़ोस के लोग अपने शिकवे-शिकायत को भूल कर पूरी आस्था के साथ मदद करते हैं. इससे परिवार में व्याप्त जो भी थोड़ा मनमुटाव है, उसे भी लोग भुला देते हैं. इस पर्व की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है. चार दिनों के इस व्रत को करने से आत्मा भी पवित्र होती है. छठ पर्व में आपसी भाईचारे का भी अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. जो लोग छठ पर्व नहीं मनाते हैं, वे भी व्रतियों का ख्याल करते हुए अपने आस-पास सफाई पर जोर देते हैं. छठ पर्व पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है. इसमें इस्तेमाल किये जाने वाले चूल्हे से लेकर प्रसाद सभी नेचुरल होते हैं.

जैन धर्म में है सूर्य की पूजा का खास महत्व

हर पर्व जीवन के लिए उत्सव है. छठ प्रकृति की पूजा का पर्व है. लोक आस्था के इस महापर्व में सूर्य की पूजा होती है. इसका धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्व भी है. सनातन धर्म की तरह जैन धर्म में भी सूर्य पूजा का विशेष महत्व है. इस पूजा से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है. इसके अलावा आरोग्यता का वरदान भी मिलता है. सूर्य साक्षात देवता हैं. इसीलिए सूर्य की आराधना लगभग सभी धर्मों के लोग करते हैं. इस पर्व में 36 घंटे का निर्जला उपवास किया जाता है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद है. सूर्य की रोशनी सभी वर्ग और धर्म के लोगों को बराबर मिलती है. यह स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है. जैन धर्म में भी सूर्य उपासना का विशेष महत्व है. जैन धर्म के 24 वें तीर्थंकर महावीर स्वामी द्वारा अनेक बार सूर्य की उपासना की गयी है. नौ ग्रहों में सूर्य को प्रधान माना गया है. इन्हें ग्रहों का राजा भी कहा जाता है.

भाईचारा बढ़ाने व रिश्तों को जोड़ने वाला त्योहार

पटना सिटी. बिहार, झारखंड और यूपी ही नहीं, बल्कि अब सारी दुनिया में छठ मनाया जाता है. यह ईश्वर की उपासना के साथ रिश्तों को जोड़ने और भाईचारा बढ़ाने का पर्व है. इसमें पवित्रता का भी ख्याल रखा जाता है. छठ ही ऐसा पर्व है जो समाज के हर कौम को एक साथ जोड़ता है. हालांकि, गुरमत में छठ पर्व से जुड़ने का उल्लेख नहीं है. सिख धर्म में वाहे गुरु के नाम के सुमिरन के साथ साथ राम, मुरारी शाह पातशाह के नाम का भी सुमिरन होता है. गुरु महाराज ने गुरुवाणी में एक परमात्मा के सुमिरन पर बल दिया है. गुरुवाणी में गुरु महाराज ने यह शिक्षा दी है कि समाज में हर मनुष्य अपने-अपने धर्म से जुड़ा है. गुरु महाराज ‘एक पिता एकस के हम वारिस’ का संदेश देते हैं. छठ के प्रति ऐसी आस्था होती है कि व्रतियों की सेवा में सिख कौम भी जुट जाता है.

स्वच्छता, सादगी और पवित्रता का है प्रतीक

इस पर्व में लोग सूर्य की पूजा करते हैं, यही सूर्य पूरे पृथ्वी को अपने प्रकाश से प्रकाशित करता है. यह बहुत ही अच्छी बात है. छठ पूजा बिहार की परंपरा है. यह स्वच्छता, सादगी और पवित्रता का भी प्रतीक है. इसमें साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इस कारण सूर्य उपासना का पर्व मुख्य रूप से प्रकृति की ही पूजा है. तीन दिवसीय उपवास वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बेहतर है. तीन दिनों तक उपवास रहकर लोग छठ पूजा करते हैं और सूर्य की उपासना करते हैं. पहले यह पर्व सिर्फ बिहार तक सिमित था, लेकिन अब तो पूरे भारत सहित विदेशों में भी इसका आयोजन किया जाने लगा है. बिहार के लोग, जहां भी रहते हैं, वहां छठ करते हैं. इस पूजा में प्रसाद खाने और खिलाने की परंपरा है. छठ पूजा पर मेरी ओर से सभी को शुभकामनाएं.

Prabhat Khabar News Desk
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