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TMC Manifesto: ‘सशक्त महिला’ के लिए 10 लाख सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाने का वादा, ममता के एलान का मतलब क्या है?

TMC Manifesto Bengal Elections 2021: बंगाल विधानसभा चुनाव में आठ चरणों में वोटिंग के बाद 2 मई को रिजल्ट निकलने वाला है. वहीं, बुधवार को टीएमसी ने मेनिफेस्टो जारी कर दिया. टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य में टीएमसी की सरकार बनने पर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए 10 लाख सेल्फ हेल्फ ग्रुप तैयार किया जाएगा. गांव और शहर की महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप (स्वयं सहायता समूह) से जोड़कर उनको सशक्त बनाया जाएगा.

TMC Manifesto Bengal Elections 2021: बंगाल विधानसभा चुनाव में आठ चरणों में वोटिंग के बाद 2 मई को रिजल्ट निकलने वाला है. वहीं, बुधवार को टीएमसी ने मेनिफेस्टो जारी कर दिया. टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने कहा है कि राज्य में टीएमसी की सरकार बनने पर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए 10 लाख सेल्फ हेल्फ ग्रुप तैयार किया जाएगा. गांव और शहर की महिलाओं को सेल्फ हेल्प ग्रुप (स्वयं सहायता समूह) से जोड़कर उनको सशक्त बनाया जाएगा. महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाया जाएगा. टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि पश्चिम बंगाल की महिलाओं को आगे बढ़ाने की हर मुमकिन कोशिश की जाएगी और योजनाएं बनाई जाएगी.

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टीएमसी के मेनिफेस्टो में महिलाओं को ‘गिफ्ट’

विधानसभा चुनाव के लिहाज से देखें तो टीएमसी का मेनिफेस्टो आधी आबादी को अपने पाले में करने की कोशिश दिखती है. मेनिफेस्टो से इतर टीएमसी ने 49 कैंडिडेट्स को भी मैदान में उतारा है. कैंडिडेट्स के नामों के एलान के समय भी ममता बनर्जी कह चुकी हैं कि टीएमसी की सरकार में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में उन्हें सत्ता में ज्यादा भागीदारी देने का फैसला लिया गया है. दूसरी तरफ बीजेपी समेत दूसरे दलों ने सभी चरणों के लिए कैंडिडेट्स के नामों का एलान नहीं किया है. खास बात यह है बंगाल में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में आधी आबादी के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी है.

पश्चिम बंगाल चुनाव में आधी आबादी ‘गेमचेंजर’

बंगाल विधानसभा चुनाव में महिलाओं को गेमचेंजर माना जा रहा है. सियासी गणित को समझने वालों के मुताबिक बंगाल विधानसभा चुनाव में महिला वोट बैंक असली करामात कर सकती है. चुनाव आयोग के हिसाब से देखें तो इस बार राज्य में करीब 7.18 करोड़ मतदाता वोट डालने वाले हैं. इसमें महिलाओं की संख्या 3.15 करोड़ (49 प्रतिशत) है. इस हिसाब से देखें तो पश्चिम बंगाल में महिला और पुरुष मतदाताओं के बीच महज दो फीसदी का अंतर है. अगर महिलाओं के बड़े धड़े ने किसी पार्टी को समर्थन दिया तो उसकी जीत पक्की है. इस कारण हर पार्टी महिला वोट बैंक पर कब्जा करने की फिराक में है.

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हर चुनाव में महिलाओं पर बढ़ा टीएमसी का भरोसा

टीएमसी सुप्रीमो और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी खुद महिला हैं. दूसरी तरफ बीजेपी भी महिला नेताओं को फ्रंटलाइन पर लाकर महिला वोटबैंक पर निशाना साधने में जुटी हुई है. दूसरे राज्यों की तुलना में बंगाल की महिलाओं को राजनीति के क्षेत्र में ज्यादा जागरूक माना जाता है. वो पुरुषों के कहे और सुने की जगह अपने हिसाब से वोट करती हैं. जबकि, राज्य में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का अनुपात 961 (प्रति हजार) हो चुका है. यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है. यही कारण है 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी ने 45 और 2019 के लोकसभा चुनाव में कुल 42 सीटों पर 17 महिलाओं (41 फीसदी) को टिकट दिया था. अब, मेनिफेस्टो से टीएमसी ने महिलाओं को साधने की एक कोशिश और की है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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