11.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

पब्लिक फंड से चल रहा नेत्रहीन आवासीय विद्यालय, सरकारी अनुदान मिले तो बच्चों को मिल सकती हैं और बेहतर सुविधाएं

सोसाइटी के पूर्व सचिव वीरेश दोषी ने बताया कि डी-नोबिली स्कूल डिगवाडीह के प्रिंसिपल फादर हेज ने 1972 में ब्लाइंड स्कूल की शुरुआत की थी. धनबाद के तत्कालीन उपायुक्त केबी सक्सेना विद्यालय के अध्यक्ष थे. मोहलबनी से विद्यालय शुरू हुआ था. माइनिंग एरिया में आने के बाद इसे जीएम बंग्लो में शिफ्ट कर दिया गया.

धनबाद, सत्या राज. न्यू मुरली नगर स्थित नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में वर्तमान में 17 बच्चे हैं. धनबाद ब्लाइंड रिलीफ सोसाइटी की ओर से 1972 से यह विद्यालय संचालित है. सरकारी अनुदान के बिना पब्लिक फंड से विद्यालय संचालित होने का कारण सुचारू रूप से चलाने में परेशानी आ रही है. सोसाइटी से जुड़े सदस्य यहां रह रहे बच्चों के लिए भोजन, पाठ्य सामग्री व जरूरी सामान उपलब्ध कराते हैं. सरकारी मदद मिले तो बच्चों को और बेहतर सुविधा दी जा सकती है. ये बच्चे झारखंड, बिहार एवं बंगाल के विभिन्न जिलों से यहां आये हैं. आवासीय विद्यालय में बच्चों को नि:शुल्क रखकर न सिर्फ शिक्षा दी जा रही है बल्कि कंप्यूटर, म्यूजिक व ब्रेल लिपि की भी ट्रेनिंग दी जा रही है. नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ मनीष नारायण व सामाजिक कार्यकर्ता विवेक उपाध्याय सोसाइटी से जुड़े हैं.

फादर हेज ने रखी थी नींव

सोसाइटी के पूर्व सचिव वीरेश दोषी ने बताया कि डी-नोबिली स्कूल डिगवाडीह के प्रिंसिपल फादर हेज ने 1972 में ब्लाइंड स्कूल की शुरुआत की थी. धनबाद के तत्कालीन उपायुक्त केबी सक्सेना विद्यालय के अध्यक्ष थे. मोहलबनी से विद्यालय शुरू हुआ था, लेकिन माइनिंग एरिया में आने के बाद इसे जीएम बंग्लो में शिफ्ट कर दिया गया. वो क्षेत्र भी माइनिंग एरिया में आ गया और विद्यालय बंद हो गया. सोसाइटी की ओर से रांची हाइकोर्ट में पीआइएल दायर की गयी. 2010 में हाइकोर्ट ने सोसायटी के हक में फैसला देने के साथ बीसीसीएल को निर्देश दिया कि ढाई एकड़ जमीन में स्कूल बना कर सोसाइटी को दे. न्यू मुरली नगर के कम्यूनिटी हॉल में 2011 से विद्यालय संचालित है.

बाउंड्री वॉल टूटी है, भवन भी है जर्जर

पूर्व सचिव श्री दोषी ने बताया कि नेत्रहीन विद्यालय की बाउंड्री वॉल काफी दिनों से टूटी है. विद्यालय भवन भी जर्जर है. सोसाइटी ने इसकी मरम्मत के लिए कई बार बीसीसीएल के जगजीवन नगर मेंटनेस बोर्ड को आवेदन दिया है, लेकिन कोई पहल नहीं की गयी. बताते हैं सरकारी अनुदान के लिए भी सोसाइटी ने पहल की पर कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया. हाइकोर्ट के आदेशानुसार बीसीसीएल यहां से दूसरी जगह जमीन देकर बिल्डिंग बना दे, ताकि बच्चे सुरक्षित रह सकें. अगर आम जनता सहयोग करे तो बच्चों के रख रखाव में ज्यादा सुविधा मिल सकती है. बच्चों के स्वास्थ्य के लिए दो नर्सिंग होम हैं, जो नि:शुल्क सेवा दे रहे हैं. जरूरत पड़ने पर दवा भी उपलब्ध करा देते हैं. पहले यहां लड़कियां भी रहती थीं. सुविधा के अभाव में उन्हें गिरिडीह शिफ्ट कर दिया गया. अगर हाइकोर्ट के आदेशानुसार ढाई एकड़ जमीन पर दो भवन बना दिये जायें तो लड़कियों के लिए भी आवासीय सुविधा दी जा सकेगी.

पढ़ाई के साथ होती हैं कई गतिविधियां

श्री दोषी ने बताया कि आवासीय विद्यालय में रहनेवाले बच्चे पढ़ाई के लिए वरीय बुनियादी विद्यालय जगजीवन नगर जाते हैं. उनकी रूचि के अनुसार म्यूजिक, खेल कूद, कंप्यूटर ट्रेनिंग दी जाती है. 15 अगस्त व 26 जनवरी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. स्वंयसेवी संस्था द्वारा समय-समय पर यहां बच्चों के लिए कार्यक्रम किये जाते हैं. जन्मदिन सेलीब्रेट किया जाता है.

स्पेशल शिक्षक सामंत भगत देते हैं ब्रेल लिपि ट्रेनिंग

जमशेदपुर से आये स्पेशल शिक्षक सामंत भगत बच्चों को ब्रेल लिपि की ट्रेनिंग देते हैं. उन्होंने बताया भले ही हमारे आंखों में रौशनी नहीं है लेकिन मन की आंखों से हम अपनी मंजिल की तरफ बढ़ जाते हैं. इन बच्चों का दर्द समझ में आता है.

बच्चों की सेवा से मिलती है संतुष्टि

विद्यालय के केयर टेकर राजेश महतो कहते हैं इन बच्चों की सेवा कर संतुष्टि होती है. थोड़ी परेशानी तो होती है लेकिन बच्चे काफी समझदार है. समय पर अपना काम कर लेते हैं. घर वाले भी मिलने आते रहते हैं. इन्हें कोई परेशानी न हो इसके लिए हमेशा सतर्क रहना पड़ता है.

संगीत शिक्षक बनना चाहता है रोहित

तोपचांची के रहनेवाले रोहित रजवार नौवीं कक्षा के छात्र हैं. हारमोनियम सीख रहे हैं. रोहित म्यूजिक टीचर बनना चाहते हैं. कहते हैं कि सगीत से गहरा लगाव है. इनकी मधुर आवाज पर इनके साथ बांसुरी पर संगत करते हैं लक्ष्मण महतो.

लक्ष्मण की शिक्षक बनने की है इच्छा

लक्ष्मण आठवीं कक्षा के छात्र हैं. बांसुरी बजाना सीख रहे हैं. लक्ष्मण कहते हैं कि वो टीचर बनना चाहते हैं ताकि उनके जैसे जो भाी बहन हैं उनके बीच ज्ञान का दीप जला सकें. इनका मानना है आंखों की ज्योति से ज्यादा मन की ज्योति मायने रखती है. हम समाज से उपेक्षा नहीं सहयोग चाहते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel